सूरज की पहली किरण के साथ मुर्गे की बांग सुनकर उठना और खेत-खलियानों से आती माटी की सौंधी महक एकाएक स्फूर्ति और ताजगी का अहसास कराती है। शहर की आपाधापी से दूर गांव की यही गलियां मन को बहलाती और सहलाती हैं। अगर आप ऐसे मौके चूक रहे हैं तो आस-पास के गांव आपको बुला रहे हैं। हाईवे या ट्रेन से सफर के दौरान आपने लहलहाते खेतों, हल चलाते किसानों, गांव के मकानों और बाग-बगीचों को देखा होगा।
यदि आप चाहें तो केरल, गोवा, उत्तराखंड और हिमाचल के सुने और देखे पर्यटक स्थलों की बजाए इस बार समर वेकेशंस में गांव की असल जिंदगी से रू-ब-रू होने के लिए टूरिस्ट विलेज में ही ग्रामीण जनजीवन को करीब से महसूस कर सकते हैं। यहां आपको न केवल ग्रामीण इलाके का परिदृश्य मिलेगा, बल्कि आपके मनोरंजन के लिए खासतौर ऊंटगाड़ी, घोड़ागाड़ी और ट्रैक्टर सफारी के साथ ही चूल्हे पर खाना पकाने का मौका भी मिलेगा। यहा तमाम वजह हैं कि इन दिनों न केवल देसी बल्कि विदेशी पर्यटक भी इस ओर आकर्षित हो रहे हैं। पर्यटकों के इसी रुझान को देखते हुए देश के कुछ इलाकों में तो खासतौर पर ग्रामीण परिदृश्य बनाने के लिए विलेज तैयार किए जा रहे हैं।
विलेज टूरिज्म की परिभाषा
गावों में स्थानीय खूबसूरती-विशेषताओं का आनंद उठाने का अवसर उपलब्ध कराने वाला ही विलेज टूरिज्म, फार्म टूरिज्म और रूरल टूरिज्म कहलाता है। गांव के खेत-खलिहान, लहलहाती फसलें, हल-बैल, टायर गाड़ी-बैलगाड़ी, बाल्टी की सहायता से कुएं से पानी निकालना, मुर्गियों को पकड़ने की कोशिश में उनके पीछे भागना, कुम्हार को मिट्टी के तरह-तरह के बर्तन बनाते देखना और कहीं ऊंची जगह पर बैठकर पहाड़ियों और घाटियों के बीच उड़ान भरते पक्षियों को देखना। भारत की वास्तविक तस्वीर प्रस्तुत करते गांव इन्हीं कारणों से तो हमें खींच रहे हैं। दिल्ली-एनसीआर समेत देश के कई हिस्सों में गांवों में फार्म हाउस तैयार कर पर्यटकों का ग्रामीण जनजीवन से परिचय कराया जा रहा है। झोपड़ीनुमा घर में ठहरना, चारपाई पर सोना, गांव का खाना खाना और खेत से ताजे गन्ने तोड़कर चूसने का अहसास लोग यहां रहकर कर रहे हैं।
दिनों-दिन बढ़ता रुझान
ग्रामीण पर्यटन का कॉन्सेप्ट देश के लिए भले ही नया हो लेकिन सच यह है कि लोगों में इसके प्रति रुझान बढ़ रहा है। देश के चुनिंदा गावों में ग्रामीण पर्यटन के लिए जोर-शोर से तैयारियां चल रही हैं। कहीं सरकार और एनजीओ मिलकर तो कहीं एनआरआई पूंजी लगा रहे हैं। ग्रामीण जनजीवन को करीब से देखने और उसका आनंद लेने के लिए आपको कुछ सौ रुपए से लेकर कुछ हजार रुपए तक खर्च करने पड़ेंगे। दिल्ली-हरियाणा के आस-पास ऐसी जगहों पर प्रतिदिन प्रति व्यक्ति के हिसाब से करीब 500 रुपए से लेकर 2000 रुपए तक खर्च करने पड़ेंगे। दिल्ली के आस-पास गुड़गांव, फरीदाबाद, रोहतक आदि जगहों पर जाकर आप ग्रामीण जीवन का लुत्फ ले सकते हैं।
सादगीभरा मनोरंजन
ग्रामीणों से सीधा संवाद, गांव का भ्रमण कर ग्रामीण जीवन के बारे में करीब से जानना।
अगर कभी बैलगाड़ी, घोड़ागाड़ी, ऊंटगाड़ी और ट्रैक्टर की सवारी नहीं की है तो गांव की गलियों में इनकी सवारी का लुत्फ उठा सकते हैं।
घर में दूध पैकेट से आता होगा या दूधवाला दे जाता होगा लेकिन गाय, भैंस का दूध खुद कभी आपने दुहा है, अगर नहीं तो आप यहां दूध दुहना भी सीख सकते हैं।
तालाब से मछली पकड़ना, खेतों से ताजी सब्जी तोड़ना और खाना पकाने जैसे काम आप इन जगहों पर खुद कर सकते हैं।
घर पर शावर के नीचे आप रोजाना स्नान करते होंगे पर विलेज टूरिज्म में टयूबवैल के नीचे नहाने का लुत्फ अलग ही आनंद देगा।
क्रिकेट, वॉलीबाल, पतंगबाजी के अलावा आप यहां गिल्ली-डंडा, कबड्डी, खो-खो और कुश्ती का भी लुत्फ उठा सकते हैं।
सर्दियों में शाम को अलाव के पास बैठकर या फिर गांव की चौपाल में ग्रामीणों के संग लोकगीतों और अंताक्षरी का आनंद लें।
यहां आप अपना मनपसंद खाना खाने के अलावा अपनी मनमर्जी से पका भी सकते हैं। आप फार्म हाउस के खेतों में उगाई गई ताजी सब्जियों, फलों से कुकिंग कर सकते हैं। तालाब से मछली पकड़कर उनकी डिशेज बनाने का लुत्फ उठा सकते हैं।
कुछ चर्चित ग्रामीण इलाके
पर्यटन के मानचित्र पर प्रमुखता से चमकने वाले उत्तराखंड में तो अब ग्रामीण पर्यटन भी खूब लोकप्रिय हो रहा है। आलम यह है कि जो लोग बद्रीनाथ जाते हैं वह देश के अंतिम छोर पर स्थित चमोली के गांव माणा भी जरूर जाना चाहते हैं। अल्मोड़ा के गांव जागेश्वर में पर्यटकों की अच्छी खासी संख्या है। आप राज्य की होम स्टेज सुविधा का लाभ उठाकर गांवों में ठहरना चाहें या राज्य पर्यटन की सेवा लेकर माणा जैसे गांव का अनुभव प्राप्त करना चाहें, उत्तराखंड टूरिज्म की वेबसाइट पर जाकर टूरिज्म विभाग से संपर्क करना बेहतर होगा।
हरियाणा टूरिज्म ने आपके लिए द विलेज, गोल्डन डयून्स रिट्रीट, द सुरजीवन फार्म, प्रकृति फार्म, बन्नी खेरा फार्म आदि जगहें विकसित की हैं। इन जगहों पर पहुंचकर सपनों के गांवों में होंगे। द विलेज हरियाणा टूरिज्म की एक ऐसी ही छोटी दुनिया है। यहां हरियाली के बीच पक्षियों को निहारना भी मन को खूब भाएगा, गाय का ताजा दूध पीना भी और मछली पकड़ना भी। तरह-तरह के खेल की सुविधा तो उपलब्ध है ही, आप चाहें तो मेडिटेशन भी कर सकते हैं। हरियाणा में फार्म होलीडे का लुत्फ उठाना है तो ये गांव न केवल सस्ते हैं, बल्कि यहां असली भारत की तस्वीर भी देखने को मिलेगी।
शिमला, कुल्लू-मनाली जैसे लोकप्रिय हिल स्टेशनों से तो आपने हिमालय की वादियों की खूबसूरती को खूब निहारा होगा, इस बार यहां के किसी गांव में ठहरकर पहाड़ की अनुपम सुबह, दोपहर और शाम का नजारा देखिए। दिल कहेगा, जो बात इस जगह है वह कहीं और नहीं। पहाड़ के गांवों से पहाड़ की मनमोहक खूबसूरती और गांव के सहज जीवन ने ही तो पर्यटकों को यहां गांवों की ओर आकर्षित किया है।
ऐसे पर्यटकों के ठहरने के लिए हिमाचल टूरिज्म ने प्रदेश में स्टे होम योजना शुरू की है। धर्मशाला, पालमपुर, डलहौजी, शिमला, कुल्लू, मनाली, चंबा, कांगड़ा समेत राज्य के तमाम जिलों में सैकड़ों की संख्या में ऐसे स्टे होम हैं, जहां आप कम खर्च में ठहर सकते हैं और हिमाचल की वादियों, संस्कृति और यहां के लोगों के जीवन के बीच यादगार वक्त बिता सकते हैं। बस आपको हिमाचल टूरिज्म की वेबसाइट का सहयोग लेना होगा। यहां सर्च आॅप्शन में अलग-अलग जिले के होमस्टेज को सर्च करेंगे तो हर जिले की अलग-अलग सूची आपके सामने आ जाएगी।
आप राजस्थान के गांव को एंजॉय करना चाहते हैं तो राजस्थान टूरिज्म से संपर्क करें या राजस्थान होम स्टेट की वेबसाइट पर जाएं। राजस्थान का सांस्कृतिक जीवन दुनियाभर के पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता रहा है तो आप इससे वंचित क्यों रहें! संस्कृति के मुख्य केंद्र तो यहां के गांव ही हैं। इन गांवों में ठहरकर आप नई ऊर्जा से भर जाएंगे। किलों के लिए प्रसिद्ध राजस्थान में लोक संस्कृति पर्यटकों को आकर्षित करती है वहीं, रात में खासकर जैसलमेर के गांव में सैंड डयून पर आयोजित होने वाले सांस्कृतिक कार्यक्रम अद्भुत हैं।
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