पणजी। श्रीलंका की फिल्म डर्टी और येलो डार्कनेस के निर्देशक कल्पना और वियंदना अरियावंसा का कहना हैं कि भारत में 26वें भारत अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव (आईएफएफआई) में उनकी पहली फिल्म प्रदर्शित किये जाने पर वे अति प्रसन्न हैं।
आईएफएफआई से अलग मीडिया सेंटर में आयोजित पत्रकार वार्ता में पत्रकारों से बातचीत करते हुए दोनों निर्देशकों ने कहा कि भारतीय सिनेमा ने श्रीलंका की सिनेमा को प्रभावित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
युद्ध अवधि के कारण शुरूआत में श्रीलंकाई फिल्म उद्योग तरक्की नहीं कर पाया था लेकिन अब पश्चिम के प्रभाव से इसमें परिवर्तन हो रहा है। अरियावंसा ने कहा कि हालांकि श्रीलंका सरकार फिल्म उद्योग को वित्तीय सहायता नहीं दे रही है लेकिन वह चाहती है कि देश में अधिक विदेशी फिल्में बनें।
फिल्म में एक पढ़े-लिखे युवक विश्व और उसकी सुंदर पत्नी समदी की कहानी है, जिसका विज्ञापन के क्षेत्र मे सफल करियर है। लेकिन वो एक गंभीर जुनूनी बीमारी से पीिड़त है और उस दुख को वह दुनिया से छिपाये हुए है। विशेष रूप से वह स्वयं के मूत्र को लेकर भयभीत है और उसे लगता है कि इससे उसके आसपास की प्रत्येक वस्तु प्रदूषित हो जायेगी।
उसकी सनक और अजीब व्यवहार से परेशान होकर समदी उसे छोड़कर अपने माता-पिता के पास चली जाती है। अकेले पड़ गया विश्व की नौकरी चली जाती है और वह नशे की लत में पड़ जाता है। विश्व यह समझते हुए कि संस्कृति में आये बड़े सामाजिक परिवर्तनों से उसकी मानसिक बीमारी बढ़ जायेगी इसलिए अनिच्छा से वह स्वयं को सरकारी मानसिक अस्पताल में भर्ती करा देता है।
अस्पताल में विश्व की आंख खुल जाती है और अक्सर अन्य मरीजों के साथ हंसी मजाक से उसे जीवन के प्रति नया लगाव पैदा होता है तथा उसे पता चलता है कि वह उपेक्षित था। समदी के साथ बिताये खुशनुमा पल उसे फिर याद आते हैं और केवल दो हफ्तों के बाद ही वह अपनी पत्नी से मिलने की आशा में घर लौटने पर जोर देता है।
कल्पना अरियावांसा: कोलंबो में जन्मी और कोलंबस, ओहियो में कोलंबस कॉलेज ऑफ आर्ट एंड डिजाइन से बीएफए की डिग्री के साथ स्नातक हैं। उन्होंने अमरीका में एनीमेशन और विज्ञापन उद्योग में संकल्पना और स्टोरी बोर्ड आर्टिस्ट के रूप में कार्य किया। 2012 में कल्पना ने प्रसन्ना विथनाज की फिल्म ‘विद यू, विदाउट यू’ के लिए सहायक कथा लेखक और लाइन प्रोड्यूसर के रूप में कार्य किया था।
वियंदना अरियावंसा जब अमरीका में थे तो उन्होंने अपने कॉलेज की पढ़ाई छोड़कर फिल्म मेकिंग का अध्ययन किया। 2004 में श्रीलंका लौटने के बाद उन्होंने मार्केटिंग, मीडिया और सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में सलाहकार और कॉपी राइटर के रूप में कार्य किया। 2011 में उन्होंने श्रीलंका के सबसे पुराने कला समाचार पत्र सरसाविया के लिए हॉलीवुड फिल्मों की समीक्षा लिखनी शुरू की।
फिल्म ‘एंटोनिया’ के निर्देशक फर्डिनांडो सीटो फिलोमारिनो ने पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि उनकी फिल्म पहली बार फिल्म महोत्सव में दिखाई जा रही है। फिलोमारिनो ने पहली बार 2010 में लोकार्नो में अपनी पहचान बनाई जब लुईस गेरल, रिकॉर्डो स्केमार्सियो और अल्बा रोरवाचेर अभिनीत उनकी शॉर्ट फिल्म ‘दियार्चिया’ का सम्मानजनक उल्लेख किया गया।
‘एंटोनियो’ के निर्माता लुइका ग्वाडेगनिनो हैं जिनकी फिल्म ‘आई एम लव’ के लिए फिलोमारिनो ने सहायक निर्देशक के रूप कार्य किया था। फिल्म ‘एंटोनिया’ भी 1930 के दौरान की मिलान के उच्च समाज पर आधारित है। फिल्म ‘गोल्डन किंगडम’ के निर्देशक ब्रियान परकिंस और सनसेट, टेलगेट और टिंटेड फिल्म के सहायक निर्देशक जय हॉक ने भी पत्रकारों से बातचीत की और कहा कि भारतीय दर्शक उनकी फिल्मों को पसंद करेंगे।
अमेरिकी फिल्म निर्माता ब्रियान परकिंस ने एशिया और भारत के दूरदराजों की व्यापक यात्रा की है। बर्मा के मठों और गांवों के साथ संबंध बनाकर और बर्मी भाषा सीखकर उन्होंने देश द्वारा उपलब्ध कराए गए स्थानों पर अत्यंत चुनौती भरे माहौल में शूटिंग की और अब यह फिल्म ‘गोल्डन किंगडम’ दर्शकों के लिए तैयार हैं।
न्यूयॉर्क विश्वविद्यालय और यूसी बार्कले के छात्र रहे ब्रायन को अपने अध्ययन के दौरान कई सम्मान और पुरस्कार प्राप्त हुए। उन्होंने लॉस एंजेल्स और न्यूयॉर्क में कई म्यूजिक वीडियों का निर्देशन किया और वे अल्मा हरेल की फिल्म ‘बॉम्बे बीच (2011)’ में भी शामिल थे। जिसका प्रदर्शन बर्लीनेले में हुआ था और उस वर्ष इस फिल्म ने ट्रिबेका फिल्म महोत्सव का सर्वोच्च पुरस्कार जीता था।
2013 में परकिंस ने बैंक एंड शॉएल नाम से फीचर फिल्म प्रोडक्शन कंपनी स्थापित की, जिसके कार्यालय अमेरिका और जर्मनी में है। बैंक एंड शॉएल बुद्धिजीवी और प्रभावी फिल्में अमेरिका, यूरोप और विश्व के दर्शकों तक पहुंचाने के लिए समर्पित है। ‘गोल्डन किंगडम’ ब्रियान परकिंस की पहली फीचर फिल्म हैं।