बलिया। आज वैज्ञानिक युग में भले यह बात थोड़ी अटपटी लगे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का जिले से सौभाग्य जुड़ा हुआ है। जी हां पीएम मोदी का जाने-अनजाने जिले से नाता काफी गहरा रहा है और इसमें मई महीने का कनेक्शन तो काफी चैंकाने वाला है।
अतीत में जाएं तो मुख्यमंत्री व प्रधानमंत्री बनने के पहले से ही मोदी का जुड़ाव इस क्रांतिकारी धरती से रहा है और वह इसके पूर्व भी यहां चार बार आ चुके हैं। पहली बार नरेंद्र मोदी 2001 मई में यहां भाजपा के महामंत्री (संगठन) के रूप में संघ के कार्यक्रम में आए थे और यहां से जाने के बाद अक्टूबर में गुजरात के मुख्यमंत्री के पद पर आसीन हुए थे।
उस दौरान नरेंद्र मोदी यहां करीब तीन दिनों तक रुके थे जिसमें उन्होंने जिले के कई गांवों में दौरा व कार्यक्रम आदि भी किए थे। संघ से उनका नाता तो बचपन से ही जुड़ा है जिससे हर छोटे-बड़े कार्यक्रम में वह बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते रहे।
ऐसे में पार्टी ने ही जिम्मेदारी सौंपते हुए उनको यहां भेजा था जिसमें प्रवास के दौरान वह यहां की सभ्यता व संस्कृति तथा लोगों के अपनापन से काफी प्रभावित भी हुए थे। उस दौरान यहां पार्टी जिलाध्यक्ष के तौर पर पीएन तिवारी थे।
इसके बाद वह 2009 के उप्र विधानसभा चुनाव में यहां प्रत्याशी रहे मनोज सिन्हा के प्रचार के लिए बतौर सीएम आए और टाउन डिग्री कालेज में सभा की। इसके बाद लोकसभा चुनाव के प्रचार में मोदी जिले में दो बार आए और उस दौरान भी मई का ही महीना था।
मई 2014 में सिकंदरपुर में चुनावी सभा के बाद वह प्रचार का समापन 10 मई को माल्देपुर से किए। इसके बाद हुए चुनाव में पार्टी को अपार जनाधार मिला और वह प्रधानमंत्री के पद पर प्रतिष्ठित हुए।
आज एक बार फिर जब वह जिले में बतौर प्रधानमंत्री के रूप में आ रहे तो यह भी महीना मई का ही है। ऐसे में पीएम के जिले में पांचवी बार आने का निहितार्थ लोग भले ही कुछ भी निकालें लेकिन अतीत के आईने से देखें तो यहां आना इस धरती से उनके लगाव को ही दर्शाता है। आज देश की इतनी बड़ी योजना का शुभारंभ करने के पीछे भी कहीं न कहीं पूर्व का जुड़ाव ही दिख रहा है।