लखनऊ। राज्यपाल राम नाईक ने जनपद बलिया की रसड़ा विधान सभा निर्वाचन क्षेत्र से बहुजन समाज पार्टी (बसपा) विधायक उमा शंकर सिंह की सदस्यता समाप्ति का आदेश दिया है।
भारत निर्वाचन आयोग से उमा शंकर सिंह की विधान सभा सदस्यता के सम्बन्ध में दिए सुझाव के आधार पर राज्यपाल यह निर्णय लिया है। इसके तहत उमा शंकर सिंह के विधायक निर्वाचित होने की तारीख 6 मार्च, 2012 से विधान सभा की सदस्यता समाप्ति का निर्णय पारित किया है।
गौरतलब है कि विधानसभा चुनाव मार्च, 2012 में सम्पन्न हुए थे। 06 मार्च, 2012 को विधायकों को निर्वाचित घोषित किया गया था। वहीं एडवोकेट सुभाष चन्द्र सिंह ने 18 दिसम्बर, 2013 को शपथ पत्र देकर उमा शंकर सिंह के विरूद्ध लोकायुक्त से शिकायत की थी।
उन्होंने आरोप लगाया था कि विधायक निर्वाचित होने के बाद भी उमा शंकर सिंह सरकारी ठेके लेकर सड़क निर्माण का काम करते आ रहे थे। उत्तर प्रदेश के तत्कालीन लोकायुक्त न्यायमूर्ति एन.के. मेहरोत्रा ने शिकायत की जांच में सरकारी कन्ट्रैक्ट लेने के आरोप में विधायक उमा शंकर सिंह को दोषी पाते हुए 18 फरवरी, 2014 को अपनी जांच रिपोर्ट मुख्यमंत्री को भेजी थी।
इसके बाद मुख्यमंत्री ने 19 मार्च, 2014 को यह प्रकरण भारत निर्वाचन आयोग के परामर्श के लिए राज्यपाल को भेजा था। तत्कालीन राज्यपाल ने प्रकरण भारत निर्वाचन आयोग, नई दिल्ली की राय के लिए 3 अप्रेल, 2014 को भेज दिया था।
निर्वाचन आयोग से 03 जनवरी, 2015 को राय मिलने पर उमा शंकर सिंह ने राज्यपाल राम नाईक के सामने अपना पक्ष रखने के लिए समय दिए जाने का अनुरोध किया था। इस पर राज्यपाल ने 16 जनवरी, 2015 को भेंट कर उनका पक्ष सुना।
इसके बाद राज्यपाल ने आरोपों को सही पाते हुए 29 जनवरी, 2015 को उमा शंकर सिंह को विधायक निर्वाचित होने की तिथि 6 मार्च, 2012 से विधान सभा की सदस्यता से अयोग्य घोषित कर दिया था।
राज्यपाल के फैसले के विरूद्ध अयोग्य घोषित विधायक उमा शंकर सिंह इलाहाबाद हाई कोर्ट चले गए थे, जिस पर 28 मई, 2015 को निर्णय देते हुये कोर्ट ने कहा था कि चुनाव आयोग प्रकरण में स्वयं जल्दी से जांच कर निर्णय से राज्यपाल को अवगत कराए और उसके बाद राज्यपाल मामले में संविधान के अनुच्छेद 192 के तहत अपना निर्णय लें।
हाई कोर्ट के आदेश के कड़ी में निर्वाचन आयोग ने विधायक उमा शंकर की प्रकरण में जांच की और सुनवाई का अवसर प्रदान किया। निर्वाचन आयोग में निर्णय में देरी होने के कारण राज्यपाल ने 9 अगस्त, 2016 को विधायक के सदस्यता के संबंध में चुनाव आयोग को पत्र भेजा था, जिसके जवाब में चुनाव आयोग ने 01 सितम्बर, 2016 को पत्र के जरिए जानकारी दी कि मामले की जांच पूरी होने पर आयोग द्वारा जल्द उन्हें अपनी राय से अवगत कराया जाएगा।
राज्यपाल ने 16 सितम्बर, 2016 को इस संबंध में मुख्य चुनाव आयुक्त से फोन पर भी बातचीत की। जिस पर मुख्य निर्वाचन आयुक्त ने मामले में जल्द निर्णय लेने की बात कही थी। इसके बाद राज्यपाल ने 07 जनवरी 2016, 23 मई 2016, 05 नवम्बर 2016 और 14 दिसम्बर 2016 को भी अपनी ओर से पत्र भेजे।
राज्यपाल ने अपने आदेश की प्रति भारत निर्वाचन आयोग, विधान सभा अध्यक्ष माता प्रसाद पाण्डेय, मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और उमा शंकर सिंह को भी भेजी है। उन्होंने मुख्य सचिव राहुल भटनागर को भी आदेश की प्रति भेजते हुए कहा है कि आदेश को सरकारी गजट में तत्काल प्रकाशित कराया जाए और प्रकाशित गजट अधिसूचना की 7 प्रतियां राज्यपाल सचिवालय को जल्द भेजी जाएं।