बागपत। उत्तरप्रदेश में प्राथमिक व जूनियर हाईस्कूल में पढ़ाने की शिक्षक पात्रता परीक्षा समाप्त होने में केवल आठ महीने बचे हैं। ऐसे में बीएड बेरोजगारों के सामने परेशानी खड़ी हो सकती है।
यह परीक्षा 72 हजार 825 शिक्षकों की भर्ती के लिए योग्य मानी गई थी। तब बसपा के शासन में टीईटी की परीक्षा में मैरिट के आधार पर नियुक्ति किए जाने की घोषणा की थी। बाद में इस भर्ती के लिए सपा के शासन में काफी अडंगे लगे थे। सुप्रीम कोर्ट तक इन नियुक्तियों का मामला खिंचा था।
बाद में टीईटी मेरिट के आधार पर ही यह नियुक्तियां र्हुइं। कुल रिक्तियों में से करीब 14 हजार रिक्तियां शेष हैं। टीईटी 2011 के उत्तीर्ण के प्रमाण पत्रों की वैधता समाप्त हो रही है। ऐसे में बीएड बेरोजगारों के सामने परेशानी खड़ी हो गई है।
वर्ष 2011 में प्रदेश में सबसे पहले शिक्षक पात्रता परीक्षा आयोजित हुई थी। प्रदेश के प्राथमिक विद्यालयों में शिक्षकों की रिक्तियां भी खाली थीं। तब प्रदेश सरकार ने 72 हजार 825 शिक्षकों की भर्ती निकाली थीं। इन भर्तियों में टीईटी 2011 की परीक्षा उत्तीर्ण करने वालों में से मेरिट के आधार पर नियुक्तियां होने की घोषणा की गई थी।
कुछ समय पश्चात प्रदेश में सत्ता परिवर्तन हुआ और प्रदेश में सपा की सरकार बनी। सपा की ओर से इन रिक्तियों को भरने के लिए दूसरे मानक तय किए गए। मामला हाईकोर्ट से सुप्रीम कोर्ट में पहुंचा। सुप्रीम कोर्ट ने टीइटी की मेरिट पर भी भर्ती करने का निर्णय दिया। प्रदेश में धीरे-धीरे करीब 59 हजार रिक्तियां ही अभी तक भरी र्गइं।
करीब 14 हजार रिक्तियां अभी शेष हैं। इस भर्ती में टीईटी 2011 उत्तीर्ण अभ्यर्थी ही शामिल हो सकते हैं। एक बार शिक्षक पात्रता परीक्षा में सफल होने वाला अभ्यर्थी पांच साल बाद ही शिक्षक पात्रता परीक्षा दे सकता है। हालांकि जूनियर हाईस्कूल के लिए ऐसी कोई बंदिश रही। उन्हें दूसरी बार जूनियर हाईस्कूल के लिए टीईटी परीक्षा में बैठने का मौका दिया गया।
अब केवल बीटीसी उत्तीर्ण ही बन सकते हैं शिक्षक
बड़ौत प्रदेश सरकार ने प्रदेश के प्राथमिक विद्यालयों में रिक्तियां अधिक होने और बीटीसी प्रशिक्षुओं के कम होने को लेकर केन्द्र सरकार से बीएड डिग्री धारकों को विशेष बीटीसी का प्रशिक्षण देकर शिक्षक बनाने की अनुमति ली थी। 72 हजार 825 रिक्तियों में अधिकांश बीएड डिग्री धारक ही शामिल हुए। टीईटी 2011 की वैधता इस साल नवंबर में समाप्त हो रही है।
इन नियुक्तियों का मामला अभी तक हाईकोर्ट में विचाराधीन है। बीएड डिग्री धारक अब प्राथमिक विद्यालयों में शिक्षक नहीं बन सकते हैं। ऐसे में अब शेष सीटों के लिए आस लगाए बैठे बीएड डिग्रीधारक व शिक्षक पात्रता परीक्षा 2011 में सफल अभ्यर्थियों के सामने संकट बन गया है।
यदि यह मामला नवंबर तक नहीं निपटता है तो 14 हजार रिक्तियां खाली ही रह जाएंगी। चूंकि प्रदेश सरकार ने टीइटी 2011 में सफल हुए अभ्यर्थियों को अभी तक टीइटी में दोबारा बैठने का मौका नहीं दिया।
पांच साल से कर रहे हैं शिक्षक बनने का इंतजार
बड़ौत। नगर निवासी रवि कुमार ने शिक्षक पात्रता परीक्षा 2011 उत्तीर्ण की थी। उसे पूरी उम्मीद थी कि वह प्राथमिक विद्यालय में शिक्षक बन जाएगा। प्रदेश सरकार की लापरवाही के कारण उनके पांच साला खराब हो गए। वह कहते हैं कि इंतजार करते हुए अब वह दूसरा कोई काम भी नहीं शुरु कर पाया।
इसी तरह राजीव निवासी बड़ौत, अलीहसन निवासी असारा, देवेन्द्र निवासी बावली आदि अनेक बीएड प्रशिक्षु शिक्षक हैं। शिक्षक बनने का इंतजार करते हुए वह बेरोजगार हो गए हैं। उन्होंने बताया कि यदि प्रदेश सरकार तुरंत निर्णय ले लेती तो और उनका शिक्षक बनने का नंबर भी न आता तो कम से कम वह दूसरी जगह कुछ रोजगार कर सकते थे। उन्हें इंतजार भी कराया जा रहा है और रोजगार भी नहीं दिया जा रहा है।