इलाहाबाद। समूचे उत्तर प्रदेश में इलाहाबाद सबसे अधिक विधानसभा बारह सीटों वाला शहर है और इस कारण आगामी विधानसभा चुनाव में सभी की निगाहें इलाहाबाद पर ही टिकी हुई हैं।
आगामी 2017 के विधानसभा चुनाव के लिए भारत निर्वाचन आयोग द्वारा देश के पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव की घोषणा भी कर दी गयी। चुनावी घोषणा के साथ ही सियासी हलचल भी शुरू हो गई। ऐसे में सभी राजनीतिक दलों का पांच राज्यों में से सबसे ज्यादा फोकस उत्तर प्रदेश पर ही है।
उत्तर प्रदेश में भी इलाहाबाद पर सभी की निगाह है। 12 विधान सभा वाला यह जनपद हमेशा से सियासत की धुरी रहा है। यहां के कई सियासतबाजों की राजनैतिक पारी आज भी याद आने पर लोगों को गौरवान्वित करती है। जाहिर सी बात है कि इस जिले पर हर पार्टी की निगाह होगी।
आगामी विधानसभा चुनाव में चौथे चरण में 23 फरवरी को इलाहाबाद में वोट डाले जाएंगे। यहां सपा कम से कम अपने मौजूदा आठ विधायकों की संख्या बरकरार रखने की जोर आजमाइश करेगी। वहीं बसपा अपनी संख्या बढ़ाने की जद्दोजहद में होगी। जबकि भाजपा को अपना खाता खोलने के साथ-साथ ज्यादा सीटें जीतने की मशक्कत करनी होगी।
कांग्रेस फिलहाल अपनी इकलौती सीट के लिए भी संघर्षरत नजर आ रही है। वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने इलाहाबाद, फूलपुर एवं चायल तीनों सीटें भले ही जीती हों लेकिन वर्ष 2012 के विधानसभा चुनाव में यहां से भाजपा का खाता भी नहीं खुल सका था।
यहां तक की शहर उत्तरी एवं दक्षिणी तथा बारा की सीटें भाजपा की परम्परागत सीटें मानी जाती रही हैं, यहां पर भाजपा प्रत्याशी तीसरे स्थान पर रहे थे। बदलते समय के साथ साथ इस बार भी समीकरण बदलता नजर आ रहा है। सपा के मौजूदा विधायक बारा डा. अजय कुमार भारतीय भाजपा का दामन थाम चुके हैं।
इस बार भाजपा के सपने इसलिए भी उड़ान भर रहे हैं क्योंकि उसके पास प्रत्याशी चुनने की पर्याप्त संख्या है।
वर्ष 2012 में भाजपा का नहीं खुला था खाता
इलाहाबाद जिले की 12 विधानसभा सीटों में 8 सीट वर्ष 2012 के चुनाव में समाजवादी पार्टी के पाले में गयी थी। जिनमें मेजा, बारा, फूलपुर, सोरांव, हंडिया, फाफामऊ, इलाहाबाद शहर दक्षिणी और प्रतापपुर शामिल हैं। जबकि तीन सीटें बसपा के खाते में थीं, जिसमें शहर पश्चिमी, करछना और कोरांव शामिल है। वहीं एक सीट मात्र शहर उत्तरी कांग्रेस को मिली थी। जबकि भाजपा का यहां खाता तक नहीं खुला था।
जिले में हैं 43.37 लाख मतदाता
गत सितम्बर माह में जारी हुई संशोधित मतदाता सूची में करीब 1.13 लाख मतदाता हट गए थे। पहले कुल मतदाताओं की संख्या 43.99 लाख थी। जिसमें अब डीएम संजय कुमार के मुताबिक जिले में कुल 43,36,833 मतदाता हैं। जिनमें 23,86,101 महिलाएं एवं 19,50,273 पुरूष हैं और 459 किन्नर मतदाता हैं।
प्रदेश के 75 जिलों में विधानसभा सीटें आकड़ों की बात करें तो 403 विधानसभा सीटों वाले प्रदेश में दूसरे नम्बर पर कानपुर नगर और आजमगढ़ का नाम आता है। जहां कुल 10-10 विधानसभा सीटें हैं।
प्रदेश की राजधानी लखनऊ, सीतापुर, गोरखपुर, आगरा, बरेली, जौनपुर में 9-9, हरदोई, वाराणसी, बिजनौर, खीरी में 8-8, देवरिया, कुशीनगर, बलिया, गाजीपुर, बहराइच, गोंडा, मेरठ, बुलंदशहर, अलीगढ, सहारनपुर, प्रतापगढ़ में 7-7, रायबरेली, फतेहपुर, बाराबंकी, उन्नाव, शाहजहांपुर, बदायूं मुरादाबाद, मुजफ्फरनगर में 6-6, मिर्जापुर, महराजगंज, सुल्तानपुर, बस्ती, सिद्धार्थ नगर, अम्बेडकर नगर, फैजाबाद, गाजियाबाद, मथुरा, फिरोजाबाद, रामपुर में 5-5, चंदौली, सोनभद्र, मऊ, अमेठी, बलरामपुर, बांदा, झांसी, कानपुर देहात, मैनपुरी फर्रूखाबाद, अमरोहा, पीलीभीत में 4-4, भदोही, संतकबीर नगर, जालौन कौशाम्बी, शामली, बागपत, गौतम बुद्ध नगर, हापुड़, हाथरस, कासगंज, कन्नौज, इटावा, औरैया में 3-3, चित्रकूट, हमीरपुर, महोबा, ललितपुर, श्रावस्ती में 2-2 विधान सभा सीटें हैं।