नई दिल्ली। संयुक्त राष्ट्र की मध्यस्थता अदालत ने भारतीय मछुआरों की हत्या के आरोपी इटली के नौसैनिक साल्वातोर जिरोने को स्वदेश भेजे जाने का फैसला सुनाया है। मामले में दूसरा आरोपी नौसैनिक खराब स्वास्थ्य के चलते इटली में ही है।
वहीं भारत सरकार से जुड़े सूत्रों के अनुसार इटली ने संयुक्त राष्ट्र अदालत के फैसले को गलत ढंग से पेश किया है। किसी भी नौसैनिक को बरी नहीं किया गया बल्कि जमानत की शर्तों में ढील देने को कहा गया है। सरकारी सूत्रों का यह भी कहना है कि मामले में अंतिम फैसला भारतीय उच्चतम न्यायालय ही लेगा।
इसकी वजह से भारत और इटली के संबंधों में काफी खटास आ गई थी, लेकिन पिछले साल दोनों देशों ने इस बात पर सहमति जताई थी कि इस मामले को संयुक्त राष्ट्र की मध्यस्थता वाली अदालत में सुलझाया जाए और कोर्ट जो भी फैसला दे, उसे माना जाए।
इटली की न्यूज एजेंसी आंसा के मुताबित शुरुआती आदेश में ‘द हेग’ अदालत ने फैसला किया है कि भारत में कैद मरीन को घर जाने की अनुमति मिलनी चाहिए। अदालत ने कहा कि दोनों पक्ष इस बारे में आपसी सहमति बनाकर आगे की कार्रवाई करें।
जिरोने के पिता मिचल ने कहा कि अगर फैसला सही है तो वह बेहद खुश हैं और वह जल्द ही अपने बेटे और बहू से बातचीत करेंगे। इटली के विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा है कि इटली जल्द से जल्द भारत से संपर्क करेगा और मरीन की रिहाई की कोशिश करेगा।
भारत ने 2012 में इटली के दो नौसैनिकों को उसके जलक्षेत्र में केरल के दो मछुआरों की हत्या के आरोप में गिफ्तार किया था। तेल के एक टैंकर की हिफाजत में तैनात इन नौसैनिकों का कहना था कि उन्होंने इन मछुआरों को गलती से समुद्री डाकू समझ लिया था।