वापी। लवाछा में मंगलवार को हुई तोडफ़ोड़ व आगजनी में वापी पुलिस के कई हथियार भी आग की भेंट चढ़ गए। घटना में कई पुलिसवाले पत्थर लगने के बाद अपने हथियार वाहन में ही हथियार छोड़कर भाग गए थे। जिसके बाद भीड़ ने वाहन को आग लगा दी और उसमें ही यह हथियार भी जलकर खाक हो गए।
डीएसपी एचएम कुंडलिया ने बताया कि क्यूआरटी वैन में दो हथियार शॉर्ट गन, एक गैस गन थी। जिसकी निगरानी कर रहा पुलिसकर्मी पत्थर लगने से घायल हो गया और भीड़ के हिंसक तेवर को देखकर वह भाग गया।
इलाके मे एसआरपी तैनात
लवाछा में हिंसक घटना के बाद शांति बहाल करने के लिए एसआरपी की दो कंपनियां, नवसारी डांग से 100 पुलिसकर्मी, दो डीएसपी को तैनात किया गया है। दूसरे दिन इलाके में पुलिस चप्पे चप्पे पर तैनात दिखी। इस दौरान इंचार्ज पुलिस अधीक्षक विनय चौधरी ने भी इलाके का दौरा कर स्थिति की पूरी जानकारी ली। बुधवार सुबह मे एफएसएल ने भी घटना स्थल का दौरा कर जले वाहनों की जांच की और उसके बाद पुलिस ने सभी वाहनों को वहां से हटवा लिया। वहीं मंगलवार को हुई इस घटना का असर दूसरे दिन भी इलाके में दिखा। सभी प्रतिष्ठान बंद रहे और सन्नाटा पसरा रहा।
दो सौ से ज्यादा हिरासत में
लवाछा हुई मारपीट में पुलिस ने रात से करीब 217 को हिरासत मे लिया है। जिन्हें बुधवार देर शाम वापी कोर्ट मे पेश किया गया। समाचार लिखे जाने तक कोर्ट का कार्यवाही चल रही थी। पुलिस सूत्रों के अनुसार इनमें से करीब 30 लोगों की ही रिमांड पर लेने की योजना थी। बाकी को सूरत के पास लाजपोर जेल भेजने की बात कही जा रही थी। बताया गया है कि करीब कोर्ट कार्यवाही खत्म होने में करीब दस बज सकता है। पकड़े गए सभी लोगों को वलसाड हेडक्वार्टर में रखा गया था जहां से आठ बसों में भरकर सभी को वापी कोर्ट में लाया गया था।
कोर्ट के रास्ते पर दोपहर से ही पुलिस को तैनात कर दिया गया था।
अफवाहों पर न दें ध्यान
इस घटना के बाद फैल रही अफवाहों पर ध्यान न देने का बयान बुधवार को डीएसपी एचएम कुंडलिया ने जारी किया। उन्होंने कहा कि कुछ लोग माहौल को बिगाडऩे की कोशिश में लगे हैं। उन्होंने बताया कि यह अस्पताल में भर्ती कुसुम तिवारी की हालत सुधार पर है और पुलिस ने अस्पताल से पूरी जानकारी हासिल की है।
पुलिस गिरफ्त से दूर हत्या के आरोपी
तोडफ़ोड़ व आगजनी के लिए रिक्शा चालक सुरेश तिवारी की मौत मामले में पुलिस आरोपियों को पकडऩे में अभी तक नाकाम रही है। आरोपियों के खिलाफ पुलिस ने 302 का मामला दर्ज कर लिया है।
आरोपियों की गिरतारी के संबंध में पूछे जाने पर डीएसपी कुंडलिया ने बताया कि सभी आरोपी घर खुला छोड़कर फरार हैं, मगर उन्हें जल्द पकड़ लिया जाएगा। उल्लेखनीय है कि आरोपियों की गिरफ्तारी न होने से नाराज होकर लोगों ने मंगलवार को प्रदर्शन किया था जो बाद में हिंसक हो गया था।
शुरु से ही इस प्रकरण में पुलिस की कार्यप्रणाली को लेकर लोगों मे नाराजगी रही। सामान्य मारपीट जैसे प्रकरण में वापी पुलिस अक्सर आरोपियों के परिजनों को थाने में उठा लाती है मगर दो लोगों को सामान्य मामले में पिटाई के बाद भी शुरुआत में रिपोर्ट दर्ज करने में देरी, उसके बाद गिरतारी न होने से ही यह मामला भड़का था।
महिला पत्रकार का मोबाइल तोड़ा
लवाछा मे हुई घटना के दौरान सिलवासा की महिला पत्रकार नीतू विश्वकर्मा ने पुलिस पर अपने साथ बदसलूकी और मोबाइल तोडऩे का आरोप लगाया है। इस संबंध में उसने सिलवासा एसपी को ज्ञापन दिया है जिसकी प्रतियां महिला आयोग, प्रेस काउन्सील ऑफ इंडिया, रेन्ज आईजी व एसपी वलसाड को भी भेंजी गई है। नीतू का आरोप है कि पुलिस द्वारा लोगों पर लाठीचार्ज का फोटो खींचने से नाराज होकर डुंगरा पीएसआई ने उसके साथ बदसलूकी की।
सिलवासा पुलिस से नाराज स्थानीय पुलिस
लवाछा में प्रदर्शन के बाद बिगड़े हालात में सिलवासा पुलिस द्वारा वापी पुलिस की मदद न करने की चर्चा जिले के पुलिस महकमे में गर्म है। पुलिस का मानना है कि यदि वहां मौजूद सिलवासा पुलिस मूकप्रेक्षक न बनी रहती तो हालात नियंत्रण में हो सकते थे।
उल्लेखनीय है कि प्रदर्शन जहां हो रहा था वहां पिपरिया पुल से सिलवासा की हद शुरु होती है। लिहाजा पुल के पास ही सिलवासा पुलिस के दो अधिकारी व पुलिस बल भी मौजूद था। लेकिन जिस दौरान पत्थरबाजी व आगजनी की शुरुआत हुई सिलवासा पुलिस वहां मूक दर्शक बनी रही। इस प्रदर्शन में अधिकांश लोग सिलवासा से ही आए थे।
निर्दोष पर कार्रवाई का आरोप
हिंसा के बाद पुलिस द्वारा अधिकांश निर्दोषों को पकडऩे का आरोप लग रहा है। स्थानीय विस्तार में लोग खुलकर नहीं बोलना चाहते मगर कुछ लोगों ने बताया कि मारपीट करनेवालो में अधिकांश लोग थे वे फरार हो चुके हैं लेकिन पुलिस जिन लोगों को पकड़कर ले गई है उनमें से अधिकांश श्रमिक हैं और उनका इस घटना में कोई रोल नहीं है।
लोगों ने बताया कि हिंसा भड़कने के लिए कुछ लोग ही जिमेदार हैं। वहीं यह भी कहा जा रहा है कि स्थानीय अग्रणियों के नियंत्रण मे भीड़ नहीं रही, कई नेताओं को भी इसमें चोट लगी है जिसमें से कई अस्पताल में भर्ती हैं। कहा जा रहा है कि घटना में शामिल अधिकांश लोग सिलवासा के थे जबकि पुलिस द्वारा गिरतारो में लोग लवाछा व आसपास विस्तार के हैं। इस घटना के बाद से उत्तर भारतीय कथित नेता भी सामने नहीं आ रहे हैं।