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विराट संत सम्मेलन : श्रद्धालुओं को बताया सेवा का महत्व - Sabguru News
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विराट संत सम्मेलन : श्रद्धालुओं को बताया सेवा का महत्व

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विराट संत सम्मेलन : श्रद्धालुओं को बताया सेवा का महत्व
virat sant sammelan at ramlila maidan jalalabad
virat sant sammelan at ramlila maidan jalalabad

पाली। जलालाबाद के रामलीला मैदान में चल रहे संत सम्मेलन में के पांचवें दिन भी संतों ने श्रद्धालुओं अपने मन मानस को पवित्र बना रहे हैं। इस भक्ति की ज्ञान गंगा में सदाचार नैतिकता, राष्ट्रीयता, भक्ति सेवा वैराग्य ज्ञानादि के अनुपम पुष्पों की सुगंधित हवा में चारों तरफ ज्ञान की महक घुली हुई है।

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए अखिल भारतीय सोहम् महामंडल वृन्दावन के पीठाधीस्वर स्वामी विवेकानंद ने श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए कहा कि भगवान ने हमको इंद्रियां दी हैं, संसार की अनेकों महत्वपूर्ण वस्तुएं दी हैं। जो भगवान ने हमें दिया है उसका हम यदि अपने जीवन में सही उपयोग नहीं कर पाएं तो परमात्मा हम सबसे नाराज हो जाएगा।

भगवान की दी गई इन वस्तुओं को बुद्धिमान व्यक्ति ही उपयोग कर पाते हैं। उन्होंने सेवा की महत्ता को वताते हुए कहा कि शबरी ने सेवा के बल पर अपना हृदय निर्मल कर लिया। स्वयं मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान रात के साथ उनके भ्राता लक्ष्मण स्वयं भी शबरी के आश्रम पहुंच गए।

virat sant sammelan at ramlila maidan jalalabad

भगवान क्षल रहित अभिमान रहित भक्तों की ही सेवा स्वीकार करते हैं। स्वामी ज्ञानानंद महाराज ने भगवान राम और लक्ष्मण की सेवा भक्ति और अयोध्या को छोड़कर राम के साथ वनबास जाने के प्रसंग को विस्तृत रुप से सुनाया तो श्रद्धालु राजा दसरथ और राम लक्ष्मण की यादों के झरोखों में झूमते नजर आ रहे थे।

virat sant sammelan at ramlila maidan jalalabad

लक्ष्मण ने नारी का त्याग किया और नींद एवं भोजन का परित्याग भी किया, इसी के कारण लक्ष्मण मेघनाद का वध करने में सफल रहे। सेवा करके ही लक्ष्मण ने भगवान राम को प्रसन्न कर लिया। श्रीराम लक्ष्मण सेवा के कारण ही अगले अवतार में बलराम के छोटे भाई बनकर अवतरित हुए।

स्वामी सत्यानंद महाराज ने दान की महिमा का वर्णन करते हुये बलि और वामन भगवान की पावन कथा श्रद्धालुओं को सुनायी। रामयण मर्मज्ञ स्वामी प्रीतमदास ने रामराज्य का वर्णन करते हुये भगवान श्रीराम के आदर्शों से सीखने को कहा।

भगवान श्रीराम मर्यादा पुरुषोत्तम क्यों कहलाए को वताया। स्वमी गीतानंद ने अनुसुइया की पावन कथा सुनाकर माताओं को उनके जीवन से प्रेरणा लेने को कहा। इस अवसर पर स्वामी नारयणानंद, स्वामी सदानंद, ब्रहमचारी स्वामी गौरव स्वरुप एवं परषुराम मंदिर के महन्त ने भी श्रद्धालुओं को संबोधित किया।

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