नई दिल्ली। सुप्रीमकोर्ट ने मंगलवार को भगोड़े शराब कारोबारी विजय माल्या को बैंकों के संघ की याचिका पर अवमानना का दोषी करार दिया। माल्या पर संघ में शामिल 13 बैंकों का 9,000 करोड़ रुपये का कर्ज बकाया है।
न्यायाधीश आदर्श कुमार गोयल और न्यायाधीश उदय उमेश ललित की सदस्यता वाली पीठ ने माल्या को मामले की अगली सुनवाई के दिन यानी 10 जुलाई को अपना पक्ष रखने का मौका दिया है।
अदालत ने माल्या को दो मामलों में अवमानना का दोषी माना है। पहला सुनवाई के दौरान अदालत में उपस्थित होने के निर्देश का पालन नहीं करने के लिए तथा दूसरा अपने और अपने परिवार की सभी संपत्तियों का अदालत के सामने खुलासा नहीं करने के लिए।
भारतीय स्टेट बैंक के नेतृत्व में 13 बैंकों के एक संघ ने अदालत में याचिका दायर कर माल्या को दिए गए 9,000 करोड़ रुपये से अधिक के कर्ज की वसूली की मांग की थी, जो फिलहाल बंद हो चुकी कंपनी किंगफिशर एयरलाइंस को दिए गए थे।
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माल्या ने 26 अप्रेल, 2016 को एक सुनवाई में कहा था कि अगर मैं आऊंगा, तो मुझे तिहाड़ जेल ले जाया जाएगा। जब मेरी स्वतंत्रता दांव पर है, तो आप मुझे कैसे वापस आने की उम्मीद कर सकते हैं।
शीर्ष अदालत ने 25 जुलाई, 2016 को माल्या को भारत और विदेशों में स्थित अपनी और अपने पत्नी-बच्चों की संपत्तियों की पूरी जानकारी नहीं देने के लिए बैंकों के संघ द्वारा दाखिल अवमानना याचिका पर नोटिस जारी किया था।
शीर्ष अदालत ने अपने 7 अप्रेल, 2016 के आदेश से माल्या को उसके, उसकी पत्नी और बच्चों के भारत और विदेशों में स्थित सभी चल-अचल संपत्तियों का खुलासा करने को कहा था।
आदेश के अनुसार अदालत ने माल्या को व्यक्तिगत रूप उपस्थित होने की तिथि बताने को कहा था।
माल्या की तरफ से उपस्थित वरिष्ठ वकील सीए वैद्यनाथन ने 26 अप्रेल, 2016 को कहा था कि जब भी उनका मुवक्किल आएगा, तो उसे गिरफ्तार किया जाएगा, इससे कोई उद्देश्य हल नहीं होगा।
एसबीआई के अलावा माल्या पर बैंक ऑफ बड़ौदा, स्टेट बैंक ऑफ मैसूर, एक्सिस बैंक, कॉरपोरेशन बैंक, फेडरल बैंक, इंडियन ओवरसीज बैंक, जम्मू और कश्मीर बैंक, आईडीबीआई बैंक, पंजाब नेशनल बैंक, पंजाब एंड सिंध बैंक, यूसीओ बैंक और यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया का कर्ज है।