जयपुर। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रांत संघचालक डॉ. रमेशचंद्र अग्रवाल ने कहा कि तमिलनाडु, केरल एवं कर्नाटक समेत दक्षिण भारत के कई राज्यों में जेहादी तत्वों की हिंसात्मक गतिविधियां बढ़ी हैं और यह पूरे देश के लिए सही मायने में चिंता का विषय है।
इस हिंसा के जरिये हिन्दुओं और राष्ट्रवादी संगठनों के कार्यकर्ताओं को निशाना बनाया जा रहा है। इसीलिए हमें ऐसे तत्वों से सावधान रहने की जरूरत है।
डॉ.अग्रवाल बुधवार को विश्व संवाद केन्द्र पर पत्रकारों से चर्चा कर रहे थे। पत्रकार वार्ता हैदराबाद (भाग्यनगर) में हुई संघ की अखिल भारतीय कार्यकारी मंडल बैठक की जानकारी देने के लिए बुलाई गई थी।
उन्होंने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सर कार्यवाह भैय्याजी जोशी के वक्तव्य के बारे में जानकारी दी। इसमें पिछले दिनों में पं.बंगाल, तमिलनाडु एवं कर्नाटक जैसे कुछ राज्यों में अतिवादी जेहादी तत्वों द्वारा की गई सांप्रदायिक हिंसा की निंदा की गई है।
उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल में दुर्गापूजा के पांडालों को निशाना बनाया गया। हिन्दुओं पर हो रहे अत्याचारों के कारण उन्हें पलायन को मजबूर होना पड़ रहा है।
हिंसा फ़ैलाने वालों के खिलाफ त्वरित कार्रवाई तथा अतिवादी तत्वों के प्रति सतर्क रहने की जरूरत है। इन जेहादी तत्वों के तार आईएसआई जैसे आतंकी संगठनों से भी जुड़े हो सकते हैं।
उन्होंने कहा कि संघ की अखिल भारतीय कार्यकारी मंडल की बैठक प्रतिवर्ष होती है। इसमें सालभर विविध संगठनों के कार्यक्रमों की समीक्षा और आगामी कार्यक्रमों की योजना बनाई जाती है। बैठक में करीब 1400 प्रमुख लोग शामिल होते हैं।
उन्होंने कहा कि बैठक में हरियणा में जाट आंदोलन के बाद बढ़ी वैमनस्यता को समाप्त करने के लिए आयोजित सछीज्ञवना सम्मेलन, अवध प्रांत में घटनायकों के शिविर और विजयदशमी पर आठ बड़े शहरों में बुद्धिजीवियों के बीच चर्चा जैसे कार्यक्रम पर विस्तार से चर्चा हुई।
डॉ. अग्रवाल ने बताया कि केरल में मार्क्सवादी कम्यूनिस्ट पार्टी की सरकार बनने के बाद राज्य में हिंसात्मक गतिविधियां बढ़ गई हैं। राष्ट्रवादी शक्तियों को निशाना बनाया जा रहा है।
सरकार गठन के पांच माह बाद ही माकपा के असहिष्णुता पूर्ण व्यवहार के कारण केरल सर्वाधिक अशांत दौर से गुजर रहा है। अपने से भिन्न विचारधारा के साथ माकपा कार्यकर्ता हिंसाचार कर रहे है।
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद, मजदूर संघ और भाजपा कार्यकर्ताओं की हत्याएं की जा रही है। यह सब शासन के प्रश्रय से हो रहा है। कार्यकारी मंडल ने केरल में हो रहे इस कृत्य की निंदा कर प्रस्ताव पारित किया है।
उन्होंने बताया कि भौतिकता पर केन्द्रित जीवन के कारण परिवार टूट रहे हैं। प्रकृति के अनियंत्रित शोषण से बढ़ते तापमान के कारण उभरती प्राकृतिक आपदाएं, समुद्र के जल स्तर में निरंतर वृद्धि, वायु-जल-मिट्टी का बढ़ता प्रदूषण, जल संकट, उपजाऊ भूमि बंजर बनते जा रहे हैं वहीं कई जीव-प्रजातियों आज विलुप्त हो गए हैं।
उन्होंने कहा कि आर्थिक विषमता, पर्यावरण-असंतुलन और आतंकवाद विश्व मानवता के लिए गंभीर चुनौती का कारण बन रहे हैं।
पूंजीवाद व साम्यवादी विचारधाराओं को अपनाने के कारण ही विश्व में बेरोजगारी और गरीबी बढ़ती जा रही है। इन सबका निवारण एकात्म मानव दर्शन के चिंतन के अनुरूप व्यक्ति व उसके पारिस्थितिकी-तंत्र में तालमेल से ही संभव है।