नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कैबिनेट द्वारा सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों को मंजूरी दिए जाने के बाद केंद्रीय कर्मचारियों की यूनियनों की भौहें तन गई हैं। वे इसे अब तक का सबसे ख़राब वेतन आयोग बता रही हैं और 11 जुलाई से अनिश्चितकालीन देशव्यापी हड़ताल पर जा रही हैं।
सभी केंद्रीय विभागों के कर्मचारियों को मिलाकर बने नेशनल ज्वाइंट काउंसिल ऑफ एक्शन के संयोजक शिवगोपाल मिश्रा का कहना है कि इस वेतन आयोग के खिलाफ हमने पहले ही आपत्ति जाहिर की थी। इसके बावजूद सरकार ने बिना बदलाव के ही अपनी सिफारिशों को लागू कर दिया है। वेतन आयोग में न्यूनतम वेतन 18 हजार रुपए करने की सिफारिश की गई है जबकि इसे 26 हजार करने की जरूरत है।
मिश्रा ने बताया कि तकनीकी रूप से सिर्फ 14 फीसदी बढ़ोतरी की गई है। सभी अलाउंस को जोड़ कर 23 फीसदी की जादूगरी की गई है। जबकि छठे वेतन आयोग ने 52 और 5वें वेतन आयोग में 40 फीसदी की बढ़ोतरी की थी। उन्होंने कहा कि हमने नई पेंशन नीति को हटाकर पुरानी पेंशन नीति लागू करने और न्यूनतम वेतन 26 हजार करने की मांग की थी।
उन्होंने केंद्र सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि हमारी मांगें नहीं मानी गई तो देश की जनता की परेशानी के लिए सरकार खुद जिम्मेदार होगी। उन्होंने कहा कि 11 जुलाई से पहले सरकार यदि बातचीत कर बीच का रास्ता निकालना चाहती है तो हम तैयार हैं। क्योंकि लोगों को हम भी परेशान नहीं करना चाहते हैं।
मिश्रा ने कहा कि हम इस वेतन आयोग की सिफारिश के खिलाफ आगामी 11 जुलाई से देशव्यापी अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जा रहे हैं। हड़ताल में सभी केंद्रीय विभागों के सभी स्तर के 32 लाख से ज्यादा कर्मचारी भाग लेंगे। देश में 1974 के बाद पहली बार सबसे बड़ी हड़ताल होने जा रही है।