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Union Cabinet approves amendments to HIV, AIDS bill
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एचआईवी से जुड़े विधेयक में संशोधन को केन्द्रीय मंत्रिमंडल की मंजूरी

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एचआईवी से जुड़े विधेयक में संशोधन को केन्द्रीय मंत्रिमंडल की मंजूरी
Union Cabinet approves amendments to HIV, AIDS bill
Union Cabinet approves amendments to HIV, AIDS bill

नई दिल्ली। केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में एचआईवी के साथ जी रहे लोगों के अधिकारों की रक्षा के लिए तैयार एचआईवी और एड्स (रोकथाम और नियंत्रण) विधेयक, 2014 को मजबूती प्रदान करने के लिए उसमें आधिकारिक संशोधन को मंजूरी दे दी।

यह संशोधन मुख्य तौर एचआईवी पीड़ितों के खिलाफ भेदभाव रोकने और इलाज के दौरान मरीजों की पहचान गुप्त रखने से संबंधित हैं।

यह विधेयक 2014 में यूपीए सरकार के कार्यकाल के आखिरी दिनों में पेश किया गया था। इसी साल जुलाई में वित्तमंत्री अरुण जेटली की अध्यक्षता में मंत्री समूह की बैठक में संसद की स्थाई समिति द्वारा विधेयक से जुड़े प्रावधानों से संबंधित उठाए गए बिन्दुओं पर चर्चा की गई थी।

विधेयक के प्रावधानों में एचआईवी संबंधी भेदभाव को कानूनी जवाबदेही के दायरे में लाकर मौजूदा कार्यक्रम को मजबूत करने और शिकायतों की जांच और शिकायतों के निवारण के लिए औपचारिक तंत्र स्थापित करना शामिल है।

विधेयक के माध्यम से एचआईवी और एड्स की रोकथाम और नियंत्रित करने का प्रयास किया जाएगा। इसमें एचआईवी और एड्स पीड़ितों के इलाज संबंधी सहमति लेने और गोपनीयता का प्रावधान है।

विधेयक विभिन्न क्षेत्रों में एचआईवी पॉजिटिव व्यक्तियों और उनके साथ रहने वाले लोगों के प्रति भेदभाव को चिन्हित करता है।

इसमें रोजगार, शैक्षिक संस्थान, स्वास्थ्य देखभाल सेवा, संपत्ति किराये पर दिए जाने, सार्वजनिक या निजी कार्यालय में खड़े होने, बीमा के प्रावधान से संबंधित इनकार, हटाए जाने, सेवा समाप्त करने जैसे अनुचित व्यवहार शामिल हैं।

विधेयक रोजगार, स्वास्थ्य और शिक्षा से जुड़े कार्यक्रम में भाग लेने से पूर्व एचआईवी परीक्षण की पूर्व शर्त को निषिद्ध बनाता है।

यह विधेयक एचआईवी/एड्स रोगियों के लिए एंटीरेट्रोवाइरल थेरेपी और प्रतिरोधक क्षमता में कमी के कारण होने वाले रोगों के प्रबंधन को एक कानूनी अधिकार प्रदान करता है।

इस विधेयक से किसी प्रकार का अतिरिक्त वित्तीय बोझ नहीं पड़ेगा। इससे जुड़ी गतिविधियों का अधिकांश हिस्सा पहले से ही लागू है या फिर विभिन्न मंत्रालयों के मौजूदा तंत्र जैसे प्रशिक्षण, संचार और डेटा प्रबंधन आदि में शामिल है।

अधिनियम के उल्लंघन से संबंधित शिकायतों की जांच के लिए विधेयक में प्रावधान है कि राज्य सरकारें अपने यहां एक लोकपाल नियुक्त करें। हालांकि लोकपाल का एक अलग इकाई होना ज़रुरी नहीं है किसी भी मौजूदा राज्य सरकार के पदाधिकारी को प्रतिनियुक्त या अतिरिक्त प्रभार दिया जा सकता है। इसमें गैर अनुपालन के मामले में दंडात्मक कार्यवाही का भी प्रावधान है।

वर्तमान में भारत में लगभग 21 लाख लोग एचआईवी के साथ जी रहे हैं। पिछले एक दशक में एचआईवी के प्रसार में कमी आई है। मौजूदा विधेयक राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण कार्यक्रम को आवश्यक सहायता प्रदान करेगा। नए संक्रमण को रोकने और 2030 तक महामारी के अंत से जुड़े लक्ष्य को प्राप्त करने में मदद करेगा।