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untold story of Anandeshwar shiv temple in kanpur
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यहां पर 40 दिन दर्शन करने पर मिलता है मुंहमांगा वरदान

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यहां पर 40 दिन दर्शन करने पर मिलता है मुंहमांगा वरदान
Anandeshwar shiv temple in kanpur
Anandeshwar shiv temple in kanpur
Anandeshwar shiv temple in kanpur

कानपुर। कानपुर शहर के शिव मन्दिरों में परमट का आनन्देश्वर मन्दिर एक अलग ही स्थान रखता है। यहां पर मान्यता है कि लगातार 40 दिनों तक दर्शन करने से मुंहमांगा वरदान मिल जाता है। वैसे तो यहां पर रोजना हजारों भक्त दर्शन को आते है लेकिन श्रावण मास के आखिरी सोमवार को भक्तों की कोई तादाद ही नहीं दिखी।

मंदिर के इतिहास के बारे में जानकार बताते हैं कि यहां पर राजा कौशल ने खोदाई करवायी थी, जहां पर आज मन्दिर का शिवलिंग विराजमान है। परमट गांव में इन्हीं राजा की गायों को चराने के लिए एक चरवाहा रोज यहां पर आता था। वह गायों को चराकर महल वापस जाता फिर उन गायों से दूध निकालता था।

आनन्दी नाम की एक गाय दूध नहीं देती थी, जिसके कारण चरवाहे को राजा ने डांटा और डपटा भी। लेकिन आनन्दी गाय ने दूध देना नहीं शुरू किया। यह बात लगभग दो सौ साल पुरानी है तब राजा ने चरवाहे के पीछे अपने गुप्तचर लगाए तो उन्हें यह पता चला कि गाय अपना दूध एक ही स्थान पर गिरा देती थी,

जिसके कारण राजा के घर पर दूध नहीं देती थी। राजा ने उस क्षेत्र की खोदाई करवाई तब उन्होंने वहां एक शिवलिंग पाया। उन्होंने उसी स्थान पर शिवलिंग की स्थापना कर मन्दिर का निर्माण शुरू करा दिया। तब से लेकर आज तक मन्दिर में भगवान शिव की अराधना की जा रही है।

दर्शन के लिए लालायित रहते है भक्त

मन्दिर की प्रसिद्ध का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि शहर के राजनीतिक दलों के लोगों से लेकर पुलिस के आला अधिकारी व आम जनता दर्शन के लिए लालायित रहते हैं। सावन के दिनों में मन्दिर प्रबंधतन्त्र की ओर से महिला व पुरुषों के लिए अलग-अलग लाइन लगाकर दर्शन करने की व्यवस्था की जाती है। वहीं, देर रात से ही भक्त उनके दर्शन को व्याकुल हो जाते हैं। लगभग 42 वर्षों से मन्दिर जा रहे भक्त अभय मिश्रा ने बताया कि शहर के अन्य शिव मन्दिरों से विरत इस मन्दिर में भक्त श्रृद्धा भाव से शिव का आर्शीवाद लेने के लिए आते हैं।

आनन्द ही आनन्द

यहां पर रोजना आठ से 10 हजार भक्त दर्शन करते है लेकिन श्रावण मास यह संख्या बढ़ जाती है। खासतौर पर सोमवार को तो कोई तादाद ही नहीं होती। यहां पर भगवान शिव की रोजाना चार बार आरती की जाती है। इसमें मंगला आरती का खासा महत्व माना जाता है। पहले मन्दिर को ट्रस्टवाले चलाते थे लेकिन अब यह प्रसिद्ध जूना अखाड़े के अधीन है और इसका नियन्त्रण उसी के अधिकार क्षेत्र में है।