सबगुरु न्यूज। हम अकारण ही तर्कशास्त्री बन तर्क के आधार पर परमात्मा के होने या न होने के विवाद में सदियों तक उलझ जाते हैं। जन्म, मृत्यु, सुख, दुख, उत्थान, पतन लोभ, लालच, त्याग, आविष्कार व भौतिक उन्नति तथा इंसान के द्वारा किए गए प्रयास की सफलता व असफ़लता को ही आखिरी सच मान कर शेष को अंधविश्वास की संज्ञा देकर बरी हो जाते हैं।
पृथ्वी के इस विज्ञान भगवान के अलावा हम अभौतिक भगवान और उसकी माया को सिरे से खारिज कर देते हैं फिर भी विश्व स्तर पर जितनी आस्था इस अभौतिक भगवान की है उतनी किसी भी भौतिक भगवान की नहीं है। अगर ऐसा नहीं होता तो विश्व स्तर पर कोई भी धर्म और उसकी आस्था नहीं पूजी जाती ना ही विश्व स्तर पर उनके धर्म के महत्व पूर्ण स्थान बनते।
आस्था और विश्वास की अमर कहानी में हमारी धरती पर अवतरित उन यादों में हम खो जाते हैं जहां श्री कृष्ण ने हमारी धरती पर अवतरित होकर हमें एक नई राह दिखाकर कर्म के प्रति आसक्त होने का उपदेश दिया तथा सत्य के मार्ग पर चल अधर्म व असत्य का समूल नाश करने की बात कही।
प्रेम का विस्तार कर आपसी मतभेद हटाने का संकेत दिया। अपनी भूमिका का श्रेष्ठ निर्वाह कर उन्होंने एक अपनी छवि विश्व स्तर पर स्थापित कर दी। एक श्रेष्ठमित्र, शक्तिमान, योद्धा, राजनीति का गुरू, कूटनीति का बादशाह, प्रेमियों में श्रेष्ठ प्रेमी, मन को मोह लेने वाला।
कहा जाता है कि कृष्ण जब अपनी गोपिका विरजा के साथ प्रेम विहार कर रहे थे तब अचानक राधा जी आ गई लेकिन कृष्ण के सखा श्री दामा ने उन्हें कृष्ण के पास जाने ना दिया। इस बात सें नाराज होकर राधा ने उसे श्राप दिया कि तुम पृथ्वी पर जाकर दानव बनोगे तब दामा ने भी क्रोध वश राधा को पृथ्वी पर मानवीय रूप धारण कर रहने का श्राप दिया।
इसी श्राप के कारण राधा जी ने बरसाना मे वृषभानु के अवतार लिया और कृष्ण को भी अवतरित होना पड़ा ।ऋषि गर्ग ने श्री कृष्ण का नामकरण व अन्य अन्नप्राशन संस्कार किया तथा बताया की ये विष्णु जी के अवतार हैं तथा राधा उनकी लक्ष्मीजी से भी बढ़कर प्रिय है।
गर्ग ऋषि के कहने से एक दिन नन्द बाबा कृष्ण को साथ लेकर वृन्दावन के भाणडीर उपवन में गए। गायो को जल पिलाकर दिया ओर कृष्ण को गोद में लेकर बैठ गए। वहां अचानक तूफान व बरसात शुरू हो गई और अंधकार छा गया। इतने में राधा प्रकट हो गई और नन्द बाबा के हाथ से कृष्ण को अपनी गोद में लेकर प्रेम विहार हेतु चल पड़ी। इतने में कृष्ण राधा की गोद से गायब हो गए और अपना युवा रूप धारण कर लिया। वहां ब्रहमा जी ने राधा ओर कृष्ण का विवाह संस्कार कराया।
प्रेम विहार के बाद कृष्ण ने फिर बालक रूप धारण कर लिया ओर राधा की गोद में चले गए तब राधा ज़ोर जोर से रोने लगी तब आकाश वाणी हुई कि राधा विलाप मत करो मैं हर रात वृन्दावन में आकर तुम्हारे साथ रास रचाऊंगा और तुम मेरे बाल रूप को यशोदा जी की गोद में दे दो। ब्रहम वैवर्त पुराण के श्री कृष्ण जन्म खंड की कथा एक दुर्लभ कथा हैं
जन्माष्टमी के दिन जो राधा कृष्ण की तर्क नहीं आस्था से करता है तो निश्चित लाभान्वित होता है।
सौजन्य : भंवरलाल