इंदौर/भोपाल। युद्ध के नाम से हर कोई डर जाता है। कोई भी व्यक्ति नहीं चाहता है कि इस समय में युद्ध हो, किन्तु देश के ह्दय मध्यप्रदेश के एक हिस्से में पिछले एक महीने से युद्ध की तैयारियां अंतिम दौर में पहुंच चुकी हैं।
यह हिंगोट युद्ध मप्र के इंदौर के पास स्थित गौतमपुरा में दिवाली के अगले दिन होता है। यह एक प्राचीन, लेकिन खतरनाक परंपरा है जो तुर्रा और कलंगी समूहों के द्वारा खेली जाती है।
इस युद्ध में हार-जीत किसी की नहीं होती, लेकिन इस युद्ध में सैकड़ों लोग जख्मी जरूर हो जाते हैं। इस परंपरा के तहत दो-दो गांवों के लोग एक-दूसरे पर जमकर हिंगोट (बारूदी गोलों) फैकते हैं। इस परंपरागत युद्ध में दो दलों के बीच मुकाबला होता है।
एक दल को ‘तुर्रा’ तो दूसरे को ‘कलंगी’ नाम दिया जाता है। मैदान में आते ही युद्ध में हिस्सा लेने वाले प्रतिभागी एक-दूसरे पर बारूद से भरे हिंगोट से हमला करते हैं।
जानकारी के अनुसार हिंगोट एक फल होता है, जो नारियल जैसा होता है। बाहरी आवरण कठोर होता है तो भीतरी गूदे वाला। खासियत यह है कि यह फल सिर्फ गौतमपुरा के पास देपालपुर इलाके में ही पैदा होता है और मिलता है।