लखनऊ। जल निगम से जुड़े एक मामले में प्रदेश के कैबिनेट मंत्री आजम खां बुधवार को इलाहाबाद की हाईकोर्ट पेश हुए। एक मार्च को कोर्ट में पेश न होने पर उनके खिलाफ कोर्ट ने वारंट भी जारी किया था।
छह व सात मार्च को कोर्ट में पेश न होने के बाद उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी थी। सर्वोच्च न्यायलय ने फटकार लगाते हुए बुधवार को हाईकोर्ट में पेश होने निर्देश दिए। मंत्री के पेशी के बाद कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई 21 मार्च को होगी।
गौरतलब है कि जल निगम ने 2013 में अपने एक इंजीनियर के मामले में ट्रिब्यूनल के ऑर्डर को र्हाईकोर्ट में चैलेंज किया। ट्रिब्यूनल ने इस अफसर के खिलाफ जल निगम के ऑर्डर को किनारे कर राहत दी थी।
टिब्यूनल ने कहा था कि इस ऑर्डर पर उस अफसर के दस्तखत नहीं है, जिसके होने चाहिए। तीन साल से ज्यादा वक्त के बाद जल निगम ने एफिडेविट देकर कहा कि लेटर पर जो दस्तखत थे, वो सही अथॉरिटी के थे।
इस पर हाईकोर्ट ने कहा था कि अगर वो ही दस्तखत सही थे तो ये 2013 के एफिडेविड में ही क्यों नहीं बताया। इस पर कोर्ट ने आजम खान, एमडी और चीफ इंजीनियर से पूछा कि अब क्यों ये किया जा रहा है। इसका मतलब दस्तावेजों में हेराफेरी की गई है।
हाईकोर्ट ने इन सभी को कोर्ट के सामने पेश होने को कहा। एमडी और चीफ इंजीनियर तो 1 मार्च को हाजिर हो गए लेकिन आजम पेश नहीं हुए। उन्होंने पेश होने के बजाए सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर कर दी। इसी पर मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई थी।
जहां कोर्ट ने आजम को जमकर फटकार लगाया और आठ मार्च को इलाहाबाद की हाईकोर्ट की बेंच में पेश होने के आदेश दिए। बुधवार को वह कोर्ट में पेश हुए। जहां कोर्ट ने आजम खां के मामले जांच की कार्यवाही के आदेश दिए और अगली सुनवाई 21 मार्च को कर दी है।