नई दिल्ली। केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने उत्तराखंड के मुख्यमंत्री हरीश रावत से विधायकों की खरीद फरोख्त स्टिंग मामले में पांच घंटे की पूछताछ के बाद 7 जून को दोबारा पेश होने को कहा है। रावत को इस वीडियो में कथित रूप से बागी कांग्रेसी विधायकों का समर्थन हासिल करने के लिए सौदा करते हुए दिखाया गया था।
मुख्यमंत्री हरीश रावत मंगलवार को दिल्ली में सीबीआई मुख्यालय के सामने पेश हुए। दिन भर हरीश रावत से लंबी पूछताछ हुई। रावत सुबह 10.55 पर सीबीआई मुख्यालय में पहुंचे और 4 बजे वहां से निकले। उन्हें 7 जून को फिर तलब किया गया है।
सीबीआई मुख्यालय के लिए निकलते वक्त मुख्यमंत्री हरीश रावत ने मंगलवार को संवाददाताओं से बातचीत के दौरान कहा था कि वे सीबीआई को सहयोग करेंगे और सीबीआई के सवालों के जवाब देने के लिए 24 मई को दिल्ली जाएंगे।
रावत ने कहा कि मैंने सिर्फ यह स्वीकार किया है कि मैं उस शख्स से सिर्फ मिला था जो पत्रकार के संपंर्क में था। इसलिए इस मामले में पीड़ित मैं हूं और वो शख्स आरोपी है। इसके अलवा मुझे जो भी कहना है मैं सीबीआई को बताऊंगा।
हरीश रावत सोमवार को ही दिल्ली पहुंच चुके थे। ऐसे में यह माना जा रहा है कि वह इस दौरान पार्टी हाईकमान से आगामी 11 जून को होने वाले राज्यसभा चुनाव के मद्देनजर उम्मीदवार तय करने के बारे में भी बातचीत करेंगे।
वहीं इस मुद्दे पर प्रतिक्रिया देते हुए मुख्यमंत्री हरीश रावत ने रविवार को कहा कि उनके खिलाफ सीबीआई का दुरुपयोग किया जा रहा है। इतना ही नहीं उन्होंने स्वयं को निर्दोष बताते हुए सूबे के विकास कार्यों पर पूरा ध्यान देने की बात कही है। उन्होंने दावा किया कि पिछले दिनों जिस सियासी घटनाक्रम से उत्तराखंड का विकास कार्य रुक गया था वो, जल्दी ही पटरी पर आ जाएगा।
इससे पहले उत्तराखंड कैबिनेट का हवाला देते हुए सीबीआई जांच पर रोक लगाने के लिए मुख्यमंत्री हरीश रावत की ओर से हाईकोर्ट में एक याचिका दाखिल की गई थी। हाईकोर्ट में हरीश रावत के स्टिंग मामले में सीबीआई जांच से जुड़ी याचिका पर अगली सुनवाई आगामी 31 मई को होगी।
उल्लेखनीय है कि स्टिंग मामले में पूछताछ को लेकर 22 मई को एक बार फिर सीबीआई ने उत्तराखंड के मुख्यमंत्री हरीश रावत को नोटिस भेजा था, जिसमें सीबीआई ने हरीश रावत को 24 मई को पूछताछ के लिए सीबीआई मुख्यालय में बुलाया।
राज्य की राजनीति में भूचाल लाने वाले स्टिंग ऑपरेशन की सीडी बागी विधायकों ने 26 मार्च को दिल्ली में जारी की थी। सीडी के जारी होने के बाद हरीश रावत ने इसे नकार दिया था और स्टिंगकर्ता की कार्यप्रणाली व संपत्ति को लेकर कई सवाल उठाए थे।
बाद में हरीश रावत ने यह कहते हुए स्टिंगकर्ता से मिलने की बात स्वीकारी थी कि वे पत्रकारों से मिलते जुलते रहते हैं, इसमें गलत क्या है। वहीं राष्ट्रपति शासन लगाने के लिए केन्द्र ने स्टिंग आपरेशन को भी एक अधार बताया था।