जगदलपुर। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने माओवादियो के लिए कहा कि हिंसा की राह पर चलने वाले दो-पांच दिनों के लिए बंदूक छोडक़र सामान्य ग्रामीण की तरह बिना अपना परिचय दिए उन बच्चों के पास जाकर समय बिताएं जिनके परिवार, माता-पिता उनकी हिंसा के शिकार हुए हैं, तो उन बच्चों की पीड़ा और उनका दर्द अपने आप, आपके ह्रदय को बदल कर रख देगा।
कोई सरकार और कोई कानून भी आपके दिल में वो भावना नहीं जगा पाएगी जो ऐसे पीडि़त बच्चों के साथ बिताए हुए पल आपको देंगे।
अति माओवाद प्रभावित दंतेवाड़ा जिला मुख्यालय में एक आम सभा को संबोधित करते हुए मोदी ने माओवादियो से अपेक्षा की कि यदि वे कुछ दिन ऐसे पीडि़त बच्चों के साथ बिताएंगे तब उनका ह्रदय परिवर्तन होना तय है। सिर्फ उन बच्चों को यह न बताएं कि आप कौन हैं।
मुझे विश्वास है कि वह बच्चा आपके ह्रदय को इतनी गहराई से छुएगा कि आप भी अंदर से हिल जाएंगे कि आपने हिंसा के नशे में क्या खोया है और क्या पाया है और आपसे कैसा पाप हुआ है। आप ही की गोलियों से पीड़ा पाने वाला बच्चा आपको अवश्य यह शिक्षा देगा की हिंसा से कभी समस्याओं का समाधान नहीं हुआ है और न होगा। प्रधानमंत्री ने आगे कहा कि मिल बैठकर रास्ते निकल सकते हैं।
इसी संदर्भ में नरेंद्र मोदी ने पंजाब का हवाला देते हुये याद किया कि जब पंजाब में खूनी खेल खेला जा रहा था उस समय किसी नें सोचा भी नहीं था कि वह खत्म होगा परंतु आज पंजाब में शांति है, प्रगति है, विकास है और वहां पर हिंसा का कोई स्थान नहीं है। लोग सुख और शांति से वहां जी रहे हैं।
इसी प्रकार मुझे पूर्ण विश्वास है कि देश के इस भूभाग में ऐसे गलत रास्ते पर चलने वाले लोगों के ह्रदय के भीतर भी मानवता अवश्य जागेगी और माओवादी हिंसा के चलते जिन स्थानीय लोगों के जीवन में मुसीबत आई है उन्हें शीघ्र ही एक बार फिर शांति, स्थिरता और प्रगति का वातावरण मिलेगा।
इसी अनुक्रम में प्रदेश के मुख्यमंत्री डा. रमन सिंह द्वारा उठाए गए कदमों की सराहना करते हुए उन्होंने कहा कि उन्होंने उन बच्चों को शिक्षा और ज्ञान का वह रास्ता सीखाया और उनके हाथ में कलम थमा दी, जिन बच्चों के हाथों में माओवादी बंदूक और तलवार थमाना चाहते थे।
इस बात का अनुभव मैंने दंतेवाड़ा कि ज्ञान नगरी जावंगा में स्वयं अपनी आंखों से आज देखा है। उन बच्चों के ह्रदय को आत्मविश्वास और चेतना से भरपूर मैंने वहां देखा है।