नई दिल्ली। केन्द्र सरकार उत्तराखण्ड की हरीश रावत सरकार को फ्लोर टेस्ट का मौका देगी। सुप्रीम कोर्ट की ओर से जवाब मांगने पर शुक्रवार को केन्द्र सरकार ने यह सहमति जताई है। इस सहमति के बाद हरीश रावत सरकार फ्लोर टेस्ट कर सकती है। इसमें कांग्रेस के नौ बागी विधायक भाग नहीं ले सकेंगे। वहा पर 10 मई को 11 से 1 बजे तक मतदान होगा। मतदान के दौरान के दो घंटे दौरान वहा राष्ट्रपति शासन नही रहेगा। ये सुप्रीम कोर्ट की देखरेख मे होगा। विधानसभा के मुख्य सचिव को कोर्ट ने ओब्जर्वर रखा गया है।
उत्तराखंड में शक्ति परीक्षण कराने पर केंद्र सरकार को शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में अपना जवाब दाखिल करना था। कोर्ट ने केंद्र सरकार को अदालत की निगरानी में शक्ति परीक्षण कराने पर विचार करने के लिए बुधवार को दो दिन का समय दिया था। केंद्र सरकार को मिली 48 घंटे की मोहलत शुक्रवार को समाप्त हो गई थी।
इससे पहले अटार्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने शक्ति परीक्षण कराने पर विचार करने के लिए सुप्रीम कोर्ट से 48 घंटे का समय मांगा। अदालत ने 06 मई तक के लिए मामले की सुनवाई स्थगित कर दी है।
अटार्नी जनरल ने कहा था कि सरकार अदालत के राज्य विधानसभा में शक्ति परीक्षण कराने के सुझाव पर गंभीरता से विचार कर रही है लेकिन इस बाबत उन्हे कोई निर्देश नहीं दिए गए हैं। अदालत केंद्र सरकार को निर्णय लेने के लिए थोड़ा वक्त और दे।
अदालत ने केंद्र के अनुरोध को स्वीकार करते हुए इस मामले पर 06 मई को जवाब दाखिल करने का निर्देश देते हुए स्पष्ट शब्दों में कहा था कि केंद्र हमें अपना निर्णय बताए और अगर सरकार निर्णय नहीं ले सकती तो इस बारे में हम खुद अपना निर्णय ले लेंगे कि उत्तराखंड में शक्ति परीक्षण कराना है या नहीं।
सुप्रीम कोर्ट उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन हटाए जाने के नैनीताल हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ केंद्र सरकार की याचिका पर सुनवाई कर रही है। सुप्रीम कोर्ट ने राज्य में राष्ट्रपति शासन रद्द करने के नैनीताल हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगा रखी है। राज्य में फिलहाल राष्ट्रपति शासन लागू है।