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मुख्यमंत्री के ही संरक्षण में हुआ है व्यापमं महाघोटाला : कांग्रेस - Sabguru News
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मुख्यमंत्री के ही संरक्षण में हुआ है व्यापमं महाघोटाला : कांग्रेस

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मुख्यमंत्री के ही संरक्षण में हुआ है व्यापमं महाघोटाला : कांग्रेस
vyapam scam : congress demands sacking of MP CM Shivraj singh chouhan
vyapam scam : congress demands sacking of MP CM Shivraj singh chouhan
vyapam scam : congress demands sacking of MP CM Shivraj singh chouhan

भोपाल। एशिया के सर्वाधिक चर्चित व्यापम महाघोटाले और उसके बाद इस घोटाले के साक्ष्य मिटाने को लेकर साजिशकर्ताओं द्वारा जारी संदिग्ध मौतों का तांडव और अंतहीन सिलसिला कब तक जारी रहेगा, कहा नहीं जा सकता?

यह आरोप प्रदेश के कांग्रेस अध्यक्ष अरूण यादव ने सोमवार को एक पत्रकार वार्ता के दौरान लगाए। उन्होंने कहा कि एशिया में मध्यप्रदेश के सम्मान को शर्मसार करने वाले इस महाघोटाले के रचियता और संरक्षक सिर्फ और सिर्फ प्रदेश के मुखिया शिवराजसिंह चौहान और उनका परिवार ही है।

यदि मेरा यह गंभीर आरोप गलत है तो मुख्यमंत्री बतायें कि व्यापम घोटाले को लेकर जेल में बंद आरोपी लक्ष्मीकांत शर्मा और शिक्षा व खनिज माफिया सुधीर शर्मा के माध्यम से व्यापम के नियंत्रक पंकज त्रिवेदी की नियुक्ति किसके निर्देश पर हुई? क्रिस्प के चेयरमेन के रूप में नियुक्ति देने वाले कौन थे? बालाघाट जिले में मुख्यमंत्री के साले संजयसिंह और अरूण सिंह मसानी को मेग्नीज की खदानों को संचालित करने में सुधीर शर्मा की भूमिका क्या है?
परिवहन आरक्षक भर्ती परीक्षा में चयनित आरक्षकों को फिजीकल टेस्ट से मुक्त रखे जाने का आदेश तत्कालीन परिवहन मंत्री जगदीश देवड़ा ने किसके आदेश से जारी किया था? परिवहन आरक्षक भर्ती परीक्षा के दौरान पुलिस विभाग से एस.पी. पदोन्नति के बाद डीआईजी और फिर आईजी रेंज पाने के बाद परिवहन विभाग ग्वालियर में क्रमश: असिस्टेंट ट्रांसपोर्ट कमिश्नर और एडिशनल ट्रांसपोर्ट कमिश्नर के रूप में मुख्यमंत्री के रिश्तेदार आर.के. चौधरी की नियुक्ति और पदोन्नति लगातार तीन बार क्यों हुई?

परिवहन आरक्षक भर्ती परीक्षा और व्यापम घोटाला उजागर हो जाने के बाद परिवहन विभाग के रिकार्ड में हुई गड़बडि़यों/ छेड़छाड़ और साक्ष्यों को नष्ट करवाने में उनकी भूमिका क्या रही? यही नहीं एडिशनल ट्रांसपोर्ट कमिश्नर पर एसपी रेंज के व्यक्ति की नियुक्ति की जाती हैं, किंतु आईजी के रूप में सेवानिवृत्ति तक उन्हें इस मलाईदार विभाग में लगातार पदस्थ क्यों किया जाता रहा ?

जबकि उनकी योग्यता तभी उजागर हो गई थी, जब देवास एसपी के रूप में उनके कार्यकाल में धाराजी नदी में जो दुर्घटना हुई थी, उसमें अनगिनत लोगों की मृत्यु हुई थी, उसे लेकर गठित जांच आयोग ने चौधरी को अयोग्य बताते हुए उन्हें किसी भी जिले और महत्वपूर्ण पद पर काबिज करने से मनाही करने की सिफारिश की थी?
मेरा सीधा आरोप है कि इस पूरे घोटाले में समूची सरकार, मुख्यमंत्री और उनका परिवार लिप्त है। यही कारण है कि मुख्यमंत्री यह जानते हैं कि सीबीआई जांच के बाद ‘दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा’, इसलिए वे सीबीआई जांच से कतरा रहे हैं।

नैतिकता के आधार पर मुख्यमंत्री तत्काल प्रभाव से अपने पद से इस्तीफा दें, क्योंकि इतना बड़ा घोटाला हो जाये और मुख्यमंत्री को मालूम भी न हो, ऐसा संभव हो ही नहीं सकता ? लगातार सात वर्षों तक मेघावी और योग्य छात्र/छात्राओं के भविष्य के आगे सरकार में बैठे लोग और नौकरशाह अंधेरा परोसते रहें, इसकी जबावदेही किसकी बनती है?
मेरा सीधा और स्पष्ट आरोप है कि प्रदेश में जब तक शिवराजसिंह चौहान मुख्यमंत्री के रूप में काबिज रहेंगे, तब तक साक्ष्यों के साथ न केवल छेड़छाड़ होगी, बल्कि संदिग्ध हत्याओं का अंतहीन सिलसिला जारी रहेगा।
मुख्यमंत्री द्वारा सीबीआई जांच से पूरी तौर पर इंकार कर देना कहीं न कहीं इस महाघोटाले को लेकर उनका और उनके परिवार की संलिप्तता का प्रमाण बन चुका है। उस माननीय हाईकोर्ट का हवाला देकर शिवराजसिंह चौहान जिस एसआईटी और एसटीएफ पर अपना विश्वास दोहरा रहे हैं, उसी माननीय हाईकोर्ट ने एसआईटी को सिर्फ ‘वॉच डॉग’ कह डाला है, उसी दिन से एसआईटी की भूमिका और विश्वसनीयता लगभग समाप्त सी हो चुकी है। यही स्थिति एसटीएफ को लेकर भी है कि जांच एजेंसियों के अधिकारियों ने भी एसआईटी को लिखकर अपनी जान का खतरा बताया है?

एसटीएफ की जांच प्रक्रिया पर कांगे्रस पहले ‘पिक एंड चूज’ का आरोप लगाती रही, किंतु हाल ही में व्यापम के एक अन्य आरोपी नरेन्द्रसिंह तोमर की संदिग्ध मौत के बाद उसके पिता ने यह आरोप लगाया है कि ’’इंदौर में पदस्थ सीएसपी जो एसआईटी टीम के भी अधिकारी हैं, ने उनसे सात लाख रूपयों की मांग भी की थी?‘‘ यह अजय जैन दो वर्ष पहले इंदौर के थाना पलासिया में विवादास्पद टीआई रहे हैं, पदोन्नति के बाद वे सीएसपी इंदौर के रूप में पदस्थ कैसे, क्यों और किस ईमानदारी के तहत हो गये? इन्हें यह पदस्थापना ४० लाख रूपये लेकर मुख्यमंत्री के परिवार के किस व्यक्ति ने दिलायी है?
एसआईटी की विश्वसनीयता, अधिकारविहीन स्थिति और जांच एजेंसी एसटीएफ की ईमानदारी की यही बानगियां पर्याप्त हैं, और इन्हीं पर्याप्त बानगियों को इन एजेंसियों की अतियोग्यता और अतिईमानदारी मानकर शायद मुख्यमंत्री इन पर पूरा भरोसा कर रहे हैं?
मेरी मांग है कि प्रतिष्ठित राष्ट्रीय चैनल के दिवंगत संवाददाता स्वर्गीय अक्षयसिंह और संदिग्ध परिस्थितियों में मृत मेडीकल कॉलेज जबलपुर के दूसरे डीन स्वर्गीय डॉ. अरूण शर्मा की मौंतो की जांच अलग-अलग ढंग से करायी जाये, क्योंकि व्यापम महाघोटाले में अब तक साक्ष्यों को नष्ट करते हुए जिन आरोपियों, दलालों, स्कोरर, दो चिकित्सा अधिष्ठाताओं, वकीलों और अब लोकतंत्र के चौथे स्तंभ से जुड़े खोजी और जाबांज पत्रकार सहित अब तक हुई कुल 48 संदिग्ध मौंतो के बाद आरोपियों की ताकत अंदाजा कितना है स्पष्ट हो रहा है और इन मौंतो का जो अंतहीन सिलसिला प्रारंभ हुआ है, वह न जाने कहां जाकर थमेगा ?

यदि इन सभी स्थितियों और मानवीय संवेदनाओं से मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान जरा भी इत्तेफाक रखते हों तो उन्हें नैतिकता के नाते अपने पद से न केवल इस्तीफा दे देना चाहिए, बल्कि सीबीआई जांच की भी घोषणा कर देना चाहिए, ताकि प्रदेश में हुए व्यापक भ्रष्टाचार के बाद इस महाघोटाले को लेकर जारी मौत के तांडव से उपजा दमन और अराजकता का माहौल प्रदेश की मान्य राजनैतिक और प्रशासनिक परंपराओं के आगे बौना साबित हो सके?