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vyapam scam : Supreme Court cancels admission of over 600 MBBS students in madhya pradesh
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व्यापमं घोटाला : सुप्रीम कोर्ट ने मप्र में 634 मेडिकल छात्रों की दाखिला प्रक्रिया रद्द की

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व्यापमं घोटाला : सुप्रीम कोर्ट ने मप्र में 634 मेडिकल छात्रों की दाखिला प्रक्रिया रद्द की
vyapam scam : Supreme Court cancels admission of over 600 MBBS students in madhya pradesh
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नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने 2008 से 2012 के सत्र के दौरान मध्यप्रदेश में व्यापमं के जरिए 634 मेडिकल छात्रों के दाखिले की प्रक्रिया को रद्द कर दिया है। इन छात्रों को पांच वर्षीय एमबीबीएस कोर्स में दाखिला मिला था।

चीफ जस्टिस जेएस खेहर की अध्यक्षता वाली बेंच ने ये फैसला दिया है। ये फैसले सामूहिक नकल में शामिल 634 छात्रों की सजा को लेकर हैं। इस मामले पर सोमवार को सुनवाई करते हुए जस्टिस चेलमेश्वर और जस्टिस अभय मनोहर सप्रे ने दो अलग-अलग फैसले सुनाए थे।

जस्टिस चेलमेश्वर ने सभी पक्षों को सुनने के बाद फैसला दिया था कि आम जनता के हितों को ध्यान में रखते हुए सभी 634 छात्रों को ग्रेजुएशन पूरा होने के बाद पांच साल तक भारतीय सेना के लिए बिना किसी वेतन के काम करना होगा। पांच साल पूरे होने पर ही उन्हें डिग्री दी जाएगी।

हालांकि उन्हें इस दौरान कुछ भत्ते दिए जाएंगे। जबकि बेंच के दूसरे जस्टिस सप्रे ने हाईकोर्ट के फैसले को बरकरार रखा और छात्रों की अपील को खारिज कर दिया। दोनों जजों के अलग अलग फैसलों के बाद मामला तीन जजों की बेंच को भेज दिया गया। सुप्रीम कोर्ट की तीन सदस्यीय बेंच ने उसे सुनवाई करने वाली मूल बेंच को भेज दिया था।

मूल बेंच से कहा कि क्या इसमें केवल सजा दी जा सकती है या मामले की दोबारा सुनवाई गुण दोष के आधार पर हो सकती है। जस्टिस जेएस खेहर, जस्टिस कुरियन जोसेफ और जस्टिस अरुण मिश्रा की बेंच ने 12 मई को जस्टिस चेलमेश्वर और जस्टिस अभय मनोहर सप्रे के उस आदेश का हवाला देते हुए फैसला सुनाया जिसमें दोनों जजों ने अलग-अलग फैसले सुनाए थे लेकिन मूल बेंच से ये दोबारा वापस आ गई।

इसके बाद आज उस पर चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाली बेंच ने फैसला सुनाया। दरअसल मध्यप्रदेश के व्यावसायिक परीक्षा मंडल ने सामूहिक नकल का मामला सामने आने के बाद साल 2008-2012 बैच के छात्रों का एडमिशन रद्द कर दिया था।

इसके खिलाफ छात्रों ने जबलपुर हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। हाईकोर्ट ने इससे जुड़ी सभी याचिकाएं खारिज कर दीं और व्यापमं की ओर से लिए गए फैसले को सही ठहराया जिसके बाद छात्रों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी।