सबगुरु न्यूज। आकाशीय ग्रह शुक्र को स्त्री ग्रह माना जाता है। यह आनंद, काम और सूर्य का प्रतीक है। यह पूर्व दिशा में उदित ओर पश्चिम में अस्त होता है। यह सौर मंडल का सबसे सुन्दर और आकर्षक ग्रह माना जाता है। इसे सुबह का तारा भी कहा जाता है क्योंकि यह सुबह और शाम को ही दिखाई देता है।
यह 224 दिन में सूर्य की एक परिक्रमा करता है, यह सूर्य से 45° से अधिक दूर नहीं रहता है। शुक्र ग्रह का रंग श्वेत श्याम व अग्नि कोण का स्वामी होता है। जल तत्व का कारक व स्त्री स्वभाव का होता है।
बुध, शनि व राहू इसके नैसर्गिक मित्र तथा गुरू, मंगल व केतु से समभाव तथा सूर्य व चन्द्रमा से इसकी शत्रुता होती है। वृष व तुला राशि का स्वामी तथा मीन राशि में उच्च का होता है। कन्या राशि इसकी नीच राशि मानीं जाती हैं। सातवीं दृष्टि से यह देखता है।
यह आयु के 25 वर्ष से 28 वे वर्ष में फल देता है। यह शुभ ग्रह है। कला, संगीत, साहित्य, मदन, रति, कला, विलास, काव्य कला, कांति क़लम, कला तथा वाहन और धन संपति का कारक ग्रह होता है। मंगल के साथ इसकी युक्ति कामी व विलासी बनाती है।
कर्क राशि में शुक्र ग्रह काम, निर्बल, असभ्य, द्वि भार्या बनाता है तथा सिंह राशि वालों के लिए सुंदर स्त्री सुख से वंचित करता है। धन व पुत्र सुख से भी वंचित करता है। कन्या और मकर राशि का शुक्र स्त्री के अधीन दुखी व दुराचारी बनाता है। वृष, मिथुन, तुला, कुंभ, धनु व मीन राशि का शुक्र शुभ दीर्घायु सुन्दर कीर्ति मान व धनी बनाता है।
भरणी, पूर्वा फाल्गुनी व पूर्वाषाढा नक्षत्र का स्वामी होता है तथा 20 साल की विशोतरी महादशा होती हैं। अंक शास्त्र मे अंक 6 शुक्र का माना जाता है।
फिल्म जगत का कारक भी शुक्र ग्रह को माना जाता है। शुक्र ग्रह अशुभ हो तो दुष्ट स्त्री संसर्ग रोग, प्रमेह मूलाशय रोग, मधुमेह, नेत्रों की कमजोरी, सूधने की शक्ति की कमी, वीर्यपात, मांस मैथुन व चर्म सम्बन्धी रोग देता है।
लग्न में शुक्र शत्रु नाशक, दूसरे में धन संपत्ति दाता, तीसरे में सुखी, चौथे में धनी, पांचवें में संतान युक्त, छठे में शत्रु वृद्धि, सातवें स्थान पर अनिष्ट कारक, नवम में बली, दशम में सुखदाता, एकादश में लाभ देने वाला तथा द्वादस स्थान आनंद करनें वाला होता है।
वृश्चिक राशि में प्रवेश 26 नवम्बर 2017
शुक्र ग्रह का प्रवेश आज 22- 7 पर वृश्चिक राशि में होगा। इस परिवर्तन का प्रभाव समूचे विश्व पर होगा। वृश्चिक राशि में सूर्य व शुक्र का संयोग लाभकारी नहीं माना जाता है क्योंकि सूर्य और शुक्र को ज्योतिष शास्त्र में शत्रु माना गया है। मंगल की राशि में बैठे है। इसी कारण से शुक्र आगे बढ़ता हुआ 15 दिसम्बर को अस्त हो जाएगा तथा 20 दिसम्बर को वृश्चिक राशि छोड़कर धनु राशि में प्रवेश कर लेगा तथा 3 फरवरी 2018 को फिर उदय होगा।
इस संवत् में रबी धान्य फसलों का स्वामी होने से वर्षा की कमी करेगा और फसलों को नुकसान पहुंचाएगा। आकाश में शुक्र ग्रह से आगे शनि व बुध ग्रह के होने से वर्षा की कमी और रोगों में वृद्धि करेगा तथा कुछ जानवरों में बीमारी पैदा कर दक्षिण में अपना दुष्प्रभाव डालेगा।
शुक्र ग्रह प्रेम आनंद व दाम्पत्य को प्रभावित करेगा। महिलाओं के लिए नए कानून बनवाने का कार्य करेगा। कवि लेखक सम्पादक व फिल्म जगत को राहत देने लग जाएगा तथा अस्त होते ही बढे असंतोष को खत्म कर देगा।
मेष व सिंह राशि वालों के लिए चुनौती पूर्ण हो सकता है। अत्यधिक व्यय व शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य खराब कर सकता है। वृष, तुला राशि को प्रेम प्रीति का लाभ व धन देने वाला, कर्क कन्या व मकर सामान्य फल तथा मकर, कुंभ को लाभ के अवसर दिलाकर प्रसन्न करेगा। मीन राशि वालों के लिए आनंददायक होगा।
गोचर में शुक्र ग्रह पर राहू की पांचवीं दृष्टि केमिकल उद्योग धंधों को लाभ के अवसर दिलाएगी तथा विश्व स्तर पर महिलाओं के बड़े विवाद उभर कर सामने आ सकते है। गुरू ग्रह और शनि बुध से दूसरा और बाहरवां योग देश व दुनिया के मशीनरी खनिज व निर्माणी उद्योग धंधे सभी को वित्तीय क्षेत्र में प्रभावित करेगा।
यह समस्त जानकारी ज्योतिष शास्त्र की मैदनीय ज्योतिष संहिताएं देती हैं जो आकाशीय ग्रह नक्षत्रों की स्थिति के आधार पर पर आने वाली प्रवृति को बताती है। इन्हें देव वाणी कहा जाता है। सत्य परमात्मा ही जानता है कि आने वाले कल में क्या होगा।
सौजन्य : भंवरलाल