भोपाल। मध्य प्रदेश के व्यावसायिक परीक्षा मंडल घोटाले का मुद्दा राष्ट्रीय स्तर पर गरमाने से मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की छवि पर आई आंच और सत्तारूढ़ बीजेपी के अन्य नेताओं पर लगे आरोपों ने पूरी पार्टी को एकजुट कर दी है।
मंगलवार को भाजपा के दिग्गज नेताओं ने राजधानी भोपाल से लेकर अन्य प्रमुख शहरों में सीधे मीडिया से संवाद कर न केवल शिवराज का बचाव किया, बल्कि व्यापमं के लिए उनकी ओर से की गई पहल को भी गिनाया।
राजधानी भोपाल में केंद्रीय इस्पात एवं खनन मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि प्रदेश में व्यापमं की अनियमितताओं का पता लगते ही जिस तरह मुख्यमंत्री शिवराज ने संज्ञान लिया, जांच के निर्देश दिए, उसी का परिणाम है कि एसटीएफ का गठन हुआ। बाद में उच्च न्यायालय द्वारा गठित एसआईटी की निगरानी में एसटीएफ ने जांच को आगे बढ़ाया।
मंत्री तोमर ने कहा कि मुख्यमंत्री शिवराज ने ही उच्च न्यायालय से व्यापमं मामले की सीबीआई जांच कराने की अनुशंसा की और सर्वोच्च न्यायालय से भी राज्य सरकार ने सीबीआई जांच का आग्रह किया। सीबीआई ने जांच शुरू कर दी गई है। फिर भी कांग्रेस संवैधानिक संस्थाओं पर अविश्वास कर रही है और जांच निष्कर्ष की प्रतीक्षा करने के बजाय मुख्यमंत्री की छवि धूमिल कर मध्य प्रदेश को देश में बदनाम कराने का पाप कर रही है।
तोमर ने आगे कहा कि विधानसभा, लोकसभा, नगरीय निकाय से लेकर हर चुनाव में प्रदेश की जनता ने कांग्रेस को खारिज कर दिया है। कांग्रेस ने चुनाव के दौरान भी मुख्यमंत्री की छवि धूमिल करने के लिए घृणित दुष्प्रचार किया, लेकिन प्रदेश की जनता ने कांग्रेस को खारिज कर माकूल जवाब दिया। उन्होंने कहा कि अब कांग्रेस तथ्यहीन मिथ्या प्रचार कर जिस तरह अभियान चला रही है, इससे मध्य प्रदेश बदनाम हो रहा है।
व्यापमं से जुड़े लोगों की मौत के बारे उन्होंने कहा कि किसी भी व्यक्ति का निधन दुखद है, लेकिन हर मौत को व्यापमं से जोड़कर देखना न्यायोचित नहीं है। केंद्रीय मंत्री ने व्यापमं मामले में अब तक की गई कार्रवाई पर रोशनी डालते हुए कहा कि सिर्फ 378 व्यक्ति ही जेल में हैं। कांग्रेस गलत और झूठे आंकड़े परोसकर जनता को भ्रमित कर रही है। इसी तरह प्रदेश में मौत का शिकार होने वाले हर व्यक्ति को कांग्रेस व्यापमं मामले का आरोपी और गवाह बताकर जनता को गुमराह कर रही है।
उधर, भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष नंदकुमारसिंह चौहान ने सागर में मीडिया से चर्चा करते हुए आरोप लगाया कि कांग्रेस ने हमेशा जांच को पटरी से उतारने का प्रयास किया और मामले को उच्च न्यायालय ले गई। लेकिन वहां भी दिग्विजय सिंह को हताशा ही हाथ लगी। उन्होंने कहा कि दिग्विजय सिंह की मंशा इंदौर के एक मेडिकल कॉलेज को जांच से बचाना था, जहां अनियमितताएं हुई हैं।
चौहान ने कहा कि कांग्रेस के समय में तो शिक्षाकर्मियों और अन्य पदों की भर्तियों में नीलामी होती थी। मगर उन्होंने कभी जांच का आदेश करने का साहस नहीं दिखाया। शिवराजसिंह चौहान ने हर स्तर पर नेक नीयत का परिचय दिया है और व्यापमं की अनियमितताओं की जांच सुप्रीम कोर्ट द्वारा सीबीआई को सौंपे जाने का श्रेय भी उन्हें ही है।
प्रदेश के ग्वालियर, जबलपुर, इंदौर और उज्जैन में भी भाजपा के कई बड़े नेताओं ने मीडिया से चर्चा की और मुख्यमंत्री का सीधा बचाव किया।
ग्वालियर में पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष व सांसद प्रभात झा, उज्जैन में पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष श्याम जाजू, इंदौर में पार्टी के वरिष्ठ नेता एवं केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर, जबलपुर में वरिष्ठ नेता विक्रम वर्मा और रीवा में प्रदेश सरकार के मंत्री राजेंद्र शुक्ला ने मीडिया से संवाद कर शिवराज का बचाव किया।