दिल्ली। मन की बात कार्यक्रम में रविवार को देशवासियों को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि वह हाल ही में आई प्राकृतिक आपदाओं से काफी आहत हैं। भूकंप की आपदा से जुझ रहे नेपाल की ओर सहायता का हाथ बढ़ाते हुये प्रधानमंत्री ने कहा कि नेपाल का दुःख हमारा दुख है और भारत दुख की इस घड़ी में अपने पड़ोंसी को हर तरह से सहायता देने को तैयार है।
नेपाल की ओर सहायता का हाथ बढ़ाते हुए उन्होंने कहा कि सवा-सौ करोड़ देश वासियों के लिए नेपाल अपना है। उन लोगों का दुःख भी हमारा दुःख है। भारत पूरी कोशिश करेगा इस आपदा के समय हर नेपाली के आंसू पोंछें जाए।
प्रधानमंत्री ने कहा कि वह बोझ अनुभव कर रहे हैं और उनका मन हाल ही में आई प्राकृतिक आपदाओं से आहत है। उन्होंने कहा कि ऐसा लगता है मानो प्राकृतिक आपदा का सिलसिला चल पड़ा है। उन्होंने कहा कि वह नेपाल पर क्या बीतती होगी, उन परिवारों पर क्या बीतती होगी, उसकी कल्पना कर सकते हैं।
उन्होंने कहा कि हिंदुस्तान के जिस कोने में मुसीबत आयी है वहां भी, और नेपाल में भी सहायता पहुंचाना प्रारंभ कर दिया है। सबसे पहला काम है बचाव अभियान, लोगों को बचाना। हमारी कोशिश पूरी रहेगी अधिकतम लोगों को जिन्दा बचाएं। बचाव अभियान के बाद राहत और पुनर्स्थापित करने का काम भी लंबा चलेगा।
यमन का बचाव अभियान रहा संतोषजनक
युद्धगस्त यमन में चलाए गए बचाव अभियान पर प्रधानमंत्री ने कहा कि बम-बन्दूक की वर्षा चलती हो, मौत का साया हो, और एक सप्ताह की बच्ची अपनी जिन्दगी बचा सके तब मन को संतोष होता है। उन्होंने कहा कि युद्ध की भयंकर विभीषिका के बीच भारतीयों को जीवित निकालना एक बहुत बड़ा कठिन काम था।
इसके बावजूद हमने न केवल भारतीयों बल्कि दुनिया के करीब 48 देशों के नागरिकों को बचाया। जिसके चलते भारत के “सेवा परमो धर्मः”, की अनुभूति विश्व ने की है। उन्होंने कहा कि उन्हें खुशी है कि कोई भी नुकसान के बिना, सब लोग बचकर बाहर आए।
प्रथम विश्वयुद्ध में भारतीय सैनिकों की शहादत को किया याद
फ्रांस यात्रा का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि 1914 और 1918 तक प्रथम विश्व युद्ध चला और करीब-करीब 15 लाख भारतीय सैनिकों ने इस युद्ध में अपनी जान की बाजी लगा दी। भारतीयों ने एक अदभुत पराक्रम करके दिखाया थाI प्रथम विश्व युद्ध में हमारे करीब-करीब 74 हजार जवानों ने शहादत दी। करीब 9 हजार 2 सौ सैनिकों को गैलेंट्री अवार्ड से डेकोरेट किया गया।
11 पराक्रमी वीरों को सर्वश्रेष्ठ सम्मान विक्टोरिया क्रॉस मिला । खासकर कि फ्रांस में विश्व युद्ध के दरमियान मार्च 1915 में करीब 4 हजार 7 सौ हमारे हिनदुस्तानियों ने बलिदान दिया था। उनके सम्मान में फ्रांस ने वहां एक स्मारक बनाया है। वह वहाँ हमारे पूर्वजों के पराक्रम के प्रति श्रध्दा व्यक्त करने गए था।
बाबा साहेब अम्बेडकर के स्मारक के लिए सरकार ने दी जमीन
प्रधानमंत्री ने कहा कि आज देश पूज्य बाबा साहेब अम्बेडकर की 125 वीं जयन्ती का वर्ष मना रहा है। कई वर्षों से मुंबई में उनके स्मारक बनाने का जमीन का विवाद चल रहा था। अब भारत सरकार ने वो जमीन बाबा साहेब अम्बेडकर के स्मारक बनाने के लिए देने का निर्णय कर लिया है।
उसी प्रकार से दिल्ली में बाबा साहेब अम्बेडकर के नाम से एक इंटरनेशनल सेंटर बने, पूरा विश्व इस मनीषी को जाने, उनके विचारों को जाने, उनके काम को जाने। ये भी वर्षों से लटका पड़ा विषय था, इसको भी पूरा किया, शिलान्यास किया, और 20 साल से जो काम नहीं हुआ था वो 20 महीनों में पूरा करने का संकल्प किया।
नहीं रहेगी मैला ढोने की परंपरा
प्रधानमंत्री ने मैला ढोने की परंपरा को पूरी तह से मिटा देने का संकल्प करते हुए कहा कि आज भी हमारे देश में कुछ परिवार हैं जिनको सर पे मैला ढ़ोने के लिए मजबूर होना पड़ता है। अब हमारे देश में किसी गरीब को सर पर मैला ढोना पड़े, ये परिस्थति सहन नहीं की जाएगी। समाज को साथ लेते हुए बाबा साहेब अम्बेडकर की 125 वीं जयन्ती वर्ष में हम इस कलंक से मुक्ति पायेंगे। सरकार अपना दायित्व निभानायेगी और जनता से सहयोग चाहेगी।
शिक्षा सब तक पहुंचे
प्रधानमंत्री ने कहा कि आज भी हमारे देश में दलित, पीड़ित, शोषित, वंचित समाज में ख़ास कर बेटियों में शिक्षा का प्रसार नहीं हुआ है। बाबा साहेब अम्बेडकर के 125 वीं जयन्ती पर हम संकल्प करें कि हमारे गाँव में, नगर में, मोहल्ले में गरीब से गरीब की बेटी या बेटा, अनपढ़ न रहे। सरकार अपना कर्त्तव्य करे, समाज को उनका साथ मिले तो हम जरुर संतोष की अनुभूति होगी।
देश की बेटियों पर नाज
देश की बेटियों पर नाज जताते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि उन्हें गर्व होता है कि भारत की दो बेटियों ने देश के नाम को रौशन किया। एक बेटी साईना नेहवाल बैडमिंटन में दुनिया में नंबर एक बनी और दूसरी बेटी सानिया मिर्जा टेनिस डबल्स में दुनिया में नंबर एक बनी। दोनों को बधाई, और देश की सारी बेटियों को भी बधाई।
हार को स्वीकार करें
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि जय पराजय खेल का हिस्सा है, हमें पराजय से सिखना चाहिए और पल भर में आपा नहीं खोना चाहिए। क्रिकेट विश्वकप का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि सेमी-फाइनल में ऑस्ट्रेलिया से हार के बाद कुछ लोगों ने खिलाड़ियों के लिए जिस प्रकार के शब्दों का प्रयोग किया वह अच्छा नहीं था। उन्होंने कहा कि जय और पराज. जिन्दगी के हिस्से हैं। अगर हमारे खिलाड़ी कभी हार जायें तो संकट की घड़ी में हमें उनका हौसला बुलंद करना चाहिए।
अकस्मात हुयी घटना में आपा न खोयें
प्रधानमंत्री ने कहा कि उन्हें चिंता हो रही है कि अकस्मात् हुई दुर्घटना पर भीड़ इकट्ठी होकर गाड़ियों को जला देती है। उन्होंने कहा कि इस प्रकार से गुस्सा प्रकट करने से दुर्घटना में मारे गए जन वापस नहीं आयेंगे। हमें अपने मन के भावों को संतुलित रखते हुए कानून को अपना काम करने देना चाहिए।
विद्यार्थियों को गर्मी की छुट्टियों की शुभकामनायें
विद्यार्थियों को गर्मी की छुट्टियों की शुभकामनायें देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि परीक्षायें पूरी हो गई हैं, खास कर के 10 वीं और 12 वीं के विद्यार्थियों ने छुट्टी मनाने के कार्यक्रम बनाए होंगे, कुछ पल परिवार के साथ उमंग और उत्साह के साथ बीते यही उनकी सबको शुभकामनाएं हैं। उन्होंने कहा कि छात्रों की यह छुट्टियां अच्छी रहें जीवन में कुछ नया सीखने मिले, नए अवसर मिलें।