कानपुर। सपा प्रदेश अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव ने भले ही सीएम की असहमति से डॉन अतीक अहमद को कानपुर कैंट विधानसभा से चुनाव के लिए उतारा हो, लेकिन असल सवाल यह है कि क्या डॉन 26 साल से खिल रहे कमल को रोक पाएगा।
हालांकि सीट के जातीय समीकरण के लिहाज से सपा को फायदा हो सकता है पर कमल की छवि को धूमिल करना आसान नहीं है। आगामी विधानसभा चुनाव को फतह करने के लिए जहां सीएम अखिलेश यादव साफ-सुथरी छवि निखारने में जुटे हैं, तो वहीं समाजवादी पार्टी का संगठन अपने पुराने ढर्रे पर चल रहा है।
एक बार फिर प्रदेश अध्यक्ष शिवपाल यादव ने कानपुर कैंट से उस बाहुबली को चुनाव मैदान में उतारा है जिसे मुख्यमंत्री ने कौशांबी की जनसभा में धक्का देकर यह संदेश देने की कोशिश की थी कि ऐसे लोगों की पार्टी में कतई जरूरत नहीं है।
यह तो पार्टी का अंदरूनी मामला है कि जीत के लिए किसको कहां से प्रत्याशी बनाना है। लेकिन इलाहाबाद की राजनीति में कभी वर्चस्व रखने वाले पूर्व सांसद डॉन अतीक अहमद को कानपुर कैंट सीट उतारकर सपा ने कानपुर की राजनीति पर हलचल बढ़ा दी है।
यह ऐसी सीट है जहां पर 55 प्रतिशत मुस्लिम मतदाता होने के बावजूद 26 साल से कमल खिल रहा है। ऐसे में यह देखना होगा कि सपा का यह डॉन मतदाताओं पर कहां तक अपनी पैठ बनाने में सफल होता है। तो वहीं क्षेत्रीय लोगों का मानना है कि डॉन के आने से सपा और कमजोर होगी।
बताते चलें कि पिछले चुनाव में सपा की लहर के बावजूद भाजपा के रघुनंदन सिंह भदौरिया ने सपा के क्षेत्रीय व साफ स्वच्छ छवि के हसन रूमी को नौ हजार से अधिक मतों से पटखनी दी थी। समाजसेवी अनीता दुआ का कहना है कि कानपुर की जनता डॉन को कभी अपना नेतृत्व नहीं देगी।
कमल की छवि दमदार
कानपुर कैंट विधानसभा 2112 के पहले छावनी सीट के नाम से जानी जाती थी। यहां पर पहली बार भाजपा के सतीश महाना ने 1991 में रिकार्ड मतों से विजयी हुए थे। इसके बाद लगातार पांच बार इसी सीट से विधायक रहे। 2012 में परिसीमन के चलते महाना ने महाराजपुर से चुनाव लड़ा और जीत दर्ज की।
कैंट से भाजपा ने रघुनंदन पर दांव लगाया और कमल की क्षेत्र में दमदार छवि के चलते सपा की लहर के बावजूद जीत दर्ज की। बताया तो यह भी जा रहा है कि यहां पर महाना व भदौरिया की दमदार छवि के चलते मुस्लिम मतदाता भी भाजपा की तरफ खिचे चले आते हैं।
आंकड़ों पर अगर गौर करें तो मुस्लिम बाहुल्य होने के बावजूद अभी तक एक भी मुस्लिम प्रत्याशी इस सीट से जीत दर्ज नहीं कर पाया है। ऐसे में देखना यह होगा कि जातीय समीकरण को साध कर डॉन कमल की छवि को कहां तक धूमिल करने में सफल हो पाता है।
राजनेताओं का कहना
भाजपा विधायक रघुनंदन सिंह भदौरिया ने बताया कि सपा चाहे अतीक अहमद को चुनाव मैदान में उतारे या अबू सलेम को। यहां का मतदाता हमारे साथ है। लगातार यहां पर 25 वर्षों से भाजपा के प्रतिनिधि जनता की उम्मीदों पर खरा उतर रहें है। ऐसे में किसी भी डॉन की यहां पर दाल गलने वाली नहीं है।
बसपा जिलाध्यक्ष प्रशांत दोहरे का कहना है कि सपा अपनी हार देख रही है जिसके चलते डॉन, माफियाओं को चुनाव मैदान में उतार रही है। कैंट सीट की जनता डॉन को किसी भी हाल में टिकने नहीं देगी और बसपा की जीत होगी।
कांग्रेस के नगर अध्यक्ष हर प्रकाश अग्निहोत्री ने कहा कि यह सपा का अंदरूनी मामला है कि किसको चुनाव लड़ाना है पर जनता सब कुछ जानती है और उसी के अनुरूप परिणाम आएगा।
सपा नगर अध्यक्ष हाजी फजल महमूद ने बताया कि यह पार्टी का फैसला है इस पर हम कुछ नहीं कह सकते और जो भी प्रत्याशी होगा पार्टी की विकास नीति के चलते जीत होना तय है।