वाराणसी। किशोरी में बढ़ती नशे की प्रवृत्ति यौन हिंसा का बड़ा कारण बन गई है। वर्तमान बाजारीकरण ने एक तरफ स्त्री को यौन वस्तु के रूप में बदलने में पूरी ताकत लगाई है। दूसरी तरफ पुरुष की यौनेच्छा को बढ़ाने से भी ज्यादा उकसाने का काम किया है। रविवार को यह बातें “किशोरों में बढ़ती यौन हिंसा की प्रवृत्ति” का कारण और निवारण विषय चर्चा-परिचर्चा में वक्ताओं ने कही।
“हमारा बचपन कैम्पेन” द्वारा आयोजित परिचर्चा में वक्ताओं ने कहा कि अखबार, पत्रिकाओं और टीवी में आने वाले विज्ञापन, फिल्में, अश्लील गाने, साहित्य, समाचार, फोटो, फिल्मी संवाद, इंटरनेट हर जगह स्त्री को सतत कामोत्तेजक (सेक्सी) रूप में परोसा जा रहा है। यह चिन्ताजनक है विकास की ओर अग्रसर समाज में यौन हिंसाओं की घटना तेजी से बढ़ रही है।
यौन हिंसा जैसे घिनौने कृत्य को अंजाम देने वालों में अनपढ़-कम पढे लिखे लोग, अपराधी मानसिकता, मनोरोगी नहीं बल्कि नाबालिगों की संख्या तेजी से बढ़ी है।
वक्ताओं ने कहा कि परिवार बच्चों की प्रथम पाठशाला है, जहाँ वह अपने माता-पिता एवं भाई-बहनों के व्यवहारों से प्रभावित होता है। जब माता-पिता बच्चों के प्रति अपने दायित्वो का निर्वाह करने में असमर्थ रहते हैं, तो बच्चों से भी श्रेष्ठ नागरिक बनने की अपेक्षा नहीं की जा सकती है।
परिवार से संबधित कई कारण बालक को अपराधी बनाने में उत्तरदायी है। इसके अलावा विद्यालय के वातावरण का प्रभाव बच्चों पर अत्यधिक पड़ता है।
अध्यापकों का व्यवहार, स्कूल के साथी छात्रों व अध्यापकों के साथ सम्बन्ध, पाठ्यक्रमों की कठोरता, मनोरंजन का अभाव, अयोग्य छात्रों की पदोन्नति आदि कुछ ऐसे कारण है जो बच्चों के कोमल मस्तिष्क को प्रभावित करे उसे अपराधी बना देते हैं।
परिचर्चा में आए अतिथियों का स्वागत संस्था सचिव नीलम पटेल ने किया। परिचर्चा में डॉ॰ नवीन विश्वकर्मा, अरुण कुमार सिंह, राजकुमार कुशवाहा, अनूप श्रमिक, अभिजीत सिंह, विजय त्रिपाठी, योगेंद्र सिंह ने भाग लिया।