नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि उरी आतंकी हमले के बाद देश के नागरिकों में जो आक्रोश है वह राष्ट्रीय चेतना का प्रतीक है। हमारी सेना देश के खिलाफ किसी भी साजिश को कामयाब नहीं होने देगी।
मोदी ने रविवार को अपने बहुचर्चित ‘मन की बात’ संबोधन में बीते रविवार जम्मू-कश्मीर के उरी सेक्टर के सैन्य आधार शिविर पर हुए आतंकी हमले में शहीर हुए 18 जवानों को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि बीते दिनों उरी में एक आतंकी हमले में हमने अपने 18 वीर सपूतों को खो दिया। मैं इन सभी बहादुर सैनिकों को नमन करता हूँ और उन्हें श्रद्धांजलि देता हूं|
उन्होंने कहा कि देश में शोक भी है और आक्रोश भी। यह क्षति किसी परिवार की नहीं बल्कि यह क्षति पूरे राष्ट्र की है। दोषी सजा पा कर ही रहेंगे। हमे हमारी सेना पर पूरा भरोसा है और नाज़ है। उन्होंने कहा कि राजनेता बोलते हैं, नागरिक बोलते हैं लेकिन सेना बोलती नहीं पराक्रम दिखाती है।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि वह आज कश्मीर के नागरिकों से विशेष रुप से बात करना चाहते हैं। कश्मीर के लोग देश विरोधी तत्वों को समझने लगें है और उनसे दूरी बनाने लगे हैं। सब चाहते हैं कि कश्मीर में पहले जैसी स्थिति बहाल हो और समान्य जीवन सुचारू रूप से चल सके।
उन्होंने कहा कि शान्ति, एकता और सदभावना ही हमारी समस्याओं के समाधान और विकास का रास्ता है। बम-बन्दूकों से विकास का रास्ता नहीं निकलता। उन्होंने कहा कि कश्मीर की लोगों की सुरक्षा सरकार की जिम्मेदारी है।
मोदी ने पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री और महात्मा गांधी के आदर्शों और जीवन की याद दिलाते हुए कहा कि 1965 की लड़ाई में शास्त्री जी ने ‘जय जवान- जय किसान’ का मंत्र देकर आम आदमी को देश की सेवा करने की प्रेरणा दी थी। वहीं महात्मा गांधी ने भी आज़ादी के आंदोलन की तीव्रता को समाज के अंदर रचनात्मक कामों को प्रेरित करने के लिए बड़े सफल प्रयोग करते थे।
प्रधानमंत्री ने पैरालंपिक में बेहतर प्रदर्शन करने वाले खिलाड़ियों की जमकर प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि पैरालंपिक में भारत के प्रदर्शन ने दिव्यागों के प्रति सोच बदली है। दीपा मलिक ने जब मेडल प्राप्त किया, तो कहा कि इस मेडल से मैंने विकलांगता को ही पराजित कर दिया है। इस वाक्य में बहुत बड़ी ताक़त है।
उन्होंने कहा कि दिव्यांग खिलाड़ी खेलते हैं तो इच्छाशक्ति दिखती है। इन खिलाडि़यों ने अपनी इच्छाशक्ति के आगे कभी गरीबी और अपनी दिव्यांगता को आड़े नहीं आने दिया।
उन्होंने कहा कि सभी को चाहिए कि आक्रोश और देशभक्ति से कुछ रचनात्मक करें। उन्होंने कहा कि आने वाले दिनों में भारत पैरालंपिक के लिए, उसके विकास के लिए भी, एक सुचारू योजना बनाने की दिशा में आगे बढ़ रहा है।
देशवासियों से अपने सीधे संबोधन में प्रधानमंत्री ने एक बार फिर स्वच्छता का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि 2 अक्टूबर को स्वच्छ भारत अभियान के दो साल पूरे हो रहे हैं। देश स्वच्छता की ओर आगे बढ़ा है।
शहर से लेकर गांव तक लोग स्वच्छता में अपना योगदान दे रहे हैं। अब तक लगभग ढाई करोड़ शौचालयों का निर्माण हुआ है और आने वाले एक साल में डेढ़ करोड़ और शौचालय बनाने का लक्ष्य है।
उन्होंने कहा कि मीडिया के लोगों ने इस अभियान में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। महिलाओं के सम्मान के लिए ‘खुले में शौच जाने की आदतों से मुक्ति’, उसका एक अभियान चल पड़ा है। आंध्र प्रदेश, गुजरात और केरल इस दिशा में जल्द ही पूर्ण सफलता हासिल करेंगे।
उन्होंने कहा कि ‘1969’ नम्बर पर कोई भी नागरिक फोन करके न सिर्फ अपने शहर में शौचालयों के निर्माण की स्थिति जान पाएगा बल्कि इसके लिए आवेदन भी कर सकता है। सरकार ने उद्योग घरानों से भी अपील की है कि स्वच्छता के लिए काम करने के इच्छुक युवाओं को प्रोत्साहित करें।
उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार के विभागों ने, साल-भर का कैलेंडर बनाया है, हर विभाग 15 दिन विशेष रूप से स्वच्छता पर केंद्रित करता है।
प्रधानमंत्री मोदी ने खादी उद्दोग को बढ़ावा देने पर जोर देते हुए कहा कि हर परिवार में खादी का कोई न कोई सामान अवश्य होना चाहिए ताकि हमारे गरीब कारीगरों के घर रोशनी हो सके। 02 अक्टूबर से दिवाली तक सरकार यह अभियान चलाएगी।
उन्होंने कहा कि आज पंडित दीनदयाल उपध्याय जी की जन्म जयंती है और आज से उनका जन्म शताब्दी वर्ष प्रारंभ हो रहा है।
मन की बात के दो साल पूरे होने पर मोदी ने कहा कि ‘मन की बात’ सिर्फ 15-20 मिनट का संवाद नहीं बल्कि समाज-परिवर्तन का एक नया अवसर बन गया है। मेरी ये प्रामाणिक कोशिश रही थी कि यह कार्यक्रम सरकारी कामों के गुणगान करने का कार्यक्रम नहीं बनना चाहिए और न ही राजनीतिक छींटा-कशी अथवा आरोप-प्रत्यारोप का कार्यक्रम।
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