अयोध्या। विश्व हिन्दू परिषद (विहिप) एक बार फिर से भगवान श्रीराम की नगरी अयोध्या से चौरासी कोसी परिक्रमा शुरू करेगी। पिछले वर्ष की भांति इस वर्ष आगामी 22 अप्रेल को संत धर्माचार्यो के नेतृत्व में राम भक्तों को साथ लेकर विहिप परिक्रमा शुरू करेगी।
विहिप ने इस बार कार्यक्रम को और अधिक व्यापक स्वरूप देने के लिए बकायदा संगठन मे अलग से एक आयाम बनाकर सुरेन्द्र सिंह को प्रभारी भी नियुक्त कर दिया है।
विहिप के क्षेत्रिय संगठन मंत्री अम्बरीश सिंह ने मंगलवार को कहा कि मेला और परिक्रमा जैसे धार्मिक आयोजन आज भी हमारी संस्कृति और परंपराओं को अक्षुण रखे हुए हैं।
अयोध्या की चैरासी कोशी की परिक्रमा से जहां समाज में धार्मिक मूल्यों के प्रति श्रद्धा भक्ति का संचार होता आ रहा वही मार्ग मे पड़ने वाले महत्वपूर्ण एतिहासिक व पौराणिक स्थलों के संबंधों मे सम्पूर्ण राष्ट्र को जानकारी प्राप्त होगी।
सिंह कारसेवक पुरम अयोध्या मे 22 अप्रैल से आयोजित होने वाली चैरासीकोशी परिक्रमा की तैयारी बैठक को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा विश्व हिन्दू परिषद इस परम्परागत परिक्रमा को व्यापक रूप देने में लगी है।
उन्होंने कहा जिस प्रकार अयोध्या की पंचकोशी तथा चैदहकोशी परिक्रमा मे लाखों श्रद्धालु उमड़ कर अपनी श्रद्धा भक्ति ईश्वर के प्रति निवेदित करते है ठीक उसी प्रकार अयोध्या के चौरासी कोस की परिक्रमा में देश भर के तीर्थयात्रियों का आगमन प्रारंभ हो जाता है तो इस नगरी के अलावा परिक्रमा मार्ग सहित जुड़ जनपदों का विकास और व्यापार मे वृद्धि तो होगी ही साथ ही पुरातन धार्मिक केंद्रों को संरक्षण भी मिलेगा जो वर्तमान और भविष्य की पीढि़यों के लिए प्रेरणास्त्रोत बनेगा।
विहिप के वरिष्ठ नेता पुरूषोत्तम नारायण सिंह ने बैठक को सम्बोधित करते हुए कहा भगवान राम से जुडी हुई धार्मिक परम्पराओं को सुरक्षित और संरक्षित करना हम सभी का उत्तरदायित्व है। अयोध्या की पहचान भगवान राम के साथ ही संत धर्माचार्यो से भी जुडी हुई है। चौरासी कोशी परिक्रमा कोई नई परम्परा नहीं है।
यह पूर्व काल से हमारे पूर्वजों के द्वारा की जा रही है बस हमें इसे राष्ट्रीय फलक पर पहचान देने के लिए प्रयत्न करने होंगे। पिछले वर्श राम भक्तों ने साधू संतों के नेतत्व में नियत तिथि पर परिक्रमा की थी। मार्ग में साधू संतों के कथा-प्रवचन भी हुए। इस बार भी यह कार्यक्रम जन-जन में व्याप्त हो ऐसा प्रयास होना चाहिए।
बैठक में परिक्रमा मार्ग में पडने वाले पडावों की व्यवस्थाओं पर मंथन हुआ। बैठक का संचालन राधेश्याम मिश्र ने किया। इस अवसर पर महंत चिन्मय दास, त्रिलोकीनाथ पाण्डेय,शिवदास सिंह, ओम प्रकाश सिंह, अशोक कसौंधन, प्रदीप पाण्डेय, अवधेष पाण्डेय बादल, राजेन्द्र और राम लाल जायसवाल, आदि उपस्थित रहे।