नई दिल्ली। वंशवाद की राजनीति का बचाव करने को लेकर कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी पर हमला बोलते हुए भाजपा ने मंगलवार को उन्हें याद दिलाया कि देश के तीन शीर्ष संवैधानिक पदों पर आम आदमी अपनी योग्यता बल पर आरूढ़ है और लोकतंत्र वंशवाद का मोहताज नहीं है।
केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने कहा कि सच यह है कि वह (राहुल गांधी) कहते हैं कि वंश व वंशवाद भारत में बहुत मायने रखते हैं, यह अपने आप में विसंगति है।
सर्वोच्च संवैधानिक पदों (राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति व प्रधानमंत्री) पर आज तीन गणमान्य व्यक्तियों का होना अपने आप में संकेत है कि भारतीय लोकतंत्र योग्यता को अवसर देता है और वंशवाद का आभारी नहीं है।
स्मृति राहुल गांधी के उस बयान पर प्रतिक्रिया दे रही थीं, जिसमें राहुल ने कहा था कि ज्यादातर देश ऐसे ही चलते हैं। राहुल ने अमेरिका के बर्कले विश्वविद्यालय में बातचीत के दौरान यह बयान दिया था।
राहुल ने कहा था कि वंशवाद की राजनीति सभी राजनीतिक दलों की समस्या है। अखिलेश यादव (समाजवादी पार्टी के प्रमुख मुलायम सिंह यादव के बेटे), (एम.के.) स्टालिन (डीएमके पार्टी के प्रमुख करुणानिधि के बेटे), अभिषेक बच्चन (बॉलीवुड के महानायक अमिताभ बच्चन के बेटे) सभी वंशवाद की विरासत के उदाहरण हैं। अंबानी बंधु (मुकेश और अनिल) (धीरूभाई अंबानी के बेटे) हैं, इसी तरह पूरा देश चल रहा है।
स्मृति ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का जन्म गुजरात के एक गरीब परिवार में हुआ और वह हमारे देश के लोगों के भारी समर्थन से प्रधानमंत्री पद के लिए चुने गए।
उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति (रामनाथ कोविंद) का जन्म एक दलित परिवार में हुआ और उन्होंने अपनी योग्यता से पद प्राप्त किया। उपराष्ट्रपति का जन्म एक किसान परिवार में हुआ और सालों कार्यकर्ता रहने के बाद उन्हें देश के उपराष्ट्रपति का पद प्राप्त हुआ।
भाजपा नेता ने राहुल गांधी पर 2014 के चुनावों में अपनी पार्टी की हार के लिए अहंकार को दोषी ठहराने को लेकर भी हमला किया।
उन्होंने कहा कि सच यह है कि राहुल गांधी ने सोनिया गांधी की जिम्मेदारियों को कम करने की सोची, जो अपने आप में कांग्रेस के लिए आत्मविश्लेषण का मुद्दा है। मैं सिर्फ यही कहूंगी कि वंशवादी लोगों के पास सहकारी संघवाद का समर्थन करने, उसके लिए अच्छे शब्द बोलने का समय नहीं है, जो भारतीय राजनीति में आज के दौर में साफ नजर आ रहा है।
ईरानी ने कहा कि विफल वंशवाद ने अमरीका में अपने असफल राजनीतिक यात्रा पर बात करने का फैसला किया।
उन्होंने कहा कि कांग्रेस उपाध्यक्ष ने सार्वजनिक तौर पर घोषित किया कि सोनिया गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस अहंकारी हुई। राहुल के कबूलनामे से कांग्रेस को निपटना है। सच यह है कि राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री का महत्व कम करने की कोशिश की। उनसे यही उम्मीद की जा सकती है।
उन्होंने कहा कि भारत के लोगों के साथ जुड़ने में नाकाम रहने के बाद राहुल गांधी ने अपने राजनीतिक विरोधियों की निंदा करने के लिए एक सुविधाजनक मंच चुना।
राहुल गांधी राजेनताओं, वैश्विक विचारकों व विदेशी भारतीयों से बातचीत करने के लिए अमेरिका के दो सप्ताह के दौरे पर हैं। उन्होंने देश के राजनीतिक माहौल, कांग्रेस पार्टी, नोटबंदी के प्रभाव व दूसरे मुद्दों पर बातचीत की।
कांग्रेस नेता ने स्वीकार किया कि वर्ष 2012 के आसपास कांग्रेस पार्टी में अहंकार आ गया था। यही वजह है कि हमने लोगों के साथ संवाद करना बंद कर दिया था।
किरण रिजिजू ने भी की आलोचना
केंद्रीय गृह राज्यमंत्री किरण रिजिजू ने तीखा हमला बोलते हुए कहा कि राहुल गांधी किसी और की लिखी हुई स्क्रिप्ट को विदेश में पढ़कर भारत का नाम खराब कर रहे हैं।
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