संयुक्त राष्ट्र। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने सर्वसम्मति से उत्तर कोरिया के खिलाफ कड़े प्रतिबंधों को मंजूरी दे दी। ये प्रतिबंध उत्तर कोरिया द्वारा हाल ही में किए गए परमाणु परीक्षण के मद्देनजर लगाए गए हैं।
हालांकि, उत्तर कोरिया पर प्रतिबंधों को लेकर अमेरिका की मांगों की धार रूस और चीन ने कम कर दी। इससे संयुक्त राष्ट्र में इन दोनों देशों का प्रभाव झलकता है।
यूएनएससी ने सोमवार को उत्तर कोरिया द्वारा संयुक्त राष्ट्र की पिछली प्रस्तावना की अवहेलना करने की आलोचना की थी और उसे अपने सभी बैलिस्टिक मिसाइल और परमाणु कार्यक्रमों को बंद करने के आदेश दिए थे।
इन नए प्रतिबंधों के तहत उत्तर कोरिया को किए जाने वाली तेल आपूर्ति को सीमित कर दिया गया है, उसके कपड़ा निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिए गए हैं, भावी रोजगारों को भी सीमित कर दिया गया है।
उत्तर कोरिया से आने और जाने वाले जहाजों की जांच के लिए बिना बल प्रयोग के अन्य देशों को अनुमति दी गई है। हथियारों में इस्तेमाल होने वाले अधिक से अधिक सामानों और प्रोद्योगिकियों को प्रतिबंधित सूची में डाल दिया गया है। इसके अलावा तीन सरकारी एजेंसियों की संपत्तियों को भी जब्त किया गया। इसमें एक सैन्य एजेंसी भी है।
चीन और रूस के दबाव की वजह से उत्तर कोरिया के सर्वोच्च नेता किम जोंग उन की यात्रा पर प्रतिबंध और उनकी संपत्तियों को फ्रीज करने की अमरीका की वास्तविक मांगों को पूरा नहीं किया गया है।
अमरीका, उत्तर कोरिया के तेल निर्यात पर पूर्ण प्रतिबंध, विदेश में रह रहे उत्तर कोरिया के लगभग 93,000 नागरिकों को तत्काल भाव से नौकरी से हटाना चाहता था।
अमरीका की स्थाई प्रतिनिधि निकी हेली ने संयुक्त राष्ट्र में वोटिग के बाद कहा कि अब उत्तर कोरिया के लगभग 90 फीसदी निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। इसके साथ ही लौह, लौह अयस्क,धातु, समुद्री भोजन और कोयला निर्यात पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया है। निक्की ने कहा कि इससे उत्तर कोरिया को सालाना 1.3 अरब डॉलर का नुकसान होगा।
हेली ने चीन के प्रभाव को स्वीकार करते हुए कहा कि आज का मसौदा राष्ट्रपति ट्रंप और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच विकसित हुए मजबूत संबंधों के बिना नहीं होता। हम दोनों टीमों के हमारे साथ मिलकर काम करने की प्रशंसा करते हैं।
चीन और रूस ने अमरीका पर उत्तर कोरिया के सर्वोच्च नेता किम जोंग उन को सत्ता से बेदखल नहीं करने और उत्तर कोरिया और दक्षिण कोरिया में सुलह के लिए दबाव बनाया था। दोनों देशों के प्रतिनिधियों ने चर्चा के जरिए समाधान खोजने पर जोर दिया।
संयुक्त राष्ट्र में चीन के स्थाई प्रतिनिधि लिउ जिएयी ने कहा कि अमेरिका को सभी संबंधित पक्षों से जुड़ी चिंताओं पर विचार करना चाहिए और क्षेत्र से जुड़ी नीति का हिस्सा बनाना चाहिए।
उन्होंने दक्षिण कोरिया में अमरीका द्वारा टर्मिनल हाइ अल्टीट्यूड एरिया डिफेंस (थाड) की तैनाती का भी विरोध किया।