नई दिल्ली। उद्योगपति विजय माल्या की परेशानियां कम नहीं हो रही हैं। डियाजियो के नियंत्रण वाली कंपनी यूनाइटेड स्प्रिट्स लिमिटेड (यूएसएल) ने एक नया खुलासा करते हुए कहा है कि अनुचित लेनदेन के जरिए कंपनी से 1,225.3 करोड़ रुपए माल्या से जुड़ी किंगफिशर एयरलाइंस और उनकी फार्मूला वन टीम सहित विभिन्न कंपनियों को पहुंचाया गया।
यूएसएल को 2013 में अरबों डॉलर के सौदे में ब्रिटेन के डियाजिओ समूह ने खरीद लिया था, उस समय यह माल्या के नियंत्रण में थी। यूएसएल ने स्पष्ट किया है कि माल्या के साथ कुछ महीने पहले जो समझौता किया गया उसमें यह ताजा खुलासा शामिल नहीं है। ऐसे में ताजा खुलासे के तहत वह जिम्मेदारी से बच नहीं सकते। राशि के दुरुपयोग का यह मामला कंपनी द्वारा की गई अतिरिक्त जांच के बाद सामने आया है।
भारत में गिरफ्तारी से बचने के लिए उद्योगपति विजय माल्या पिछले कुछ महीनों से ब्रिटेन में रह रहे हैं। कई बैंकों ने माल्या को जानबूझकर बैंक का कर्ज नहीं चुकाने वाला डिफॉल्टर घोषित किया है। माल्या पर बैंकों का 9,000 करोड़ रुपए का कर्ज बकाया है।
विजय माल्या ने इस साल की शुरुआत में यूएसएल के साथ एक समझौता किया था जिसके तहत उन्हें कंपनी का निदेशक और चेयरमैन पद छोडऩे के लिए 500 करोड़ रुपए से अधिक देने का वादा किया गया। इसके साथ ही उन्हें किसी भी व्यक्तिगत देनदारी से मुक्त रखने का भी वादा किया गया।
यूएसएल बोर्ड की एक बैठक में अतिरिक्त जांच रिपोर्ट पर विचार विमर्श किया गया। बोर्ड ने इस जांच का आदेश अप्रैल 2015 में शुरुआती जांच में पाई गई खामियों को दूर करने के लिए दिया गया था। उस समय की जांच में भी 1,337 करोड़ रुपए के ऋण में अनुचित व्यवहार पाया गया। यह राशि भी यूएसएल से माल्या के नेतृत्व वाले पूववर्ती यूबी समूह से जुड़ी कंपनियों को दी गई।
यूएसएल ने मुंबई शेयर बाजार को भेजी ताजा जानकारी में कहा है कि अतिरिक्त जांच में पहली नजर में यह पता चलता है कि 913.5 करोड़ रुपए का वास्तविक और संभावित कोष इधर से उधर किया गया। यह राशि 31 मार्च 2015 की विनिमय दर के आधार पर तय की गई है।
इसके अलावा यूएसएल और उसकी भारतीय तथा विदेशी अनुषंगियों के बीच 311.8 करोड़ रुपए का अनुचित लेनदेन संभावित है। अतिरिक्त जांच के दौरान यह लेनदेन उस समय सामने आया जब अक्तूबर 2010 से जुलाई 2014 की अवधि के लेनदेन की जांच की गई।
हालांकि, इसमें कहा गया है कि कुछ लेनदेन इस जांच अवधि से भी पहले के हुए लगते हैं। यह वह समय था जब यूबी समूह का कंपनी पर नियंत्रण था। बहरहाल, माल्या से इस संबंध में तुरंत कोई टिप्पणी नहीं मिल सकी।