जयपुर। नगरीय निकाय सीमा में शहरी विकास शुल्क (यूडी टैक्स) वसूलने का सरकार ने निर्णय लिया वह यदि अमल में लाया जाता है तो जयपुर शहर में नगर निगम क्षेत्र में सवा चार लाख से ज्यादा संपत्तियां या भवन इस टैक्स के दायरे में आएंगे।
सरकार के इस फैसले से नगर निगम की यूडी टैक्स से आय दोगुनी से भी ज्यादा हो जाएगी। इस प्रत्यक्ष रूप से प्रभाव आमजनता पर पड़ेगा। इतना ही नहीं निगम जल्द ही सर्वे करवाएगा, जिसमें संभावना है कि यह आकड़ा और अधिक बढ़ जाएगा।
1.20 लाख से वसूला जाता है टैक्स
नगर निगम से मिले आकड़ों के मुताबिक वर्तमान में करीब 1.20 लाख से अधिक संपत्तियां चिन्हित है, जिनसे यूडीटैक्स वसूला जाता है। यह टैक्स प्रतिवर्ष औसतम 70 करोड़ रुपए बनता है। लेकिन नया नियम लागू होने के बाद संपत्तियों का यह आकड़ा 5.50 से अधिक हो जाएगा, जिनसे अनुमानित 150 करोड़ रुपए से अधिक का यूडीटैक्स वसूला जाएगा। यह आंकड़ा निगम की ओर से कुछ वर्ष पूर्व करवाए सर्वे के मुताबिक है।
400 करोड़ रुपए का टैक्स बकाया
निगम से मिली जानकारी के मुताबिक वर्तमान में यूडी टैक्स के पेटे ही करीब ४०० करोड़ रुपए का बकाया चल रहा है। इसमें अधिकांश वे है जो बड़ी-बड़ी कंपनियों के कार्यालयों, मॉल, स्कूल, मैरिज गार्डन संचालकों के है। इनकी दरों के निर्धारण को लेकर काफी समय से विरोधाभास है।
इसलिए लिया टैक्स लगाने का निर्णय
सूत्रों के मुताबिक नगरीय विकास कर का दायरा बढ़ाने का निर्णय राज्य सरकार को एशियन डवलपमेंट बैंक (एडीबी) के दबाव में लेना पड़ा है। प्रदेश में पेयजल और विरासत संरक्षण से जुड़े कई अहम प्रोजेक्ट के लिए ऋण देने के एवज में एडीबी ने प्रदेश में प्रोपर्टी टैक्स लागू करने की शर्त रखी थी, ताकि निकायों की आर्थिक स्थिति सुधारी जा सके और ऋण की अदायगी सुरक्षित हो सके। पिछले वित्त वर्ष से ही यह कर प्रस्तावित था लेकिन निकाय चुनावों के डर से राज्य सरकार ने इसे लागू नहीं किया था।