लखनऊ। उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव के अंतिम चरण का मतदान समाप्त होते ही लोग परिणाम जानने को उत्सुक हैं। सभी की निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि सूबे की सत्ता अब किसके हाथ में होगी।
एक एग्जिट पोल के अनुसार भाजपा को दो सौ से अधिक सीटें मिलने की सम्भावना है। अगर अनुमान सही निकला तो भाजपा उप्र में सरकार बनाती दिख रही हैं। वहीं, 17वीं विधानसभा में प्रमुख विपक्षी दल बनने के लिए सपा-कांग्रेस गठबंधन और बसपा के बीच कांटे की टक्कर दिखाई दे रही है।
बसपा को 95 से 105 के बीच सीटें मिलने की सम्भावना के साथ सपा-कांग्रेस गठबंधन 85 से 100 सीटों के बीच सिमटता नजर आ रहा है। विधानसभा की कुल 403 सीटों के लिए उत्तर प्रदेश में सात चरणों में मतदान सम्पन्न हुए।
हर चरण में सगगुरु न्यूज ने नजर रखी तथा एग्जिट पोल किया गया। इसमें भाजपा को 196 से 215 के बीच सीटें मिलती दिखाई दे रही हैं। एग्जिट पोल में सपा-कांग्रेस गठबंधन और बसपा के अलावा 15 से 22 सीटें निर्दलियों व अन्य दलों के खाते में जाती दिख रही हैं।
वर्ष 2012 के विधान सभा चुनाव में भाजपा उत्तर प्रदेश के लगभग सभी जिलों में बहुत ही कमजोर थी। उस बार ज्यादातर सीटों पर सपा और बसपा ही लड़ाई में थी। पिछले चुनाव में सपा को 224 और बसपा को 80 सीटें मिली थीं जबकि भाजपा 47 विधानसभा क्षेत्रों में ही जीत दर्ज कर पायी थी।
इस बार की फिजा काफी बदली हुई थी। इसलिए भाजपा लगभग हर सीट पर प्रमुखता से लड़ती दिखी। इस दल के टक्कर में कहीं सपा तो कहीं बसपा नजर आई। प्रदेश की कुल 403 सीटों में से 84 अनुसूचित जाति और दो सीटें अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित हैं। उनमें से भी करीब 60 सीटों पर भाजपा लड़ाई में दिखी।
इस दल को इस बार ग्रामीण क्षेत्रों में भी बढ़त मिली। एग्जिट पोल के दौरान न्यूज एजेंसी के प्रतिनिधियों द्वारा पूछे गये सवालों के जवाब से पता चला कि ग्रामीण क्षेत्रों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रति विश्वास में इजाफा हुआ है। गांव के लोगों ने नोटबंदी के निर्णय को भी सराहा है।
इसके अलावा उज्जवला योजना के तहत बांटे गए घरेलू गैस कनेक्शन से भी गरीबों और मजदूरों के अंदर मोदी को लेकर उम्मीद जगी है। इस बार चुनाव के दौरान प्रत्येक चरण में मतदान के प्रतिशत में भी बढ़ोत्तरी दर्ज की गई। पिछले चुनाव में जहां औसत 59.40 प्रतिशत वोट पड़े थे, वहीं इस बार इसका औसत 61 फीसदी से अधिक रहा।
मतदान में हुई इस बढ़ोतरी का फायदा भी भाजपा को ही मिलता नजर आया। एग्जिट पोल में करीब चालीस हजार लोगों से बात की गई, जिसमें 49 फीसदी से अधिक मत भाजपा गठबंधन (भाजपा के सहयोगी दल-अपना दल और भारतीय समाज पार्टी) के पक्ष में रहे जबकि बसपा प्रत्याशियों के पक्ष में करीब 24 और सपा-कांग्रेस गठबंधन की झोली में लगभग 22 प्रतिशत मतदान दिखा। करीब पांच फीसदी मतदाताओं ने निर्दलीय व अन्य दलों के उम्मीदवारों को पसंद किया।
क्या है एग्जिट पोल?
किसी भी चुनाव में मतदान से पहले मतदाताओं की जो रायशुमारी होती है, उसे ओपिनियन पोल कहा जाता है। वहीं मतदान के दिन जब मतदाता अपना वोट डालकर बूथ से बाहर निकलता है तो उससे उसके वोट के बारे में ली गई जानकारी ‘एग्जिट पोल’ कहलाता है। इन दोनों सर्वे में सैंपल साइज जितना बड़ा होता है, यानि जितने अधिक मतदाताओं तक सर्वे टीम की पहुंच होती है, परिणाम उतना ही सटीक और विश्वसनीय होता है।
भारत में ओपिनियन पोल और एग्जिट पोल का प्रयोग बहुत पहले से हो रहा है। विभिन्न मीडिया संस्थान व अन्य एजेंसियां चुनावों के दौरान इसे करती रही हैं। हालांकि वर्ष 1998 में भारत निर्वाचन आयोग ने चुनाव पूर्व सर्वेक्षणों और एग्जिट पोल के प्रकाशन पर रोक लगा दी थी। परिणामस्वरुप उस वर्ष किसी प्रकार का सर्वे प्रकाशित नहीं हुआ था।
वर्ष 1999 के लोकसभा चुनाव में भी आयोग के रोक के बावजूद कई मीडिया घरानों ने सर्वे रिपोर्ट जारी कर दी तो चुनाव आयोग ने उच्चतम न्यायालय में अर्जी दी। इस पर अदालत ने कहा कि आयोग को ऐसा आदेश देने का कोई अधिकार नहीं है। फिर चुनाव आयोग के अनुरोध पर केंद्र सरकार ने सन् 2010 में जन प्रतिनिधित्व कानून में आंशिक बदलाव करके एग्जिट पोल पर रोक लगा दी थी।
विदेशों में इंग्लैंड में ओपिनियन पोल पर कोई रोक नहीं है। वहां मतदान होने के बाद एग्जिट पोल प्रकाशित किए जा सकते हैं। इसी तरह अमरीका में भी ओपिनियन पोल लोकतांत्रिक व्यवस्था के हिस्सा माने जाते हैं। हालांकि, फ्रांस में वर्ष 1977 में सात दिन पहले के ओपिनियन पोल पर रोक लगाई गई थी, लेकिन वहां की एक अदालत ने इसे अभिव्यक्ति की आजादी पर रोक मानते हुए खारिज कर दिया था।
अब वहां भी 24 घंटे पहले तक ओपिनियन पोल दिया जा सकता है। हिन्दुस्थान समाचार ने कैसे किया एग्जिट पोल उत्तर प्रदेश विधानसभा के चुनाव इस बार 11 फरवरी से आठ मार्च तक सात चरणों में सम्पन्न हुए। टीम सबगुरु ने टीम ने हर चरण में मतदान के दिन मतदान केंद्रों का दौरा किया और इस दौरान मतदान के बाद मतदाताओं के बीच रायशुमारी की। जिसके आधार पर यह एग्जिट पोल तैयार किया गया है।
कब-कब हुए मतदान
प्रथम चरण में 15 जिलों की 73 सीटों पर 11 फरवरी को वोट डाले गए। दूसरे चरण में 11 जिलों की 67 सीटों के लिए 15 फरवरी को हुआ मतदान। तीसरे चरण में 12 जिलों की 69 सीटों पर 19 फरवरी को मतदान हुआ। चौथे चरण में 12 जिलों की 53 सीटों पर 23 फरवरी को मतदान हुआ। पांचवे चरण में 12 जिलों की 51 सीटों के लिए 27 फरवरी को मतदान हुआ। इस चरण में 52 सीटों पर मतदान होना था, लेकिन एक प्रत्याशी की मौत के कारण वहां 9 मार्च को मतदान हुआ। छठे चरण में सात जिले की 49 सीटों पर 04 मार्च को मतदान हुआ। सातवें व अंतिम चरण में सात जिलों की 40 सीटों पर 08 मार्च को मतदान हुआ।
पिछले विधानसभा चुनाव की स्थिति
वर्ष 2012 के चुनाव में कुल सीटों की संख्या-403
प्रत्याशियों की कुल संख्या-6839
मतदाताओं की कुल संख्या-करीब 12.75 करोड़
उस समय भी सात चरणों में हुए थे चुनाव
मतदान प्रतिशत-59.40 रहा
2012 के चुनाव परिणाम में विभिन्न दलों की स्थिति-
दल सीटें मत प्रतिशत
सपा 224 29.13 प्रतिशत
बसपा 80 25.91 प्रतिशत
भाजपा 47 15 प्रतिशत
कांग्रेस 28 11.65 प्रतिशत
रालोद 09 2.33 प्रतिशत
अन्य 09 प्रतिशत
वर्ष 2017 की स्थिति
कुल सीटों की संख्या-403
प्रत्याशियों की कुल संख्या-4853
मतदाताओं की कुल संख्या-करीब 14.13 करोड़
सात चरणों में हुए चुनाव
मतदान प्रतिशत-करीब 61 प्रतिशत
एग्जिट पोल में विभिन्न दलों की स्थिति
दल सीटें मत प्रतिशत सपा-कांग्रेस 85-100 तथा 22 प्रतिशत मत
बसपा 95-105 तथा 24 प्रतिशत मत
भाजपा गठबंधन 196-215 तथा 49 प्रतिशत मत
अन्य 15-22 तथा 05 प्रतिशत मत
https://www.sabguru.com/uttar-pradesh-elections-2017-congress-bjp-upbeat-forming-next-government-uttar-pradesh/