जयपुर। साहित्य अकादमी पुरस्कार लौटाने वाले राजस्थान के प्रसिद्ध साहित्यकार नंद भारद्वाज ने अपना निर्णय बदल लिया है और पुरस्कार वापस ले लिया है।
नंद भारद्वाज जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में शामिल साहित्यकारों में से एक हैं। उनका तर्क है कि साहित्य अकादमी ने उनकी बात मान ली है, इसलिए उन्होंने लौटाया अवार्ड वापस लिया है।
साहित्यकार नंद भारद्वाज ने अवार्ड वापस लेने के बाद मीडिया से बातचीत में कहा कि उन्होंने पुरस्कार इसलिए वापस किया था कि लेखकों पर हमले के बावजूद साहित्य अकादमी चुप बैठी थी। अब साहित्य अकादमी ने साधारण बैठक कर साहित्यकारों पर हो रहे हमलों की निंदा की है।
असहिष्णुता मुद्दे पर अक्टूबर 2015 में साहित्य अकादमी पुरस्कार लौटाने वाले भारद्वाज ने कहा कि पुरस्कार वापसी के बाद साहित्य अकादमी ने मुझ से बात की और साहित्यकारों का सम्मान बनाए रखने की मेरी बात मान ली। ऐसे में मैंने अवार्ड वापस ले लिया है।
अकादमी का उदृदेश्य साहित्य और साहित्यकारों को प्रमोट करना है। जब वह ऐसा नहीं कर पा रही थी तो ही साहित्यकारों ने उसका विरोध किया।
यही नहीं नंद भारद्वाज ने माना कि इस मुदृदे पर तीन माह में उन्हें फैसला करना था। ऐसे में उन्होंने अवार्ड वापस लेने का फैसला कर लिया। उन्होंने कहा कि साहित्यकारों, लेखकों को असहिष्णुता मुद्दे पर पुरस्कार लौटाने की राजनीति नहीं करनी चाहिए।