नई दिल्ली। सर्वोच्च न्यायालय ने सोमवार को बताया कि प्रशासकों की समिति (सीओए) ने भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड के संविधान का मसौदा पेश कर दिया है। इस मसौदे में सर्वोच्च क्रिकेट संगठन में संगठनात्मक सुधारों पर न्यायाधीश लोधा समिति द्वारा की गई सभी सिफारिशों को शामिल किया गया है।
पूर्व नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक विनोद राय की अध्यक्षता में न्यायालय ने सीएओ की नियुक्ति की, जो वर्तमान में देश में क्रिकेट की सभी गतिविधियों का संचालन कर रही है। इसमें अभी दो सदस्य शामिल हैं।
एमीकस कुरीय गोपाल सुब्रह्मण्यम ने मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति एएम खानविल्कर और न्यायाधीश डी.वाए.चंद्रचूड़ की पीठ से कहा कि सीओए की ओर से तैयार मसौदा प्रस्तुत किया गया है, जिसमें लोढ़ा समिति की सभी सिफारिशें शामिल हैं।
सुब्रह्मण्यम ने अदालत को यह जानकारी भी दी कि सीओए के संचालन में बीसीसीआई की आमदनी में शानदार इजाफा हुआ है। सर्वोच्च न्यायालय ने 21 सितम्बर को बीसीसीआई तथा इसके संकाय सदस्यों को सीओए द्वारा तैयार किए गए मसौदे पर अपनी प्रतिक्रिया देने का आदेश दिया था।
अदालत ने कहा कि बीसीसीआई और उसके राज्य सदस्यों द्वारा दिए गए सुझावों को देखने के बाद सीओए अपना अंतिम संविधान मसौदा तैयार कर प्रस्तुत करेगा और इसके बाद इस पर विचार किया जाएगा।
शीर्ष अदालत ने 23 अगस्त को सीओए से लोढ़ा समिति की सिफारिशों को ध्यान में रखते हुए बीसीसीआई के नए संविधान का मसौदा तैयार करने को कहा था।
अदालत ने अपने फैसले में कहा था कि संविधान के मसौदे के लिए उसके 18 जुलाई, 2016 और 24 जुलाई, 2017 के फैसले को आधार बनाया जाए, जिसमें उसने एक राज्य एक वोट, चयन समिति के सदस्यों की तादाद और रेलवे, सर्विसेज, एसोसिएशन ऑफ इंडियन यूनिवर्सिटीज जैसे सहयोगी सदस्यों के ओहदे के फैसले पर दोबारा विचार करने को कहा था।
इसके साथ यह भी कहा गया था कि चूंकि संविधान के मसौदे पर अंतिम फैसला अदालत को लेना है, इसलिए बीसीसीआई को आम बैठक बुलाने की जरूरत नहीं है।
अदालत ने सोमवार को कार्यकारी अध्यक्ष सीके खन्ना, कार्यकारी सचिव अमिताभ चौधरी और कोषाध्यक्ष अनिरुद्ध चौधरी की उपस्थिति को भी नजरअंदाज किया।
शीर्ष अदालत ने 21 सितम्बर को अपने आदेश में 30 अक्टूबर को होने वाली सुनवाई के लिए खन्ना, अमिताभ चौधरी और अनिरुद्ध को 30 अक्टूबर को उपस्थित रहने कहा था।
अदालत ने 23 अगस्त को सुनवाई के दौरान बीसीसीआई के कार्यकारी अध्यक्ष सी.के. खन्ना, कार्यकारी सचिव अमिताभ चौधरी, कोषाध्यक्ष अनिरुद्ध चौधरी को आड़े हाथों लिया था।
अदालत ने इन सभी से साफ लहजे में कहा था कि ये लोढ़ा समिति की सिफारिशों का लागू करने में सहोयग करें अन्याथ इसके परिणाम इनको भुगतने होंगे।