![राज्यसभा में भाजपा नहीं उतारेगी प्रत्याशी,बिगड़ सकता है हरीश रावत का खेल राज्यसभा में भाजपा नहीं उतारेगी प्रत्याशी,बिगड़ सकता है हरीश रावत का खेल](https://www.sabguru.com/wp-content/uploads/2016/05/bjp-1.jpg)
![uttarakhand : BJP not field candidates for Rajya Sabha](https://www.sabguru.com/wp-content/uploads/2016/05/bjp-1.jpg)
देहरादून। उत्तराखंड विधानसभा में फ्लोर टेस्ट के दौरान किरकिरी के बाद अब भाजपा राज्यसभा चुनाव को लेकर फूंक-फूंक कर कदम रख रही है।
संख्या बल के हिसाब से भाजपा अकेले अपने दम पर किसी को राज्यसभा में भेजने की स्थिति में नहीं है। पार्टी ने इस समीकरण को देखते पार्टी के सिंबल पर किसी को भी चुनाव न लड़ाने का फैसला किया है।
पार्टी ने विधानसभा में अपनी सदस्य संख्या को कम बताते हुए किसी को चुनाव न लड़ाने का ऐलान किया है। हालांकि भाजपा की इस रणनीति को राजनीतिक विश्लेषक मुख्यमंत्री हरीश रावत पर भाजपा द्वारा चली गई एक चाल बता रहे हैं।
उनका मानना है कि भाजपा अब पीडीएफ या किसी ऐसे प्रत्याशी को अपना समर्थन दे सकती है जिससे कांग्रेस का अधिकृत प्रत्याशी चुनाव हार जाए और मुख्यमंत्री की एक बार फिर किरकिरी हो। भाजपा की इस रणनीति से मुख्यमंत्री हरीश रावत का खेल खराब हो सकता है।
हालांकि सूत्रों की माने तो इससे पहले भाजपा ने सतपाल महाराज को राज्यसभा प्रत्याशी बनाकर तुरुप का पत्ता फेंकने की कोशिश की थी, लेकिन उन्होंने इंकार कर दिया। इसके बाद फैसला पार्टी कोर कमेटी पर छोड़ दिया गया। जहां आज कोर कमेटी की बैठक में भाजपा के रणनीतिकारों ने ये फैसला लिया है।
इससे अब स्पष्ट हो गया है कि राज्यसभा चुनाव में भाजपा कांग्रेस को घेरने की कोशिश करेगी। इसके लिए पार्टी ने अपने सभी विकल्प खुले रखे हैं। चाहे वह पीडीएफ को समर्थन देने की बात हो या फिर राज्यसभा चुनाव में किसी अन्य प्रत्याशी को जीत का सेहरा पहनाने की।
पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट अभी पीडीएफ को समर्थन देने के सवाल पर कह रहे हैं कि अभी हमारे पास उनकी तरफ से कोई प्रस्ताव नहीं आया है। लेकिन जानकारों का कहना है कि भाजपा और पीडीएफ के बीच इस मुद्दे को लेकर खिचड़ी पक रही है।
भाजपा पीडीएफ को राज्यसभा सीट ऑफर कर हरीश रावत सरकार को अस्थिर करने की कोशिश कर सकती है। इन सभी मुद्दों को लेकर सोमवार को भाजपा कोर कमेटी की मीटिंग हुई है। मीटिंग के बाद राज्यसभा चुनाव को लेकर पार्टी अपनी रणनीति का खुलासा किया है।
उधर पूर्व सांसद प्रदीप टम्टा को उनकी जगह प्रत्याशी घोषित करने से गुस्साए कांग्रेस नेता यशपाल आर्य कांग्रेस के लिए मुसीबत खड़ी कर सकते हैं। हालांकि बीजापुर के मुख्यमंत्री आवास पर सीएम की आर्य से बातचीत तो हुई लेकिन उनकी नाराजगी अभी दूर नहीं हुई है।
उधर, पीडीएफ के कांग्रेस के पक्ष में रोलबैक की कोशिशें भी सिरे नहीं चढ़ रही जिससे कांग्रेस की राज्यसभा चुनाव में चुनौती बढ़ती दिख रही है। कांग्रेस आलाकमान की सूची दिल्ली से जारी होते ही यशपाल आर्य ने अपनी नाराजगी जता दी।
आर्य ने इस बात पर आपत्ति जताई है कि उनका पत्ता काट कर राज्यसभा प्रत्याशी टम्टा को बनाया गया। उनका कहना था कि 18 मार्च के सियासी संकट में आर्य सीएम के साथ डटे रहे थे, जिससे उम्मीद जताई जा रही थी कि राज्यसभा में उनकी दावेदारी सब पर भारी पड़ेगी।
दलित नेता को राज्यसभा टिकट मिलने की चर्चाओं से भी आर्य की दावेदारी और मजबूत दिख रही थी, लेकिन उनके मुकाबले टम्टा को मिली तरजीह अब कांग्रेस के गणित पर भारी पड़ सकती है।
उधर इस मामले पर पूछने पर राजस्वमंत्री यशपाल आर्य ने कहा कि नाराजगी जैसी तो कोई बात नहीं है। राज्यसभा चुनाव को लेकर सीएम से चर्चा हुई। पीडीएफ की दावेदारी के साथ कुछ मसले हैं जिनपर बातचीत हुई है।
हालांकि सोमवार को मुख्यमंत्री ने दिल्ली जाने से पहले आर्य के प्रभाव वाले जिले ऊधमसिंह नगर के जिलाधिकारी और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक का तबादला आननफानन में किया। इस तबादले को सियासी जगत में आर्य को साधने की मुख्यमंत्री की रणनीति के तौर पर देखा जा रहा है। दोनों अधिकारियां की आर्य से काफी निकटता रही है।