नई दिल्ली। बीजिंग ओलंपिक में कांस्य पदक जीतकर इतिहास रचने वाले विजेन्दर सिंह ने अपने पहले पेशेवर मुक्केबाजी में ब्रिटेन के मुक्केबाज सोन्नी व्हाइटिंग को हराकर शानदार शुरुआत की।
मैनचेस्टर अरेना में हुए पहले मुकाबले में विजेंद्र पहले राउंड से ही व्हाइटिंग पर भारी नजर आए। मुकाबले के दौरान विजेन्द्र काफी आत्मविश्वासी नजर आ रहे थे। तीन-तीन मिनट के शुरूआती दो राउंड में दोनों का मुकाबला बराबर सा रहा लेकिन दोनों ही राउंड में विजेन्द्र नियंत्रण में दिखे।
पहले ही बाउट में विजेन्द्र ने व्हाइटिंग को पीछे धकेल दिया और रिंग तक के किनारे तक धकेल ले गए। तीसरा बाउट निर्णायक रहा। तीसरे बाउट में विजेन्द्र ने व्हाइटिंग पर मुक्कों की बरसात कर दी और जोरदार प्रहार किए। तीसरे बाउट में विजेन्द्र ने व्हाइटिंग पर जोरदार हमले किए और कई क्लीयर पंच लगाए।
विजेन्दर कई बार इसका जिक्र कर चुके थे कि अगर उन्हें सही प्रमोटर मिलते हैं तो वह पेशेवर मुक्केबाजी में उतरने के लिए तैयार हैं। हरियाणा के भिवानी में जन्मे 29 वर्षीय मुक्केबाज विजेन्दर ने वर्ष 2004 के एथेंस ओलम्पिक में सर्वप्रथम भाग लिया, किन्तु वह वेल्टर वेट वर्ग में तुर्की के मुस्तफ़ा कारागोलेयू से 20-25 से पराजित हो गये।
राष्ट्रमण्डल खेल वर्ष 2006 में इंग्लैंण्ड के नील पिरकिन्स को सेमीफ़ाइनल में पराजित कर फ़ाइनल में प्रवेश किया, किन्तु दक्षिण अफ़्रीका के बोनगानी मविलासी से पराजित हो गए और कांस्य पदक ही जीत सके।
दोहा ओलम्पिक खेल वर्ष 2006 में मुक्केबाज़ी मिडिल वेट वर्ग में कज़ाकिस्तान के बख़्तियार अरतायेव से सेमीफ़ाइनल में 24-29 से पराजित होकर कांस्य पदक जीत सके। इसके बाद 2008 में उन्होंने बीजिंग ओलंपिक में कांस्य पदक जीतकर इतिहास रच दिया।
इसके साथ ही ओलंपिक में पदक जीतने के बाद रातोंरात स्टार बने विजेन्दर ने फिल्म फगली के जरिए फिल्मी दुनिया में कदम रखा। एक रिएलिटी टीवी शो के जज के रूप में भी नजर आ चुके हैं।
विजेन्दर के करियर एक नजर-
2008 बीजिंग ओलंपिक:कांस्य पदक
2009 मिलान में विश्व चैम्पियनशिप: कांस्य पदक
2006 मेलबर्न राष्ट्रमंडल खेल: रजत पदक
2010 दिल्ली राष्ट्रमंडल खेल: कांस्य पदक
2014 ग्लास्गो राष्ट्रमंडल खेल: रजत पदक
2010 ग्वांगझू एशियाई खेल: स्वर्ण पदक
2006 दोहा एशियाई खेल: कांस्य पदक
सम्मान
2009 में राजीव गांधी खेलरत्न पुरस्कार।
2010 में पद्मश्री से नवाजे गए।