नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने उपहार सिनेमा हादसे के दोषी गोपाल अंसल की याचिका खारिज कर दी है। जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली बेंच ने गोपाल अंसल की सजा कम करने की याचिका पर सुनवाई करते हुए ये आदेश दिया।
कोर्ट ने गोपाल अंसल को राहत देते हुए उन्हें 19 मार्च को सरेंडर करने का आदेश दिया है। सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता के वकील रामजेठमलानी से पूछा कि आप रिव्यू ऑर्डर का रिव्यू कराना चाहते हैं? क्या यह सुनवाई योग्य है?
जेठमलानी ने जवाब दिया कि ये रिव्यू का मेरा पहला आग्रह है क्योंकि रजिस्ट्रार ने मेरे रिव्यू की नंबरिंग करने में गलती की है। सीबीआई के वकील हरीश साल्वे ने कहा कि रिव्यू ऑर्डर के खिलाफ रिव्यू याचिका सुनवाई योग्य नहीं है। जिसे सुप्रीम कोर्ट ने स्वीकार कर लिया।
रामजेठमलानी ने सुप्रीम कोर्ट में गोपाल अंसल की सजा कम करने को लेकर करीब आधे घंटे तक अपनी दलीलें दी। उन्होंने कहा कि मैं दूसरों के दान पर जिंदा रहता हूं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि गोपाल अंसल कोई गरीब आदमी नहीं हैं जो दूसरों के दया पर जिंदा रहते हैं।
जेठमलानी ने कहा कि आपने रिव्यू में सजा को सही पाया और मेरे मुवक्किल की सजा बढ़ा दी और जुर्माने की राशि पचास करोड़ से तीस करोड़ कर दी। जेठमलानी ने कहा कि सिविल केस में हमने उन्हें दस करोड़ रुपए डैमेज के लिए दे दिए हैं। पिछले 9 फरवरी को कोर्ट ने गोपाल अंसल को एक महीने के अंदर सरेंडर करने का निर्देश दिया था।
कोर्ट ने इस मामले में गोपाल अंसल को एक साल की कैद की सजा सुनाई थी। सुप्रीम कोर्ट ने सुशील अंसल की उम्र को ध्यान में रखते हुए जेल भेजने से मना कर दिया था। रामजेठमलानी ने याचिका दायर कर कोर्ट से कहा था कि उनके मुवक्किल गोपाल अंसल भी सुशील अंसल की तरह ही बढ़ते उम्र की बीमारियों से परेशान हैं। इसलिए उन्हें जेल नहीं भेजा जाना चाहिए।
आपको बता दें कि 2015 में जस्टिस एआर दवे की अध्यक्षता वाली बेंच ने अंसल बंधुओं पर तीस करोड़ रुपए का जुर्माना सुनाया था और जुर्माना नहीं देने पर दो साल की जेल की सजा सुनाई थी। उपहार सिनेमा अग्निकांड में 59 लोगों की दम घुटने से मौत हो गई थी।