लखनऊ। उत्तर प्रदेश के राज्यपाल रामनाईक ने एक सवाल के जवाब पर कहा कि मैं भारतीय जनता पार्टी का नहीं, लेकिन आरएसएस का हूँ। जिस दिन मूझे उत्तर प्रदेश के राज्यपाल बनने की सूचना मिली, उसके तुरन्त बाद मैंने भाजपा की सदस्यता से इस्तिफा दिया।
आज मैं एक संवैधानिक पद पर हूँ। इस नाते अब राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप मामले में मेरा बोलना ठीक नहीं है।
नाईक ने बुधवार को अपने एक वर्ष कार्यकाल के पूरा होने पर पत्रकारों से वार्ता के दौरान उक्त बातें कही। उन्होंने कहा कि अपवादवश मैंने तय किया है कि उत्तर प्रदेश सरकार के कैबिनेट मंत्री आजम खां के किसी भी प्रतिक्रिया का जवाब मैं नहीं दूंगा।
राज्यपाल ने विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं और नियुक्ति में एक जाति विशेष के लोगों को प्रश्रय देने के सवाल पर कहा कि मूझे समाचार पत्रों से जानकारी हुई है, इस मामले में भी सरकार से सच्चाई जानने का प्रयास करुँगा।
एक वर्ष: 419 कार्यक्रमों में शिरकत, 5,810 लोगों से मुलाकात
अपने कार्यकाल का लेखा-जोखा प्रस्तुत करते हुए राज्यपाल ने बताया कि अपने एक वर्ष के कार्यकाल में राजभवन में 5,810 लोगों से मुलाकात की, लखनऊ में 206, पूरे प्रदेश में 110 तथा प्रदेश के बाहर विभिन्न राज्यों के 42 कार्यक्रमों में भाग लिया। इसके अलावा 21 राज्य विश्वविद्यालयों तथा 8 निजी व केन्द्रीय विश्वविद्यालयों के दीक्षान्त समारोह में शिरकत की। इसके साथ ही राजभवन में 32 कार्यक्रमों का आयोजन किया गया।
उन्होंने बताया कि संवैधानिक पद पर बैठे एक व्यक्ति को कई प्रकार के कार्य करने होते है। मैं अपने एक वर्ष के कार्यकाल में 29 मंत्रियों के साथ मुलाकात और विभिन्न विषयों पर चर्चा की।
राजभवन के प्रति लोगों में आस्था जगी
राज्यपाल रामनाईक ने पत्रकारों से कहा कि राजभवन की सक्रियता के कारण अब आमजन में भी इसके प्रति आस्था जगी है। कहा कि जनता को यह जानने का अधिकार है कि उनके जनप्रतिनिधि या संवैधानिक संस्थाओं पर बैठे लोग क्या कर रहे हैं, उनकी कार्य पद्धति क्या है तथा उनका योगदान क्या है। अपने राजनीतिक जीवन में हमेशा अपने कार्य का रिपोर्ट जनता को देता रहा हूँ, आज भी उसी की एक बानगी के रुप में प्रस्तुत है ‘‘राजभवन में रामनाईक’’।
उन्होंने बताया कि मैं राज्य और केन्द्र के बीच एक सेतु हूँ, इस दृष्टि से भी कई कार्य करने पड़ते हैं। एक वर्ष में राष्ट्रपति को 29, प्रधानमंत्री को 37, उपराष्ट्रपति तथा केन्द्रीय मंत्रियों को 64 तथा उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री समेत अन्य मंत्रियों को 175 पत्र भेजा। इसके अलावा वर्षभर में 368 प्रेस विज्ञप्तियां राजभवन से जारी की गयी। जिसका परिणाम यह रहा है कि जनता के द्वारा विभिन्न विषयों से संबंधित 14 सौ पत्र मूझे मिला है।
उन्होंने कहा कि सरकार के कामकाज पर लगातार निगरानी रखते हुए पूरी मर्यादा के साथ अपना संवैधानिक दायित्व निभाया है।