मंहगे गिफ्ट से सजने लगीं दुकानें
वेलेंटाइन डे यानि मोहब्बत का दिन, जिस दिन कोई भी किसी को प्रपोज कर सके, इजहार ए इश्क का दिन। संत वेलेंटाईन की याद में मनाया जाने वाला यह त्यौहार आम त्यौहारों से अलग है। 14 फरवरी के पूर्व ही स्थानीय बाजार मंहगे ग्रिटिंग कार्ड व मंहगे गिफ्ट से सजने लगा है। वेलेंटाईन डे के एक दिन पहले से प्रेमी जोड़ों के लिए कलकत्ता से सुर्ख लाल गुलाब के फूल मंगाये जा रहे हैं। दुकानों में गिफ्ट खरीदते युवक-युवतियों की संख्या में इजाफा हो रहा है।
अखिल भारतीय त्यौहार
अधिकतर भारतीय त्यौहार किसी क्षेत्र विशेष के ही त्यौहार होते हैं, दुर्गा पूजा महज बंगाल, गणेश पूजा महाराष्ट यहां तक कि होली दीपावली भी राष्ट्रीय अर्थात अखिल भारतीय त्यौहार नहीं हैं, बल्कि एक क्षेत्र तक सीमित हैं, लेकिन वेलेंटाईन डे पूर्णतया अखिल भारतीय त्यौहार के रूप में अपनी पहचान बनाता जा रहा है। युवा पीढ़ी के दिल देने और लेने भर के इस त्यौहार को विकासशील जनरेशन का नाम दें तो गलत न होगा। इस त्यौहार को उसके मनाने वालों की बात हो या उसका विरोध करने वालों की बात हो, ये सब पूरे भारत में फैले हैं।
गुलाब फूल वालों की चांदी
इन दिनों 14 फरवरी को मनाये जाने वाले वेलेंटाइन डे के लिये बाजार सजने लगे हैं। युवा पीढ़ी के साथ-साथ स्कू ली बच्चों को भी इन दुकानों पर खरीदारी करते देखा जा रहा है। इजहार-ए-इश्क के इस रिश्ते को कायम करने के लिये दुकानों में 10 रूपये से लेकर 3000 रू तक के गिफ्ट तथा 5 रूपये से लेकर 1500 रूपये तक के ग्रीटिंग कार्ड मौजूद हैं। जहां महंगी घड़ी, चाकलेट तथा विदेशी गिफ्ट आईटम मौजूद हैं, वहीं इस अवसर पर गुलाब के फूल बेचने वालों की भी चांदी रहती है। एक गुलाब 25 रूपये से लेेकर 100 रूपये तक बेचा जाता है। वेलेंटाईन डे पर सुर्ख लाल गुलाब की कली की कीमत अधिक होती है। कहना उचित होगा कि दिलों के लेन-देन का यह कारोबार उन्हीं के लिये होगा, जिसका दिल ही नहीं जेब भी गरम हो।
लाईफ स्टाईल का बना अनिवार्य हिस्सा
बात यहां तक ही सीमित नहीं है, होटल, ढाबे, रेस्टारेंट, पिकनिक स्पाट तथा पर्यटन स्थलों पर मध्यम वर्गीय नौजवानों की उपस्थिति महज त्यौहार ही नहीं युवा वर्ग की पहचान भी है। मनोवैज्ञानिकों का कहना है कि किसी को प्यार करना इंसानी स्वभाव है। जवानी में तो खासतौर पर एक दूसरे की ओर आकर्षित होने की बहुत सी वजहें होती हैं। हार्मोनल विकास से लेकर प्राकृतिक प्रवेग तक। कई वजहों से युवा एक दूसरे की ओर आकर्षित होते हैं, लेकिन इस तेज रफ्तार जीवन शैली के युग में इजहार-ए-इश्क फ्लटिंग का भी पर्याय हो गया है, जिसे अपनी लाईफ स्टाइल के अनिवार्य हिस्से के रूप में ले रहे हैं, जिसका अक्सर खामियाजा भुगतना पड़ता है।
बहुराष्ट्रीय कंपनियों की देन
कहना होगा कि भारतीय त्यौहारों की तरह वेलेंटाईन डे के इस त्यौहार में जीवन का सांस्कृतिक पड़ाव नहीं है, अपनी आधी-अधूरी ऐतिहासिकता के बावजूद यह त्यौहार स्वत: स्फूर्त नहीं है, इसे प्रायोजित व प्रोत्साहित करने वाली ज्यादातार बहुराष्ट्रीय कंपनियॉं ही हैं। क्रिसमस और ईद जैसे कई अंर्तराष्ट्रीय होते हुये भी उन्हें मनाने वाले लोग एक मजहब, एक सभ्यता के लोग हैं, जबकि वेलेंटाईन डे मनाने वाले लोग न केवल विविध भाषा, विविध मजहबों और विविध देशों से हैं, बल्कि उनका ताल्लुक विविध सभ्यताओं से भी है। देखना होगा कि देश में इस विदेशी त्यौहार का भविष्य कितना उज्जवल है।