नई दिल्ली। लोकसभा ने सोमवार को उत्तराखंड राज्य का बजट 2016-17 पारित कर दिया। कांग्रेस ने इसके विरोध में सदन का बहिष्कार किया।
सोमवार को वित्तमंत्री अरूण जेटली ने बजट को सदन के पटल पर रखा। उन्होंने कहा कि राज्य पिछले कुछ समय से राष्ट्रपति शासन के अंतर्गत है ऐसे में संवैधानिक ज़रुरत है कि राज्य से जुड़ा बजट सदन में पारित किया जाए। मार्च में एक अध्यादेश के माध्यम से सरकार ने बजट रखा था। जिसे छह महीने में पारित किया जाना ज़रुरी था।
वित्त मंत्री अरूण जेटली ने कहा कि उत्तराखंड में 18 मार्च को विधानसभा अध्यक्ष के फैसले से राज्य की संवैधानिक मशीनरी ध्वस्त हो गई थी जिसके कारण केन्द्र सरकार के उत्तराखंड विनियोग (लेखानुदान) अध्यादेश लाना पड़ा था।
वहीं कांग्रेस ने बजट सदन में लाये जाने का विरोध किया। पार्टी का कहना है कि मंगलवार को उत्तराखंड में सरकार का शक्ति परिक्षण होना है ऐसे में सरकार को एक दिन पहले बजट प्रस्ताव लाने की क्या जल्दबाजी थी?
जेटली ने लोकसभा में उत्तराखंड का बजट तथा अनुदान मांगें पेश करते हुए कहा कि संविधान में विधानसभा को बजट पारित करने का अधिकार है और उत्तराखंड विधानसभा में 18 मार्च को बजट पेश किया गया था। बजट पारित करते समय सत्ता पक्ष के नौ सदस्यों ने विरोध में मतदान किया।
जेटली ने कहा कि सदन में मौजूद 67 सदस्यों में से 35-36 सदस्य बजट के विरोध में मतदान करें तो सरकार गिर जाती है लेकिन 18 मार्च को सदन के अध्यक्ष ने मतविभाजन की मांग ठुकरा दी और बजट को ध्वनिमत से पारित घोषित कर दिया।
बाद में 27 भाजपा विधायकों और नौ बागी कांग्रेस विधायकों ने राज्यपाल को लिखित में बताया कि उन्होंने बजट के विरूद्ध मतदान किया है।