शिमला। मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने कहा कि सूबे के मन्दिरों का जीर्णोद्धार प्रदेश की पारम्परिक वस्तुकला के अनुसार किया जाना चाहिए। यदि कोई मन्दिर की सम्पत्ति को नुकसान पहुंचाने का प्रयास करता है तो उसे दण्डित किया जाएगा।
भावुक होते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि करांगला माता उनके स्वप्न में आई तथा कहा कि क्या तुम्हें महसूस नहीं होता है कि मेरा ‘कोटी माता’ मन्दिर जीर्ण-शीर्ण स्थिति में है और कभी भी गिर सकता है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि अगली सुबह मन्दिर की तत्काल मरम्मत के आदेश दिए गए और बाद में मन्दिर का जीर्णोद्धार किया गया। यह देवी ही थी, जिन्होंने मन्दिर के नवीकरण के स्वयं निर्देश दिए और जीर्णोद्धार का सारा खर्चा मैंने उठाया।
मन्दिरों का किसी भी प्रकार की क्षति सहन नहीं की जाएगी और हमारे मन्दिरों व परम्पराओं, बोली व संस्कृति के संरक्षण की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि हमें अपनी परम्पराएं नहीं छोड़नी चाहिए तथा इनपर हमें गर्व महसूस करना चाहिए।
वीरभद्र सिंह मंगलवार को शिमला जिला के रामपुर से लगभग 35 किलोमीटर दूर करांगला स्थित माता कोट काली मन्दिर के प्रतिष्ठा समारोह के दौरान लोगों को संबोधित कर रहे थे।
वीरभद्र सिंह ने कहा कि जीर्णोद्धार का कार्य ज्ञान मेहत्ता ने आरम्भ किया और बाधाओं को दूर करने के लिए अनेक प्रयास किए गए और अन्त में आज यह स्वप्न पूरा हुआ है।
उन्होंने कहा कि करांगला मन्दिर को भीमा काली मन्दिर ट्रस्ट सराहन के साथ जोड़ा गया है और सारा खर्चा, जिसमें पुजारी का मानदेय भी शामिल है, को भीमा काली ट्रस्ट सराहन द्वारा वहन किया जाएगा। ज्ञान मेहत्ता को भीमा काली ट्रस्ट का एक न्यासी बनाया गया है।