देहरादून। उत्तराखण्ड सरकार द्वारा प्रदेश सरकार भंग किए जाने की चर्चा इन दिनों जोरों पर है मुख्यमंत्री का दिल्ली दौरा होते ही इन अटकलों को और तेजी मिल जाती है। कांग्रेस संगठन में मचे आपसी घमासान तथा सरकार और संगठन के बीच चल रहे अन्तरद्वन्द ने इस मुद्दे को और हवा दी है।
प्रदेश कांग्रेस सरकार के कई वरिष्ठ मंत्री मुख्यमंत्री के कार्यशैली से असंतुष्ट चल रहे हैं। इनमें संगठन के पूर्व अध्यक्ष एवं वरिष्ठ मंत्री यशपाल आर्य का नाम भी शामिल है। यशपाल आर्य कांग्रेस के वरिष्ठ नेता तो है ही लगभग आधा दर्जन विभागों का काम भी देख रहे है।
राज्यसभा में प्रदीप टम्टा को भेजे जाने के बाद पार्टी के दलित नेताओं में काफी हंगामा था लेकिन आला कमान के दबाव तथा मुख्यमंत्री हरीश रावत द्वारा इस काम में वरिष्ठतम मंत्री डा. इंदिरा हृदयेश को लगाए जाने के बाद मामला तो शान्त हो गया और मुख्यमंत्री ने अपना वादा भी निभा दिया यानी लगभग नौ विधायकों को शपथ दिलाकर कैबिनेट मंत्री का दर्जा दिला दिया लेकिन यशपाल आर्य की नाराजगी अभी भी कम नहीं हुई है।
दूसरी ओर संगठन के प्रमुख किशोर उपाध्याय पीडीएफ को लेकर असहज है। तीन मंत्री जो पीडीएफ कोटे से है इनमें दिनेश धनै, हरीशचन्द्र दुर्गापाल तथा मंत्री प्रसाद नैथानी जो पुराने कांग्रेसी रहे है। वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं को हरा कर निर्दलीय रूप से विधानसभा पहुंचे है। दिनेश धनै ने पार्टी प्रमुख किशोर उपाध्याय को हराया था।
अब जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आते जा रहे है कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं की छटपटाहट बढ़ रही है। अभी हाल में ही मुख्यमंत्री हरीश रावत ने संगठन के वरिष्ठ नेताओं में से एक और पार्टी उपाध्याक्ष जोत सिंह विष्ट को भी नाराज कर दिया।
मुख्यमंत्री के टिप्पणियों से नाराज विष्ट ने अपनी नाराजगी जोरदार ढ़ंग से जाहिर की है। पार्टी तथा सरकार दोनों में अपने ही सहयोगियों का विरोध झेल रहे हरीश रावत अब बहाने तलाश रही है अब उन्हें कोई बहाना मिले चुनाव आने से पहले ही सरकार भंग करा दे ताकी उन्हें और ज्यादा विरोध न झेलना पड़े।
मुख्यमंत्री के दिल्ली दौरे से पहले ही राजधानी में चर्चा जोरेा पर है की कांग्रेस सरकार विधानसभा भंग करा सकती है। वैसे भी इनदिनों ग्यारह विधायकों की सीटे रद्द है।
इनमें रूद्रप्रयाग जिले की केदारनाथ के विधायक शैलारानी रावत, रूद्रप्रयाग के डा. हरक सिंह, नरेन्द्र नगर के सुबोध उनियाल, रायपुर के उमेश शर्मा काउ रूडक़ी के प्रदीप बत्रा, खानपुर विधायक कुवंर प्रणव सिंह चैंपियन, भीमताल के दानसिंह भण्डारी, रामनगर की अमृता रावत, जसपुर के डा. शैलेन्द्र मोहन सिंघल, घनशाली विधायक भीमलाल आर्य, सोमेश्वर विधानसभा की रेखा आर्या के नाम शामिल है जो अब विधान सभा सदस्य नहीं है।
11 विधायकों का कम होना तथा कुछ विधायकों का आंखे दिखाना सरकार के लिये खतरा बना हुआ है। यदि चार -पांच विधायक सरकार की ओर से हाथा खींच ले तो सरकार का गिरना तय है। ऐसे में रोज-रोज व्लैक मेल होने से अच्छा सरकार भंग करना ही उचित रहेगा। यही कारण है कि राजनीतिक जानकार भी अब सरकार भंग होने की चर्चाओं से असहज नहीं होते।
अपने बोझ से गिरेगी सरकार: बहुगुणा
पूर्व मुख्यमंत्री एवं वर्तमान भाजपा के राष्ट्रिय कार्यकारी सदस्य विजय बहुगुणा ने एक साक्षात्कार में कहा की यह सरकार अपने बोझ से ही गिर जाऐगी। उन्होंने कहा कि चुनाव से पहले यह सरकार एक बार और टूटेगी। इसका कारण वर्तमान मुख्यमंत्री की कार्यशैली है। बहुगुणा का आरोप है कि हरीश रावत सामूहिक नेतृत्व में विश्वास नहीं रखते। उल्लेख करना होगा कि पिछले दिनों कहा था न लेखा न बही जो हरीश रावत कहें वही सही। बहुगुणा की माने तो मतभेद के साथ मनभेद वाली सरकार ज्यादा दिन की मेहमान नहीं है।
असंतोष दबाने को सी.एम कर सकते हैं संस्तुति: भट्ट
नेता प्रतिपक्ष एवं भाजपा प्रदेश अजय भट्ट मानते है कि मुख्यमंत्री हरीश रावत कांग्रेस में उठ रहे असंतोष को दबाने के लिए कभी भी विधानसभा भंग कर सकते है। भट्ट का कहना है कि सत्ता और संगठन में जोरदार अन्तर विरोध चल रहे है जो सरकार को बहुत ज्यादा दिन तक चलने नहीं देंगे। यही कारण है कि मुख्यमंत्री अब विधानसभा भंग करने का मानस बना रहे है।
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष के अनुसार अन्तर विरोध को दबाने का इससे बड़ा मौका शायद ही हरीश रावत को हाथ लगे। आर्थिक कुप्रबंधन तथा अव्यवस्थाओं को दबाने का इससे अधिक कोई कारगर दाव हरीश रावत के लिए नहीं होगा। भट्ट का कहना है कि भाजपा पूरी तरह चुनाव के लिए तैयार है।