नई दिल्ली। बैंकों से नौ हजार करोड़ रुपए का ऋण लेकर विदेश भागने वाले शराब कारोबारी विजय माल्या भारत आने के लिए तैयार हो गए हैं। इसके लिए माल्या ने दो शर्तें रखीं हैं जिसमें उन्होंने सरकार से अपनी सुरक्षा और आजादी का पूरा भरोसा देने की बात कही है।
यूनाइटेड ब्रेवरीज लिमिटेड(यूबीएल) की हाल ही में हुई बोर्ड की बैठक में शामिल लोगों ने जानकारी देते हुए कहा कि माल्या वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए बैठक में शामिल हुए थे। बोर्ड सदस्यों ने बताया कि यूबीएल के अध्यक्ष को बोर्ड और स्ट्रैटेजिक पार्टनर हैनेकेल का समर्थन है।
स्वतंत्र बोर्ड की सदस्य किरण शॉ का कहना है कि हमारी माल्या से कई मसलों पर बात हुई। माल्या का कहना है कि वह बैंकों से लिए कर्ज को जल्द ही चुका देंगे। माल्या सभी सवालों का जवाब देने के लिए भारत लौटना चाहते हैं लेकिन वे अपनी सुरक्षा और आजादी का भरोसा चाहते हैं।
एक ओर जहां माल्या भारत वापस आने के लिए तैयार हो गया है। वहीं दूसरी ओर वित्त मंत्री अरुण जेटली ने सोमवार को पत्रकारों से बातचीत के दौरान कहा कि वैध दस्तावेजों के साथ ब्रिटेन में प्रवेश करने वाले किसी भी शख्स को निर्वासित नहीं किया जा सकता है। ऐसे में शराब कारोबारी विजय माल्या को भारत वापस लाना आसान नहीं है।
इसके लिए दूसरी प्रक्रिया अपनानी पड़ेगी। उन्होंने कहा कि ब्रिटेन का अपना कानून है, जिसके तहत एक बार यदि कोई वैध दस्तावेजों के साथ देश में आ जाता है तो उसे निर्वासित नहीं किया जाएगा। ऐसे में अब माल्या की वापसी के लिए एक ही रास्ता बचा है और वो है प्रत्यर्पण।
उन्होंने कहा कि माल्या के खिलाफ एक बार चार्जशीट फाइल हो जाए उसके बाद एजेंसियां अपना काम शुरु करेंगी। उन्होंने कहा कि सरकार माल्या को भारत वापस लाने से सभी विकल्पों पर विचार कर रही है।
एक और स्वतंत्र बोर्ड के सदस्य सुनील के मुताबिक माल्या बैंकों के साथ गंभीरता से बातचीत कर रहे हैं। माल्या ने हमसे कहा है कि उन पर गलत आरोप लगाए गए हैं। वे कर्ज चुकाने की लगातार कोशिश कर रहे हैं। पूरा बोर्ड उनके साथ है। बोर्ड इसे कॉरपोरेट गवर्नेंस का मसला नहीं मान रहा।
अगस्त में होने वाली अगली बोर्ड मीटिंग तक इस मामले पर नजर रखी जाएगी। माल्या को उनका ग्रुप यूबीएल और स्ट्रैटजिक पार्टनर हैनिकेन पूरा समर्थन कर रहा है।
एक अन्य बोर्ड के सदस्य सीवीआई पाल का कहना है कि माल्या किंगफिशर कर्मचारियों की बकाया राशि देने को भी राजी है। इस मामले में देरी की वजह कर्नाटक हाईकोर्ट का यूनाइटेड ब्रेवरीज के खाते और संपत्ति को फ्रीज करना है।
हैनिकेन हॉलेण्ड की बीयर कंपनी है। हैनिकेन के एक स्थानीय निवेश बैंक जेएम फाइनेंस को ओपन मार्केट से शेयर खरीदने के लिए नियुक्त किया था। इसके लिए उसने 179 करोड़ रुपए खर्च किए हैं। इस साल मार्च में हैनिकेन ने ईसीएल फाइनेंस और यस बैंक से यूबीएल के शेयर खरीदे थे।