नई दिल्ली। भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता और केंद्र में सत्तारूढ़ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के उम्मीदवार एम. वेंकैया नायडू शनिवार को विपक्ष के उम्मीदवार गोपालकृष्ण गांधी को 272 मतों से मात देकर देश के 13वें उपराष्ट्रपति निर्वाचित हुए हैं।
आंध्र प्रदेश के मध्यवर्गीय किसान परिवार से आने वाले नायडू के उपराष्ट्रपति चुने जाने के साथ ही आजाद भारत के 70 वर्षो के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है, जब देश के शीर्ष चार पदों -राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और लोकसभा अध्यक्ष- पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की विचारधारा वाले भाजपा समर्थित व्यक्ति बैठे हुए हैं।
68 वर्षीय नायडू इससे पहले अटल बिहारी वाजपेयी की भाजपा सरकार में केंद्रीय मंत्री रह चुके हैं और उसके बाद नरेंद्र मोदी सरकार में भी उन्हें केंद्रीय मंत्री नियुक्त किया गया।
नायडू को 516 मत मिले, जबकि गांधी को 244 वोट हासिल हुए। कुल 771 वोट पड़े थे। 11 वोट अवैध घोषित कर दिए गए।
राज्यसभा के महासचिव और निर्वाचन अधिकारी, शमशेर के. शरीफ ने संवाददाताओं से कहा कि चूंकि वेंकैया नायडू ने जीत के लिए निर्धारित संख्या से अधिक वोट प्राप्त किए हैं, इसलिए मैं उन्हें भारत के उपराष्ट्रपति पद पर निर्वाचित घोषित करता हूं।
आरएसएस से संबद्ध नायडू बाद में भारतीय जनसंघ के सदस्य बने और भाजपा के अध्यक्ष भी रहे। वहीं महात्मा गांधी के पड़पोते गोपालकृष्ण गांधी नौकरशाही से कूटनीति में आए और पश्चिम बंगाल के राज्यपाल रहे थे।
कांग्रेस के नेतृत्व में विपक्ष के संयुक्त उम्मीदवार बनाए गए गोपालकृष्ण को तृणमूल कांग्रेस, वाम दलों, बीजू जनता दल (बीजद) और जनता दल (युनाइटेड) का समर्थन हासिल था।
उपराष्ट्रपति चुने जाने के बाद नायडू ने कहा कि राज्यसभा के सभापति के तौर पर वह सदन की कार्यवाही का संचालन ‘बिन किसी डर या पक्षपात’ के करेंगे तथा सदन के नियमों और परंपराओं के तहत सदन के सभी सदस्यों के साथ समन्वय स्थापित करते हुए पद की गरिमा और औचित्य बनाए रखेंगे।
वहीं गोपालकृष्ण गांधी ने नायडू को उपराष्ट्रपति चुने जाने पर बधाई दी और नई जिम्मेदारी के लिए शुभकामनाएं दी। साथ ही गांधी ने उम्मीद जताई कि नायडू देश के सभी वर्गो के उपराष्ट्रपति होंगे।
गांधी ने अपना समर्थन करने वाले सभी दलों का आभार व्यक्त किया और कहा कि उन्हें उम्मीद से कहीं अधिक वोट मिले।
गांधी ने कहा कि उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए लड़ाई विचारों की स्वतंत्रता, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, बहुलवाद एवं धर्मनिरपेक्षता को लेकर थी।
उपराष्ट्रपति चुनाव के नतीजों की घोषणा के ठीक बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नायडू को जीत की बधाई दी और विश्वास व्यक्त किया कि नायडू एक अध्यवसायी एवं समर्पित उपराष्ट्रपति के तौर पर देश की सेवा करेंगे।
राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद ने भी नायडू को जीत की बधाई दी और कहा कि उन्हें पूरा विश्वास है कि जिस तरह निवर्तमान उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी सदन का संचालन करते थे, उसी तर्ज पर नायडू भी सभी नेताओं और दलों को अपने विचार अभिव्यक्त करने का बराबर अवसर प्रदान करेंगे।
आजाद और मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के नेता सीताराम येचुरी ने कहा कि यह दो राजनीतिक विचारों की लड़ाई थी, जिनमें से एक संवैधानिक व्यवस्था को मजबूत करना चाहता था। दोनों नेताओं ने विपक्ष का उम्मीदवार बनने के लिए गांधी का आभार व्यक्त किया।
आजाद और येचुरी ने कहा कि विपक्ष को हाल ही में हुए राष्ट्रपति चुनाव की अपेक्षा उपराष्ट्रपति चुनाव में 19 वोट अधिक मिले हैं।