लखनऊ। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में सभी सात चरणों का मतदान खत्म हो चुका है। सभी सियासी दलों ने जीत का दावा भी किया है लेकिन इन सबके बीच कोई भी जनता का मूड नहीं भांप पा रहा। ऐसे में त्रिशंकु विधानसभा के आसार के अटकलें तेज हो रही हैं।
कुछ लोगों के मुंह में गठजोड़ की बातें घुल रही हैं। किसके सिर बंधेगा जीत का ताज और किसकी सरकार बनेगी, यह तो मतगणना के बाद ही पता चलेगा।
रामलहर में भाजपा ने बनाई थी सरकार 1991 के विधानसभा चुनावों में भाजपा ने राम मंदिर आंदोलन के समय पूर्ण बहुमत की सरकार बनाई थी। उसे विधानसभा चुनावों में 211 सीटें मिली थीं।
इसके बाद प्रदेश में लगातार 16 सालों तक गठबंधन की सरकारें आती रहीं और जाती रहीं। इस दौरान प्रदेश में राजनीतिक अस्थिरता का भी माहौल रहा। कई बार राष्ट्रपति शासन लगा। बसपा ने तोड़ा “गठजोड़ राज” गठबंधन की सियासत झेल रहे यूपी में पहली बार बसपा ने गठजोड़ वाली सियासत का खात्मा किया।
मायावती ने 2007 के विधानसभा चुनावों में 16 साल बाद पूर्ण बहुमत की सरकार बनाई। मायावती को इन चुनावों में करीब 206 सीटें हासिल हुई थीं। सपा को भी मिला पूर्ण बहुमत इसके बाद 2012 के विधानसभा चुनावों में मायावती की एंटी इंकमबेंसी के खिलाफ समाजवादी पार्टी को पूर्ण बहुमत मिला था।
समाजवादी पार्टी ने 226 सीटों पर जीत हासिल की थी। मुलायम सिंह यादव ने खुद मुख्यमंत्री न बनते हुए अपने बेटे अखिलेश यादव को प्रदेश की कमान सौंपी थी। ज्यादातर चुनावी विशेषज्ञ अबकी बार त्रिशंकु विधानसभा का आंकलन कर रहे हैं।
राजनीति पंडितों के अनुसार अबकी बार किसी भी पार्टी को पूर्ण बहुमत मिलता हुआ नहीं देख रहा है। हालांकि कई चुनावी विश्लेषक सपा-कांग्रेस को बड़ी पार्टी के तौर पर देख रहे हैं तो कोई भाजपा को बड़ी पार्टी बता रहा है। अब जो भी हो, दो दिन बाद यानी 11 मार्च को मतगणना के बाद सभी कयासों पर विराम लग जाएगा।