भोपाल। गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में व्यापमं घोटाले की सुनवाई हुई। कोर्ट में हैदराबाद स्थित फारेंसिक लैब की सीलबंद सीएफएसएल रिपोर्ट का लिफाफा खोला गया। इसमें यह सामने आया है कि हार्डडिस्क और पेन ड्राइव से कोई छेड़छाड़ नहीं हुई है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस मामले की जांच सीबीआई करेगी साथ ही पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह की याचिका पर शीर्ष कोर्ट ने आगे सुनवाई से इंकार करते हुए सीबीआई को निर्देश दिए कि वे इस संबंध में तमाम तथ्य निचली अदालत में पेश करें। सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई से तीन महीने में इस मामले की जांच पूरी करने को कहा है।
उल्लेखनीय है, कि याचिका में यह आरोप लगाए गए थे कि हार्डडिस्क और पेन ड्राइव की एक्सल शीट में छेड़छाड़ कर कुछ नाम हटाए गए हैं। व्यापमं मामले के व्हीसल ब्लोअर प्रशांत पांडेय ने अपनी याचिका में कहा था कि इसमें कुछ बड़े ओहदों पर बैठे लोगों के नाम भी शामिल थे, जिन्हें जांच के दौरान हटाया गया है।
इन्हीं आरोपों के बाद हार्डडिस्क और पेन ड्राइव की जांच लैब में कराई गई थी। जिसमें यह सामने आया कि हार्डडिस्क से किसी भी प्रकार की छेड़छाड़ नहीं हुई है। इस मामले में इस फारेसिंक रिपोर्ट सामने आने के बाद प्रदेश सरकार को बड़ी राहत मिली है।
सीहोर जिले के नसरुल्लागंज में आयोजित किसान सम्मेलन में पहुंचे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि व्यापमं मामले में मेरे परिवार को बदनाम करने की साजिश रची गई थी। सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद मुझे सुकून मिला है। मेरा परिवार इस मामले में बहुत भुगता है।
इधर, कांग्रेस प्रवक्ता के.के. मिश्रा ने मामले पर सवाल उठाते हुए कहा कि सीबीआई किस आधार पर कह रही कि हार्डडिस्क में टेम्परिंग नहीं हुई। साथ ही मिश्रा ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में दिग्विजय सिंह द्वारा दायर याचिका के संदर्भ में भाजपा भ्रम फैला रही है।
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने याचिका को यह कहकर डिस्पोजल किया है कि वह सीबीआई की जांच में मॉनिटरिंग नहीं करेगी। शेष रहे मामलों की सीबीआई तीन माह में जांच पूरी करे। जहां तक हार्डडिस्क में टेम्परिंग का ताल्लुक है, तो सीबीआई किस आधार पर कह रही है कि टेम्परिंग नहीं हुई है?
जब अभी तक इस जांच का लिफाफा ही नहीं खुला है? इसके साथ ही कांग्रेस ने कहा कि भाजपा द्वारा इस प्रकरण के हुए डिस्पोजल पर जश्न मनाने की बात कहना राजनीतिक बेशर्मी की दोयम दर्जे की पराकाष्ठा है।
क्या भाजपा इस बात से इत्तेफाक नहीं रखती है कि मप्र में व्यापमं घोटाला हुआ है? इसमें दिवंगत राज्यपाल, उनके बेटे के विरूद्ध प्राथमिकी दर्ज हुई, उनके ओएसडी जेल गए, सीएम के ओएसडी जमानत पर हैं, सरकार के मंत्री जेल गए, व्यापमं के पंकज त्रिवेदी, नितिन महिंद्रा, क्रिस्प के मुखिया सुधीर शर्मा जेल गए?
इनकी नियुक्तियां किसने की, व्यापमं के माध्यम से ही सभी प्रतियोगी परीक्षाओं को कराने का निर्णय क्या शिवराज सरकार का नहीं था, यह निर्णय क्यों लिया गया? इस घोटाले में अन्य आईएएस, आईपीएस, शिक्षा-चिकित्सा माफिया, अन्य दलालों की भूमिकाएं क्या थीं?
कांग्रेस का कहना है कि डॉ. गुलाबसिंह किरार कौन व किसके रिश्तेदार हैं, एक अन्य प्रमुख आरोपी व् मुख्यमंत्री के करीबी राधवेंद्रसिंह तोमर को गिरफ्तारी के बाद सरकारी गवाह किसके दबाव में बनाया गया?
क्या इतने बड़े महाघोटाले की कहानी सिर्फ एक व्यक्ति लिख सकता है? कभी नहीं….! अभी लड़ाई खत्म नहीं शुरू हुई है। इस मुद्दे पर अन्य 5 याचिकाएं अभी सुप्रीम कोर्ट में और भी लंबित हैं।