नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने पूर्व सैनिकों को 01 जुलाई, 2014 से ‘वन रैंक-वन पेंशन’ देने की घोषणा की है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमण्डल की बैठक में लिए गए फैसले के मुताबिक पिछले काफी समय से मोदी सरकार से नाराज चल रहे पेंशनधारियों की न्यूनतम और अधिकतम पेंशन को समान पद और समान सेवाकाल के आधार पर 01 जुलाई, 2014 से दिया जाएगा।
औसत से अधिक पेंशन प्राप्त कर रहे पूर्व सैनिकों की सुरक्षा की जाएगी, जिसका लाभ युद्ध में शहीद सैनिकों की विधवाओं और शारीरिक रूप से अक्षम पेंशनधारियों सहित परिवार-पेंशनधारियों को भी मिलेगा।
केंद्र सरकार के अनुसार जो कर्मी सेना, वायुसेना के समान नियमों के तहत अपने निवेदन पर डिस्चार्ज होने का विकल्प चुनते हैं, उन्हें “वन रैंक-वन पेंशन” का लाभ नहीं मिलेगा। बकाया राशि का भुगतान 04 छमाही किस्तों में होगा।
परिवार-पेंशनधारियों को बकाया राशि का भुगतान एक किस्त में किया जाएगा, जिनमें विशेष परिवार-पेंशन तथा शौर्य पुरस्कार विजेता शामिल हैं।
बैठक में यह भी फैसला लिया गया कि भविष्य में हर पांच साल में पेंशन दोबारा तय होगी। गत वर्ष 14 दिसंबर को पटना हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति एल. नरसिम्हा रेड्डी की अध्यक्षता में गठित न्यायिक समिति भारत सरकार द्वारा दिए गए संदर्भों पर अपनी रिपोर्ट छह माह में सौंपेगी।
साथ ही, “वन रैंक-वन पेंशन” के लागू हो जाने पर रक्षा बलों के पेंशनधारियों को बढ़ी हुई पेंशन मिलेगी। “वन रैंक-वन पेंशन” के लागू होने से बकाया राशि के भुगतान के संबंध में 10925.11 करोड़ रुपए और वार्षिक वित्तीय बोझ 7488.7 करोड़ रुपए होगा।
वहीं, 31 मार्च, 2016 तक 15.91 लाख पेंशनधारियों को “वन रैंक-वन पेंशन” की पहली किस्त दी गई, जिसकी कुल रकम 2,861 करोड़ रुपए है।