अजमेर। केन्द्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि भारतीय संस्कृति विपुल और समृद्ध गौरवशाली परम्परा की परिचायक संस्कृति है। युवा इसे आगे बढ़ाएं। सच्चा सुख सिर्फ धन, शक्ति और शिक्षा में ही नहीं है बल्कि इसके लिए चरित्रावान भी होना आवश्यक है। युवा त्याग और समर्पण का महत्व समझें और देश की सेवा को सर्वोपरि महत्व दें।
केन्द्रीय गृह मंत्री ने 29 नवंबर को मेयो कॉलेज के 132वें पुरस्कार वितरण समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में भाग लिया। उन्होंने कहा कि वर्तमान में युवा शिक्षा, धन और विभिन्न रूपों में शक्ति संचय को महत्व दे रहे हैं। इनके साथ ही चरित्र के उन्नयन को भी जोड़ दिया जाए तो शानदार परिणाम हासिल हो सकते हैं।
शिक्षा का उद्देश्य भावी जीवन में शानदार करियर और इसके जरिए धन और शक्ति हासिल करना होता जा रहा है। हमें इस संचय में चरित्र निर्माण को भी पर्याप्त स्थान देना होगा।
सिंह ने राम और रावण का उदाहरण देते हुए कहा कि रावण शिक्षा, ज्ञान, धन और शक्ति में श्रेष्ठ होने के बावजूद अपनी चारित्रिक कमजोरियों के कारण पतन को प्राप्त हुआ। यह चारित्रिक शक्ति ही मनुष्य को श्रेष्ठ बनाती है। उन्होंने युवाओं का आह्वान किया कि वे शिक्षा, धन और शक्ति के संचय के साथ ही चारित्रिक उन्नयन के जरिए देश की सेवा में जुटें।
उन्होंने भारत की विपुल और समृद्ध सांस्कृतिक, शैक्षिक, सामाजिक और सामरिक शक्ति की आेर इंगित करते हुए कहा कि प्रत्येक भारतीय को इन पर गर्व होना चाहिए। आज पूरे विश्व में गणित, विज्ञान एवं विविध विषयों की चर्चा होती है। भारत वह राष्ट्र है जिसने पूरे विश्व को गणित, विज्ञान एवं अन्य विषयों में महत्वपूर्ण ज्ञान प्रदान किया।
हमारे भारतीय विद्वानों ने हजारों साल पहले इन सिद्धान्तों को प्रतिपादित किया। सिंह ने कहा कि किसी भी देश की संस्कृति, विरासत और विशेषताओं को जानना हो तो उस देश की भाषा को जानना अतिआवश्यक है। उन्होंने कहा कि जिस तरह हम अपने मान, सम्मान और स्वाभिमान को महत्व देते हैं। उसी तरह हम देश भक्ति के अपने भाव को भी महत्व दें।
उन्होंने चन्द्रशेखर आजाद और अशफाक उल्लाह खान का उदाहरण देते हुए कहा कि आज भी जब कोई हमारे देश और सीमाओं की तरफ आंख उठाकर देखता है तो पूरा देश एकजुट हो जाता है। यह हमारा राष्ट्रीय स्वाभिमान है। गृहमंत्री सिंह ने कहा कि जिस तरह बुद्धि का सुख ज्ञान से मिलता है उसी तरह आत्मा का सुख भगवान से मिलता है।
उन्होंने स्वामी विवेकानन्द का उदाहरण देते हुए चारित्रिक उन्नयन को ही मनुष्य निर्माण की प्रथम आवश्यकता बताया। उन्होंने कहा कि अजमेर का मेयो कॉलेज विश्व में अपनी पहचान रखता है। यहां का प्रबंधन, शिक्षक एवं विद्यार्थी बधाई के पात्र हैं।
गृहमंत्री सिंह ने समारोह में प्रतिभावान विद्यार्थियों को पुरस्कार बांटे। इससे पूर्व मेयो कॉलेज गवर्निंग काउंसिल के अध्यक्ष बृजराज सिंह कोटा ने स्वागत भाषण दिया। मेयो कॉलेज के प्राचार्य लेफ्टिनेंट जनरल सुरेन्द्र कुलकर्णी ने रिपोर्ट प्रस्तुत की।